स्विट्जरलैंड के बाद डेन्मार्क से PDKV का एग्रीमेंट, किसानों को मिलेगा लाभ

Panjabrao Deshmukh Agricultural University signed agreement from Denmark
स्विट्जरलैंड के बाद डेन्मार्क से PDKV का एग्रीमेंट, किसानों को मिलेगा लाभ
स्विट्जरलैंड के बाद डेन्मार्क से PDKV का एग्रीमेंट, किसानों को मिलेगा लाभ

डिजिटल डेस्क, अकोला। क्षेत्र के किसानों को उन्नत बनाने के लिए डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय नए-नए उपक्रम से प्रयास कर रहा है।  स्विट्जरलैन्ड में सेंद्रीय खेती को लेकर हुए एग्रीमेंट के बाद कृषि व किसानों के विकास को गति देनेे के लिए पीकेवी की ओर से विश्वस्तर की विविध शैक्षणिक संस्थाओं से आधुनिक स्तर का ज्ञान हासिल करने का प्रयास हो रहा है। इसी उपक्रम के तहत पीकेवी व डेन्मार्क के बीच करार पर हस्ताक्षर किए गए। इस महत्वपूर्ण समझौते के कारण देश में गेहूं पर आधारित फसल आदान-प्रदान पध्दति के विविध फसलों के उत्पादन में वृध्दि के लिए मदद मिलेगी।  

किसानों को उन्नत बनाने बढ़ रहे कदम

देश में कृषि एवं कृषकों के आर्थिक विकास के लिए अनेक मोर्चे पर कार्य करने वाली डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि यूनिवर्सिटी विश्व के प्रगत देश से कृषि विकास के लिए आधुनिक तकनीक की जानकारी हासिल करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। हाल में सेंद्रीय खेती की उपयुक्त जानकारी हासिल करने के लिए पीकेवी ने 5 नवंबर को स्विट्जरलैन्ड के साथ समझौता किया है। सेंद्रीय खेती के बाद अब गेहूं फसल पर आधारित विविध फसल की उत्पादकता बढ़ाने के लिए फसल उपज पध्दति को अपनाने के विषय पर अध्ययन के लिए डेन्मार्क के कोपेन्हेगन विश्वविद्यालय से समझौता प्रस्ताव पेश किया है।

इस प्रकल्प में पीकेवी के कृषि वनस्पतिशास्त्र के डॉ. विजयकुमार गावंडे, कोपेन्हेगन विश्वविद्यालय के शास्त्रज्ञ डा. बी. घली व डा. मोनिका मेस्मार आदि प्रमुख अनुसंधानकर्ता के  रूप में योगदान देंगे।  प्रकल्प अंतर्गत अनुसंधान के लिए कृषि वनस्पति शास्त्र विभाग से आचार्य उपाधि पाठ्यक्रम के छात्रों का चयन किया गया। इन दो देशों के तकनीकी सहयोग से गेहूं फसल पर आधारित खरीफ फसल के आदान-प्रदान के लिए कपास फसल का चयन तथा किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान, उचित प्रजातियों का चयन कर उत्पादकता बढ़ाई जाएगी। 

अगले दो वर्षों में अमल संभव

अगले दो वर्ष में इस प्रकल्प पर अमल करने के लिए कार्यकारी परिषद की मंजूरी मिली है। इस संयुक्त उपक्रम संदर्भ में विश्वविद्यालय स्तर पर उपलब्ध सुविधाएं, तकनीकी मनुष्यबल को लेकर मुआयना करने के साथ डेन्मार्क स्थित प्रमुख संशोधक डी. बी. घली ने पीकेवी के विविध विभाग को भेंट दी। जिसके बाद उपकुलपति डा. विलास भाले ने विशेष मुलाकात करते हुए डा. घली ने इस उपक्रम के बारे में जानकारी दी।

इस अवसर पर उपकुलपति डॉ. भाले ने कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विद्या विभाग की उपलब्धियां तथा सेंद्रीय खेती, कृषि जैवतकनीक, फलोत्पादन, वनखेती, पशुविज्ञान व दुग्ध व्यवसाय, कीट व रोग व्यवस्थापन विभाग, मत्स्यव्यवसाय के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए इस करार के लिए उपयुक्त होने की बात कहीं। इस अवसर पर संशोधक डा. विजयकुमार गावंडे, विशेष कार्य अधिकारी डा. शशांक भराड, जनसंपर्क अधिकारी डा. किशोर बिडवे आदि की उपस्थिति थी।

Created On :   10 Nov 2017 11:02 AM GMT

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