कोरोना संक्रमित मानकर नहीं दिया गर्भवती को डॉक्टरों ने इलाज, तड़पकर तोड़ा दम 

The doctors did not treat pregnant as corona infected, tortured and tortured
कोरोना संक्रमित मानकर नहीं दिया गर्भवती को डॉक्टरों ने इलाज, तड़पकर तोड़ा दम 
कोरोना संक्रमित मानकर नहीं दिया गर्भवती को डॉक्टरों ने इलाज, तड़पकर तोड़ा दम 

महिला को मंगलवार को किया गया था भर्ती, उसकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बावजूद नहीं किया गया इलाज, गिड़गिड़ाते रहे परिवार के सदस्य 
डिजिटल डेस्क छतरपुर ।
जिला अस्पताल एक बार फिर अपने गैर जिम्मेदारना रवैये के कारण चर्चा में है। यहां शुक्रवार को इलाज न मिलने के कारण गर्भवती महिला एवं उसके पेट में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। परिवार के लोग डॉक्टर और नर्सों से इलाज के लिए मिन्नतें करती रहे, मगर गर्भवती को कोरोना संक्रमित मानकर डॉक्टरों ने इलाज नहीं दिया और कुछ घंटों में उसकी मौत हो गई। मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में काफी हंगामा किया और इलाज न देने वाले डॉक्टर और स्टॉफ पर कार्रवाई की मांग की। 
क्या है पूरा मामला : शहर के मातवाना मोहल्ला निवासी महेश अहिरवार की पत्नी पूजा को मंगलवार को डिलीवरी के लिए जिला अस्पताल लाया गया था। खून की कमी होने पर महिला के देवर राजेश अहिरवार ने खून दिया। ब्लड बैंक से उसे एक्सचेंज करके एक यूनिट रक्त मिला। जब गर्भवती को नर्सों द्वारा रक्त चढ़ाया गया, तब रक्त चढ़ते ही महिला को खांसी आने लगी और उसकी हालत बिगडऩे लगी। तभी डॉक्टरों ने गर्भवती को कोरोना के लक्षण मानकर उसे आइसोलेशन वार्ड के पास रिजर्व मैटरनिटी वार्ड में भर्ती कराकर सैंपल लिया गया। इसकी रिपोर्ट निगेटिव आई। मगर फिर भी ड्यूटी डॉक्टर ने रिजर्व वार्ड में जाकर गर्भवती को इलाज नहीं दिया। शुक्रवार को परिजन सुबह से डॉक्टरों से गर्भवती की हालत बेहद खराब होने पर इलाज के लिए मिन्नतें करते रहे, जब इलाज नहीं मिला तो परिजनों ने गर्भवती को रैफर करने के प्रबंधन के हाथ-पैर जोड़े। मगर डॉक्टरों ने गर्भवती को रैफर भी नहीं किया। तब दोपहर में गर्भवती महिला और उसके पेट में पल रहे बच्चे ने दम तोड़ दिया। 
व्यवस्थाओं की खुली पोल 
स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन के अनुसार कोरोना संदिग्ध और संक्रमित गर्भवती के इलाज के लिए जिले में रिजर्व प्रसूति वार्ड बनाया गया है। इसी वार्ड में गर्भवती को 4 अगस्त को भर्ती कराया गया था, जहां किसी भी डॉक्टर ने दो दिनों तक रिजर्व वार्ड में जाकर गर्भवती को इलाज नहीं दिया। इलाज के अभाव में गर्भवती महिला के ब्लड में इंफेक्शन हो गया और उसकी मौत हो गई। सूत्रों के अनुसार जानकारी मिली है कि शायद महिला को ब्लड चढ़ाने में अस्पताल प्रबंधन से चूक हुई है या फिर संक्रमित खून महिला को चढ़ा दिया गया। 
जिला अस्पताल प्रबंधन की कार्यशैली से व्यवस्थाएं चौपट 
जिला अस्पताल प्रबंधन की कार्यशैली से अस्पताल में आए दिन ऐसे मामले सामने आते रहते हैं। कुछ दिन पूर्व ऑक्सीजन की कमी से एक संक्रमित की मौत हो गई थी, वहीं अब गर्भवती के इलाज के अभाव में मौत हो गई। सिविल सर्जन और आरएमओ की निष्क्रियता के कारण जिला अस्पताल में डॉक्टर और स्टॉफ मरीजों के इलाज में लापरवाही बरत रहा है। वहीं ऐसे गंभीर मामले सामने आने पर भी जिला प्रशासन प्रबंधन कार्रवाई करने की बजाय चुप्पी साधकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ता नजर आ रहा है। 
इनका कहना है 
गर्भवती महिला की मौत किस कारण से हुई। हम इसकी जांच करा रहे हैं। शव का पीएम भी कराया गया है। 
डॉ. आरएस त्रिपाठी, सिविल सर्जन
 

Created On :   8 Aug 2020 9:34 AM GMT

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