महाराष्ट्र के इस गांव में भगवान राम नहीं रावण की होती है पूजा

Ravana is worshiped in this village of Maharashtra instead Lord Rama
महाराष्ट्र के इस गांव में भगवान राम नहीं रावण की होती है पूजा
महाराष्ट्र के इस गांव में भगवान राम नहीं रावण की होती है पूजा

डिजिटल डेस्क, अकोला। दशहरा पर्व पर जहां बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का दहन किया जाता है, वहीं जिले के ग्राम सांगोला में पत्थर पर तराशे दशानन की पूजा होती है। रावण में भले ही बुराइयां रही हों, लेकिन महापंडित रावण महाज्ञानी तथा विद्वान थे। इसलिए उनके इन्हीं गुणों का बखान करने के लिए प्रति वर्ष आयोजन किया जाता है। वैसे तो यहां रावण की प्रतिदिन पूजा होती है। लेकिन दशहरे पर विशेष पूजा की जाती है तथा परिसर में मेला लगता है। महापंडित रावण की लंका नगरी भले ही हजारों मील दूर है, लेकिन सांगोला में दशानन की पूजा निवासी नित्य करते हैं। यह परंपरा 200 साल से भी अधिक समय से चली आ रही है। विशालकाय दस मुख वाली पत्थर की मूर्ति के सामने पूजा होती है। 

महाराष्ट्र में इकलौता मंदिर है। समूचे देश में मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम पूजे जाते हैं। जबकि रावण के सीता का हरण करने से प्रतीकात्मक पुतले का दहन होता है। लेकिन लापुर तहसील अंतर्गत ग्राम वाड़ेगांव के समीप गांव में श्रीराम नहीं, बल्कि रावण के सद्गुणों की पूजा की जाती है। शहर से लगभग 38 किमी दूर इस गांव के स्थानीय निवासियों का मानना है कि यह क्षेत्र जंगल से ढंका और वीरान था। गांव के समीप पश्चिम दिशा के जंगल में एक ऋषि ने घोर तपस्या की थी। उन्हीं की प्रेरणा से गांव में कई धार्मिक उपक्रम चलाए जाते हैं। महर्षि के ब्रह्मलीन होने के बाद तत्कालीन ग्रामीणों ने एक शिल्पी से महर्षि की पत्थर की मूर्ति गढ़ने की मंशा जताई। शिल्पी ने ब्रह्मर्षि की प्रतिमा के लिए पत्थर तराशना प्रारम्भ किया, लेकिन ऋषि की जगह शिल्पी के हाथों ने दशमुखी रावण की प्रतिमा गढ़ डाली। मूर्ति के समीप ही एक पेड़ है। जिसकी 10 अलग-अलग शाखाएं हैं। इसलिए इसे दैवी आदेश मान ग्राम वासियों ने लंकेश्वर की मूर्ति स्थापित कर दी। 

अब गांव का हर व्यक्ति अपने सभी शुभ कार्य करने से पहले रावण की प्रतिमा का पूजन करता है। गांव के बाहर स्थापित दशानन सभी ग्रामवासियों की रक्षा करते हैं, ऐसी नागरिकों की मान्यता है। इसलिए प्रतिदिन यहां रावण की पूजा होती है। जबकि दशहरे के अवसर पर यहां दशानन को विशेष आयोजन के तहत पूजा जाता है; यह जानकारी पुजारी हरिभाऊ लखाडे ने दी है। स्थानीय निवासी रामचंद्र सोनोने एवं शिवाजी महाराज धाकरे ने बताया कि नागरिक यहां रावण का बड़ा मंदिर बनाने के प्रयास में जुटे हैं।

Created On :   7 Oct 2019 4:48 PM GMT

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