- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- सिंगरौली
- /
- मिल्क पाउडर से बनाकर बेच रहे दूध...
मिल्क पाउडर से बनाकर बेच रहे दूध -नहीं हो रही जांच, जिम्मेदार उदासीन
![District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli! District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/no-post.png)
डिजिटल डेस्क सिंगरौली (वैढऩ)। सिंगरौली में मिल्क पाउडर दुधारू भैंस साबित हो रहा है। यह भी कहा जा सकता है दूध देने के मामले में मिल्क पाउडर ने दुधारू भैंस को भी पछाड़ दिया है। बताया जाता है कि गाय-भैंस के दूध के साथ-साथ मिल्क पाउडर भी दूधियों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गया है। बताया जाता है कि सिंगरौली क्षेत्र में दूध की मांग और आपूर्ति के बीच में गहरी खाई है। इसीलिये मिल्क पाउडर आपूर्ति के सेतु की तरह काम करता नजर आ रहा है। बताया जाता है कि मार्केट में आजकल मिल्क पाउडर से नए-नए उत्पाद बनाये जा रहे हैं। इनमें भी बेहद प्रतिस्पर्धा है लेकिन दूध उत्पादकों की कमी और दूध की बढ़ती मांग के बीच दूधिया भी पशोपेश में है। उन्हें दूध की मांग और आपूर्ति के बीच समानांतर सामंजस्य बनाने का आसान तरीका मार्के ट मेंं आसानी से उपलब्ध मिल्क पाउडर से निकाल लिया है। दूधियों के इस कारनामे के आगे जिम्मेदार भी उदासीन नजर आ रहे हैं। या तो कार्यवाही करने की फजीहत में नही पडऩा चहते हैं या फिर वे अपनी जिम्मेदारियों को नजरअंदाज कर रहे हैं। जिसके परिणाम स्वरूप दूधिया मनमाने तौर पर मिलावटी दूध और मिल्क पाउडर बेच रहे हैं।
ऐसे बन रहा मिल्क
- आधा किलो पैकेट से 5.50 लीटर तक दूध तैयार करने का है मानक
- दूधिया तैयार कर रहे 8 से 10 लीटर दूध
- आधा किलो का पैकट 175 रूपये का
- बनकर तैयार दूध 400 से 500 रूपये का
- प्रति पैकेट बचत 225 से 325 रूपये
बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़
जानकारों का कहना है कि शहर में दूधियों द्वारा भारी मात्रा में पानी और मिल्क पाउडर को लिक्विड बनाकर मार्के ट में बेचा जा रहा है। जिससे बच्चों की सेहत पर प्रतिकूल असर डाल सकता है। या फिर फैट की मात्रा बेहद कम होती है। जो बच्चों में वसा की कमी को पूरा नहीं कर पाते हंै। बताया जाता है कि दूधियों के पानी मिलाने से दूध में जहां वसा, प्रोटीन की मात्रा कम हो जाती है, वहीं बैक्टीरिया की संख्या कई गुना बढ़ जाती है जो सेहत के लिए नुकसानदेह होता है।
तत्कालीन कलेक्टर ने कराई थी जांच
बताया जाता है कि तत्कालीन कलेक्टर रघुराज राजेन्द्रन और एम सेलवेन्द्रन द्वारा मिलावटी दूध के खिलाफ कई दिनों तक धरपकड़ के लिए अभियान चलाया था। जिससे मिलावटखोर दूधियों मे हडकंप मच गया था। कई दिनों तक ऐसे दूधिये भागते फिर रहे थे। जिससे कुछ दिनो तक लोगों को शुद्ध दूध नसीब होने लगा था। लेकिन जबसे जांच-पड़ताल बंद हुई तो उनके हौसले फिर से बढ़ गये हैं।
अभियान चलाने की मांग
क्षेत्र के लोगों ने कलेक्टर का ध्यानाकृष्ट कराते हुए क्षेत्र में मिलावटखोर दूधियों के खिलाफ अभियान चलाने की मांग की है। बताया जाता है कि मिलावटी दूध खरीदना क्षेत्र के लोगों की मजबूरी सी हो गई है। शुद्ध दूध के नाम पर भी लोगों को पैसे देने के बाद भी नसीब नहीं हो रहा है। बताया जाता है कि दूधियों के सैंपल लेना शुरू हो जाने से ही आधी समस्या हल होनी शुरू हो जायेगी।
Created On :   20 Nov 2019 9:29 AM GMT