अनूपपुर के कोरोना पॉजिटिव के सिंगरौलीवासी साथी लापता!

डिजिटल डेस्क सिंगरौली (वैढऩ)। अनूपपुर जिले में सप्ताहभर पहले कोरोना पॉजिटिव मिले एक श्रमिक के साथ सिंगरौली जिले के भी श्रमिक थे। यह बात सामने आयी है अनूपपुर जिले में उस पॉजिटिव मरीज से उसकी ट्रैवल हिस्ट्री जानने की गई पूछताछ के दौरान। प्राप्त जानकारी के अनुसार अनूपपुर के कोरोना पॉजिटिव मरीज द्वारा बताया गया था कि उसे अन्य श्रमिकों के साथ खरगोन से उनके जिले में जब ले जाया जा रहा था, तो उसके साथ उस दौरान सिंगरौली जिले के भी कुछ लोग थे। जिसके बाद यहां जिले में इस मामले की जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों को हुई, तो उन्होंने इस संबंध में अनूपपुर जिले से जानकारी ली, जिसमें इस बात की पुष्टि भी हुई। लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि अनूपपुर जिले में मिले कोरोना पॉजिटिव श्रमिक के सिंगरौलीवासी साथियों का यहां जिले में कोई पता ही नहीं चल पा रहा है। ये श्रमिक जिले में आये हैं कि नहीं, इसे लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। प्रशासनिक अधिकारी भी इसे लेकर बताते हैं कि उन्होंने हर स्तर पर छानबीन की है, लेकिन खरगोन से आये श्रमिकों के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। जिससे ये हालात जिले के लिये काफी चिंता वाले भी बने हुये हैं।
बार्डर पार के किसी राज्य के हो सकते हैं श्रमिक
इस मामले को लेकर एसडीएम ऋषि पवार ने बताया है कि उन्होंने अनूपपुर में बात की है। जिसमें उन्हें पता चला है कि अनूपपुर के पॉजिटिव श्रमिक के बताये अनुसार उसके साथ सिंगरौली के भी कुछ लोग थे। लेकिन हर स्तर पर छानबीन करने के बाद जिले में उस दौरान खरगोन से आये ऐसे लोग नहीं मिल रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण यह हो सकता है कि जिले से लगे उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड व इनसे लगे बिहार राज्य के लोग अपने घर जाने के लिये इन दिनों जिले के रूट का ही उपयोग कर रहे हैं। क्योंकि आवागमन के इन दिनों कोई साधन तो हैं नहीं। इसलिये वह खुद को सिंगरौली का बताकर दूरदराज के क्षेत्रों से यहां तक आते हैं और फिर इसके बाद वह जिले से होकर राज्य की सीमारेखा पारकर अपने प्रदेश में चले जाते हैं। इसलिये हो न हो खरगोन से आये श्रमिकों में जो कोरोना पॉजिटिव अनूपपुर में मिला है, उसके साथ आये श्रमिक सिंगरौली जिले के न होकर बार्डर पार के राज्य के हो सकते हैं।
जिले पर मंडरा रहा माइग्रेशन से खतरा
एसडीएम सिंगरौली श्री पवार से मिली जानकारी के अनुसार जिले में इन दिनों बाहर से आने वाले श्रमिकों में अक्सर बड़ी संख्या ऐसे लोगों की रहती है, जो अपने जिले के नहीं रहते हैं। बल्कि ये लोग सीमावर्ती राज्य उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड, बिहार के भी रहते हैं। इन हालात में अगर कोई ऐसा व्यक्ति जिले में आकर प्रशासन की नजर में नहीं आ पाता है और वह बार्डर पार भी कर जाता है, लेकिन वह कोरोना संक्रमित है, तो यह भी तो जिले के लिये अच्छे संकेत नहीं। इन हालात में कायदे से ऐसे मामलों को लेकर जिला प्रशासन को अलग से प्लान तैयार करके व्यवस्था बनाने की जरूरत है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।