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सजायाफ्ता बंदी की बर्बरता पर दोहरी फांसी की सजा
![Punishment for double hanging on convicted captive vandalism Punishment for double hanging on convicted captive vandalism](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/2019/11/punishment-for-double-hanging-on-convicted-captive-vandalism_730X365.jpg)
डिजिटल डेस्क सिंगरौली(वैढऩ)। जमीनी रंजिश के चलते पति और पत्नी की जघन्य हत्याकांड को कोर्ट ने विरल से विरलतम माना है। तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश सुरेन्द्र मेश्राम की अदालत ने सजायाफ्ता बंदी के अपराध को बर्बरता करार देते हुये दोहरी फांसी की सजा से दंडित किया है। अदालत ने पाया कि आरोपी रामजग बिंद द्वारा सीधी के न्यायालय द्वारा पूर्व से हत्या के अपराध में मृत्युदंड की सजा दंडित होने के बाद उसने यह कृत्य दोहराया है। एडीजे ने इस मामले में विस्तृत फैसला देते हुये कहाकि पूर्व से सजायाफ्ता बंदी के इस अपराध ने समाज में बर्बरता का आचारण पेश किया है। कोर्ट ने आरोपी के अपराध को रेयर से रेयरेस्ट श्रेणी का पाते हुये पति और पत्नी के दो कांउट अपराध के लिये दोहरी मृत्युदंड की सजा सुनाई है। अदालत ने आरोपी को हत्या और कत्ल का साक्ष्य छिपाने के आरोप में गुनहगार ठहराया है।
साक्ष्य छिपाने कुंए में फेंक दी थी लाश
यह सनसनीखेज वारदात जिले के मोरवा थाना क्षेत्र के कुसवई गांव में 25 अप्रैल 2014 की रात की है। अभियोजन के अनुसार आरोपी रामजग बिंद पिता रमाशंकर बिंद को सीधी के न्यायालय से हुई फांसी की सजा में मृतक उडगन बिंद और उसकी पत्नी सरकारी गवाह थे। इसके साथ आरोपी का मृतक के साथ विवाद चल रहा था। आरोप है कि इसी रंजिश के चलते सजायफ्ता बंदी ने उडगन और उसकी पत्नी शांति का सिर कुल्हाड़ी से धड़ से अलग कर नृशंस हत्या की थी। पति और पत्नी की हत्या के बाद आरोपी ने डबल मर्डर का राज छिपाने के लिये उनके शव को कुंए में फेंक दिया था।
डीपीओ महेन्द्र सिंह गौतम ने बताया कि मृतक के पुत्र की रिपोर्ट पुलिस ने
आरोपी के खिलाफ भादंवि की धारा 302 दो कांउट एवं 201 के तहत अपराध कायम किया था।
20 साल पहले भी हुई थी फांसी
सीधी की जिला अदालत ने 20 साल पहले पांच लोगों की नृशंस हत्या के आरोप में रामजग बिंद को फांसी की सजा मुकर्रर की थी। आरोप है कि रामजग ने साथियों के साथ मिलकर कुसवई में एक ही परिवार के पांच सदस्यों को मौत के घाट उतारा था। उस समय सिंगरौली सीधी जिले का हिस्सा था। इस मामले को भी अदालत ने विरल से विरलतम मानते हुये 1999 में दोषी करार दिया था। डीपीओ के अनुसार जमानत में छूटने के बाद आरोपी फिर कुसवई में वारदात को अंजाम दिया था।
Created On :   24 Nov 2019 5:31 PM GMT