रेत माफिया का स्वर्ग है यूपी-एमपी बार्डर, सोन नदी का बहाव मोड़ कर बनाया अवैध पुल

Sand mafias are extracting sand illegally from the bank of Son river
रेत माफिया का स्वर्ग है यूपी-एमपी बार्डर, सोन नदी का बहाव मोड़ कर बनाया अवैध पुल
रेत माफिया का स्वर्ग है यूपी-एमपी बार्डर, सोन नदी का बहाव मोड़ कर बनाया अवैध पुल

डिजिटल डेस्क, सिंगरौली/वैढ़न। रेत का अवैध खेल देखना है तो आपको चितरंगी तक का सफर तय करना होगा। वैढ़न जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी तय करके जब आप ठठहरा ग्राम पंचायत में पहुंचेंगे तो आपकी आंखें फटी की फटी रह जाएंगी। ट्रकों की कभी खत्म न होने वाली कतारें, रेत के जगह-जगह लगे ढेर, सोन नदी का सीना चीरती हैवी मशीनरीज को देखकर आप रेत माफिया के हौंसलों को दात दिए बिना नहीं रह सकेंगे तो प्रशासनिक उदासीनता को देखकर उसे कोसने से पीछे नहीं हटेंगे। रेत के अवैध कारोबार की खबरें यूं तो अक्सर आती रहती हैं, लेकिन जिस तरह का कारोबार चितरंगी में चल रहा है वो काबिल ए गौर है।

जानकारों के अनुसार यहां एक हजार फुट रेत जो 3500 रूपए में मिलनी चाहिए वो 26 हजार रूपए में बनारस मंडी में खपायी जा रही है। यही कारण है कि रेत से जुड़े अधिकांश लोगों का इन दिनों चितरंगी में डेरा है और ठठहरा ग्राम पंचायत रेत माफिया का स्वर्ग बन गया है। सोन नदी के किनारे यहं भारी मशीनरी लगा कर रात दिन रेत निकासी का काम चल रहा है। यहां का नजारा देख कर आपको लगेगा कि रेत का मेला चल रहा है।

यूपी-एमपी में सीमाओं का फायदा
ठठहरा ग्राम पंचायत की सीमाएं सोन नदी पर कुछ इस तरह है कि इसमें काफी जमीनें यूपी-एमपी-यूपी के क्षेत्र में फैली है। इसी का फायदा उठाकर रेत माफिया यहां बेखौफ होकर अपने कामकाज को अंजाम दे रहा है। यहां वे दोनों राज्यों और सोनभद्र, सिंगरौली जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों की आंखों में धूल झोंक कर काम कर रहे हैं। कहा, यह भी जा रहा है कि जहां रेत खनन का अवैध काम चल रहा है उसकी जिला मुख्यालय से दूरी 100 किमी से ज्यादा होने के कारण कभी भी प्रभावी प्रशासनिक कार्रवाई नहीं हो सकी। एक दो बार सिंगरौली के अधिकारियों ने कार्रवाई का मन बनाया तो उनके पहुंचने से पहले माफिया के तंत्र तक अफसरों के आने की खबर पहुंच गई, नतीजा ढांक के तीन पात रहा। दूसरी ओर सोनभद्र जिले के अधिकारियों ने यहां भी नकेस कसने की कवायद नहीं की। इतना ही नहीं आरोप है कि सोनभद्र जिले के अधिकारी रेत माफिया को बनारस तक पहुंचने का सुरक्षित पैसेज दे रहे हैं।

सोन नदी के अस्तित्व पर ग्रहण
रेत माफिया की कार्रवाई सोन नदी के अस्तित्व पर ग्रहण जैसी होती जा रही है। यहां जिस तरह से रेत निकाली जा रही है उससे सोन का प्रवाह ही बदल रहा है। इतना ही नहीं नदी पर ट्रकों की आवाजाही के लिए अवैध पुलियां तक बना ली गई हैं, पर यह सब न तो गढ़वा थाने की पुलिस को दिख रहा है और ना ही पंचायत के नुमाइंदों को। नियमानुसार किसी भी पंचायत को भंडारण की अनुमति नहीं फिर भी इस क्षेत्र में रेत के पहाड़ खड़े किए जा रहे हैं।

 

Created On :   18 Dec 2018 2:34 PM IST

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