दिव्यांगों का हौसला देख सब हुए आश्चर्यचकित

People surprised after seeing the work done by two handicapped
दिव्यांगों का हौसला देख सब हुए आश्चर्यचकित
दिव्यांगों का हौसला देख सब हुए आश्चर्यचकित

डिजिटल डेस्क, सिंगरौली (वैढ़न)। गुमे हुए मोबाइल खोजना जब पुलिस के लिए भी टेढ़ी खीर साबित होता है तब आंख से दिव्यांगों द्वारा खुद अपना मोबाइल खोज निकालना एवरेस्ट फतह करने से कम नहीं है। इन युवाओं ने अपने मोबाइल पर लगातार बात करना जारी रखा और कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए अंतत: उसे खोज निकाला। बिना आंखों के जब दो कदम भी ढंग से चल पाना मुश्किल होता है, तो ऐसी हालत में अपने साहस और सूझबूझ का परिचय देते हुए दो दिव्यांग युवा दिल्ली में गुमे अपने मोबाइल की तलाश में देवसर तक का सफर तय कर सोमवार को यहां आ पहुंचे। दोनों यहां सीधे जियावन थाने जा पहुंचे और टीआई अनिल उपाध्याय से मिलकर पूरा घटनाक्रम बताया। उनकी बातें सुनकर टीआई श्री उपाध्याय भी चौंक उठे। इन दिव्यांग युवाओं में राजकुमार यादव निवासी चित्रकूट का मोबाइल गुम हुआ था और उसके साथ उसका साथी अजय सैनी निवासी रायबरेली था। दोनों का यह साहस देखकर टीआई श्री उपाध्याय भी इनकी मदद के लिए उतावले हो उठे और उन्होंने पीड़ित राजकुमार के बताए अनुसार व्यक्ति की खोजबीन कराकर उसे थाने बुलवाया। इसके बाद राजकुमार को उसका मोबाइल दिलाया गया और मोबाइल मिलने से दोनों के चेहरे खुशी से खिल उठे। जानकारी के अनुसार दोनों दिव्यांग कक्षा 11वीं के छात्र हैं। दोनों चित्रकूट में स्थित श्री तुलसी प्रज्ञा चच्छु उमा विद्यालय के छात्र हैं।

नहीं मिली मदद तो खुद ही निकाला उपाय
पीड़ित दिव्यांग राजकुमार बताते हैं कि उनका मोबाइल 19 मार्च को दिल्ली रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम में गिर जाने से गुम हो गया था। इसके बाद उन्होंने वहां की स्थानीय पुलिस की मदद लेने की कोशिश की थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और उन्हें निराश होना पड़ा था। इसके बाद राजकुमार ने खुद से ही कुछ करने का सोचा और उन्होंने लगातार अपने मोबाइल पर फोन लगाना शुरू किया। फोन लगाते-लगाते उन्होंने कुछ बातें नोटिस की और इसके बाद वह यह जाहिर नहीं होने दिया था कि यह मोबाइल उनका है। फिर क्या था फोन पर बात करते-करते उन्हें पता चला कि उनका मोबाइल दिल्ली में किसी को मिला था, उसने किसी को बेचा और फिर ऐसा करते-करते देवसर में चौथे व्यक्ति तक मोबाइल पहुंच गया है।

इनका कहना है
दोनों बच्चों की मदद करने के बाद वाकई में काफी खुशी महसूस हो रही है। खासकर इसलिए भी कि दोनों दिव्यांग थे और युवा भी थे। ऐसी स्थिति में भले एक मोबाइल के लिये ही सही, लेकिन इसमें दोनों ने जिस तरह का साहस दिखाया है वह काबिले तारीफ है। मोबाइल दिलाकर दोनों को सुरक्षित ढंग से रवाना कर दिया गया है।
- अनिल उपाध्याय, टीआई जियावन

 

Created On :   3 April 2019 1:59 PM IST

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