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संजय टाईगर रिजर्व में सात हाथी, महावत एक भी नहीं - देख-रेख चौकीदारों के हवाले
डिजिटल डेस्क सीधी। संजय टाईगर रिजर्व में लम्बे समय से सात हाथियों का समूह मौजूद है लेकिन हाथियों पर नियंत्रण के लिए महावत एक भी नहीं है। केवल चौकीदारों और वन अमले के भरोसे हाथियों की देख-रेख की जा रही है। महावत की कमी से निरंकुश हाथियों का दल ग्रामीण क्षेत्रों में आए दिन नुकसान पहुंचाते देखा जाता है।
बता दे कि संजय टाईगर रिजर्व में हाथियों के छत्तीसगढ़ से आने-जाने का सिलसिला वर्ष 2014-15 से शुरू हुआ तो अब तक में 7 हाथियों का समूह यहां रहने लगा है। हाथियों का झुंड अक्सर पोड़ी के जंगलों में देखा जाता है। बताया जाता है कि हाथियों का समूह गर्मियों के दिन में आता है और करीब 3 माह तक रहने के बाद जैसे ही बरसात शुरू हो जाती है वैसे ही वापस छत्तीसगढ़ के जंगलों में चले जाते हैं। छत्तीसगढ़ का गुरूघासी दास नेशनल पार्क और संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र का बॉर्डर लगभग सटा हुआ है। इसीलिए हाथियों को यहां-वहां जाने में कोई दिक्कत नहीं होती है। जानकारो के मुताबिक वर्ष 2018 में 5 हाथियों का समूह संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र के आसपास उत्पात मचाया था जिन्हें परसली नौढियां गांव से पकड़कर बांधवगढ़ भेज दिया गया था। इसी दौरान बांधवगढ़ के जंगलों में छत्तीसगढ़ से करीब 40 हाथियों का समूह पहुंच गया था। फिलहाल दूसरे पार्कों, जंगलों से आने वाली हाथियों के कारण संजय टाईगर रिजर्व में हाथियों की संख्या वृद्धि तो हो जाती है पर इनके कारण आसपास के गांवों के किसानों को भारी क्षति उठानी पड़ती है। अधिकांश समय हाथियों का दल टाईगर रिजर्व क्षेत्र से गांव की ओर रुख कर देता है जिस कारण फसलें तो तवाह होती ही हैं साथ ही कच्चे घरों और पेड़ों को भी नुकसान पहुंचा देती है। बताया जाता है कि हाथियों को नियंत्रण में रखने के लिए महावत, सहायक महावत के दो-दो पद स्वीकृत हैं लेकिन एक की भी तैनाती न हो पाने से हाथियों पर नियंत्रण नहीं हो पाता है। केवल चौकीदार, वनकर्मी ही मार्ग बदलने का कार्य करते हैं किन्तु तब तक में भारी क्षति हो जाती है। बता दें कि हाथियों के देख रेख और वहां ड्यूटी में तैनात लोगों के लिए पर्याप्त मात्रा में संसाधन नहीं है। बावजूद इसके तैनात कर्मचारी-अधिकारी पूरे शिद्दत के साथ हाथियों की मानिटरिंग कर रहे हैं।
पोड़ी परिक्षेत्र हाथियों के लिए अनुकूल
हाथियों को संजय टाइगर रिजर्व का पोड़ी परिक्षेत्र काफी पसंद है। यहां भारी मात्रा में बांस के पेड़ हैं जिस कारण यहां करीब 1 वर्ष से 7 हाथियों का समूह स्थाई निवास बनाकर रह रहा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि छत्तीसगढ़ से हाथी खदेडऩे से परेशान होकर संजय टाइगर रिजर्व में अपना ठिकाना बना रहे हैं। वैज्ञानिको की मानें तो हाथियों में संचार अल्ट्रासाउंड वेग करीब 100 किलोमीटर तक होता है। एक दूसरे से 100 किलोमीटर दूर रहकर भी बात कर लेते हैं। इसी विलक्षण प्रतिभा के कारण भविष्य में संजय टाइगर रिजर्व में हाथियों की संख्या बढऩे के आसार बने हुए हैं।
इनका कहना
हाथियों की मॉनिटरिंग के लिए काम किया जा रहा है। इसके लिए वन कर्मी भी तैनात किए गए हैं। हाथियों पर नियंत्रण का कार्य वन कर्मियों द्वारा किया जा रहा है।
जया पांडे अधीक्षक संजय टाइगर रिजर्व सीधी।
Created On :   23 July 2020 3:31 PM IST