मां-बाप को नहीं आता था टीवी शुरु करना, बेटे ने जीत लिया देश के लिए सिल्वर मेडल

Parents did not know how to start TV, son won silver medal for the country
मां-बाप को नहीं आता था टीवी शुरु करना, बेटे ने जीत लिया देश के लिए सिल्वर मेडल
देश को गर्व मां-बाप को नहीं आता था टीवी शुरु करना, बेटे ने जीत लिया देश के लिए सिल्वर मेडल

डिजिटल डेस्क, बीड, सुनील चौरे पुजारी। जिले की आष्टी तहसील का मांडवा गांव अपने इस बेटे पर गर्व कर फूला नहीं समा रहा है। जहां एक किसान के बेटे ने कॉमनवेल्थ गेम्स-2022 में भारत को सिल्वर मेडल दिलाया। शानदार प्रदर्शन करते हुए शनिवार को अविनाश साबले ने 3000 मीटर की स्टीपलचेल में भारत के लिए सिल्वर मेडल हासिल किया। मां वैशाली साबले हमारे बेटे अविनाश ने हमें एक टीवी लेकर दिया, लेकिन वे हमें शुरू करना नहीं आता था। इसलिए हमने कभी अविनाश को खेलते  टीवी पर नहीं देखा, लेकिन जब बेटा अपने देश के लिए मेडल जीत रहा था। हम यह सुनकर ही धन्य हो गए। 27 साल के अविनाश ने 8:11.20 का समय लेते हुए पदक अपने नाम किया। अविनाश ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के साथ-साथ राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी बनाया, वे स्पर्धा में कॉमनवेल्थ गेम्स का सिल्वर जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट हैं.।

बर्मिंघम में जारी इन खेलों में ट्रैक एंड फील्ड का भारत का यह चौथा मेडल है। पहले प्रियंका गोस्वामी (10000 मीटर रेस वॉक, सिल्वर), मुरली श्रीशंकर (लॉन्ग जंप में सिल्वर) और तेजस्विन शंकर (हाई जंप में ब्रॉन्ज) ने कॉमनवेल्थ गेम्स की ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धाओं में मेडल जीत चुके हैं।

6 साल की उम्र से लगी लगन 

अविनाश साबले का जन्म गांव मांडवा में हुआ, वे किसान परिवार से हैं। स्कूल जाने के लिए रिक्शा की सुविधा नहीं थी। लौड़ लगाकर जाते थे। पढ़ाई करते समय क्रीडा प्रबोधन के टेस्ट में उत्तीर्ण होने हुए, इसके बाद औरंगाबाद के क्रीडा प्रबोधन में प्रवेश मिला। आगे के चार साल की पढ़ाई वहीं पूरी की। 12वीं क्लास पास करने के बाद सेना में नौकरी लग गई। 2013-14 में सियाचिन ग्लेशियर पर पोस्टिंग दी गई, राजस्थान के रेगिस्तान में भी ड्यूटी की और 2015 में सिक्किम में तैनात रहे।

20 किलो वजन कम करना पड़ा, वो भी तीन महीने में

इसके बाद खेल में बड़ा पड़ाव आया, जब इस जवान ने इंटर आर्मी क्रॉस कंट्री रनिंग में पहले भाग लिया। उनके साथी जवानों ने साबले में कुछ तो हुनर देखा और उनके कहने पर साबले दौड़ में शामिल हो गए। इसके बाद वे स्टीपलचेज में गए और अमरीश कुमार से ट्रेनिंग ली। उनको 20 किलो वजन कम करना पड़ा, वो भी तीन महीने में। उसके बाद नेशनल कैम्प में एंट्री हुई और विदेशी कोच ने उनको तराशा।

खिलाड़ी ने 2018 में नेशनल ओपन चैम्पियनशिप में 37 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा। फिर मार्च 2019 में नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया। रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड तोड़ने के कारनामों के बाद वे ऐसे पहले पुरुष स्टीपलचेजर बन गए, जो वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिए क्वालिफाई कर पाए थे।

इंटरनेशनल सफलता मिलनी शुरू हुई, क्योंकि उन्होंने साल 2019 में एशियन एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में सिल्वर हासिल कर लिया। फिर उसी साल के अंत में अपना ही रिकॉर्ड वर्ल्ड चैम्पियनशिप में तोड़ दिया। वर्ल्ड चैम्पियनशिप में यह खिलाड़ी 3000 मीटर स्टीपलचेज के फाइनल में जाने वाला पहला भारतीय था। उन्होंने बाद में 2020 के समर ओलंपिक में भी क्वालिफाई किया।

 

 

 

Created On :   7 Aug 2022 1:17 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story