कराहते रहे मरीज, भगवानों के नहीं हुये दीदार - अस्पतानल में इमरजेंसी भी अटैंड करने वाला कोई नहीं,

The patient kept groaning, God did not have any problem - no one was even going to hang emergency in the hospital,
कराहते रहे मरीज, भगवानों के नहीं हुये दीदार - अस्पतानल में इमरजेंसी भी अटैंड करने वाला कोई नहीं,
कराहते रहे मरीज, भगवानों के नहीं हुये दीदार - अस्पतानल में इमरजेंसी भी अटैंड करने वाला कोई नहीं,

डिजिटल डेस्क सिंगरौली (वैढऩ)। सर्पदंश से पीडि़त एक मासूम की मौत  के बाद भी चिकित्सा व्यवस्था में न तो कोई अलर्ट है और ना ही चिकित्सकों के रवैये में कोई बदलाव। मंगलवार को जहां एक सर्पदंश पीडि़ता और उसके परिजन, उपचार कराने भटकते नजर आए तो शाम की ओपीडी में चिकित्सकों के कक्ष में लटकते ताले इस बात की ओर इशारा कर रहे थे कि मरीज कितना भी क्यों न तड़पें, धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर्स इन्हें दर्शन नहीं देने वाले। लॉकडाउन की अवधि में किसी तरह अस्पताल पहुंच रहे दूर दराज के लोगों पर भी इन्हें दया नहीं आ रही। एक साथ ओपीडी से संबंधित चिकित्सकों का नदारद होना जहां सीएमएचओ और सीएस दोनों का प्रभार देख रहे डॉक्टर आरपी पटेल की प्रशासनिक अक्षमता को दर्शाता है वहीं जिला प्रशासन की भूमिका पर भी सवालिया निशान उठ रहे हैं। कोरोना संक्रमण के समय जब सबसे ज्यादा अलर्ट यदि कहीं है तो वो चिकित्सा विभाग ही है लेकिन सिंगरौली ट्रामा सेंटर के हालात, चिकित्सा सिस्टम की सजगता का माखौल उड़ा रहा है।
ट्रामा सेन्टर में स्थानांतरित हुए जिला चिकित्सालय में सभी विशेषज्ञ चिकित्सकों के अलग-अलग कक्ष मरीजों की सुविधाओं को देखकर तैयार किए गए हैं। जहां कक्ष 3 से लेकर 8 नंबर और आकस्मिक चिकित्सा कक्ष 45 नंबर में मंगलवार को सायंकालीन अवधि में चिकित्सक नदारद थे। अलबत्ता जनरल ओपीडी कक्ष नंबर 5 को 3 बजे खोला गया और वहां एक चिकित्सक 3.35 तक मौजूद रहे और उसके बाद वे भी ताला डालकर निकल गए। इस दौरान महज कुछ ही सामान्य रोगों के मरीजों को चिकित्सा लाभ मिला। हड्डी सहित ईएनटी के मरीज भटकते नजर आए।  
प्रतिदिन ऐसे ही हालात
लोगों का कहना है कि चाहे मार्निंग शिफ्ट और या इवनिंग शिफ्ट हो, यहां चिकित्सकों की मनमानी के ऐसे ही हालात नजर आते हैं और मरीज तथा उनके परिजन चिकित्सा पाने के लिए भटकते रहते हैं। इस दौरान अगर कहीं कोई चिकित्सकों की शिकायत करता है तो, औपचारिकताएं पूरी कर ली जाती हैं और चिकित्सक को किसी अन्य कार्य में या वार्ड भ्रमण या फिर सर्जिकल रूम में बताकर विभागीय खाना पूर्ति कर ली जाती है। लोगों ने आरोप लगाए हैं कि जिला चिकित्सालय यहां स्थानांतरित होने के बाद चिकित्सकों की उदासीनता और बढ़ गई है और वे यहां अपने कक्षों में नजर भी नहीं आते।
चिकित्सा की कक्षवार व्यवस्था
ट्रामा सेन्टर में स्थानांतरित जिला चिकित्सालय में मरीजों के लिए कक्ष क्रमांक एक में पर्ची, कक्ष क्रमांक दो में दवा और कक्ष क्रमांक 3 से 8 तक विशेषज्ञ चिकित्सकों की व्यवस्था की गई है। जहां कक्ष 3 में आर्थोपेडिक चिकित्सक , कक्ष 4 में शिशु रोग विशेषज्ञ, कक्ष 5 में जनरल ओपीडी, कक्ष 6 में मानसिक रोग विशेषज्ञ, कक्ष 7 में नेत्र रोग और कक्ष 8 में शल्य रोग विशेषज्ञ कक्ष बनाए गए हैं जहां सभी जगह ताला जड़ा हुआ था। वहीं कक्ष क्रमांक 45 में इमरजेंसी है, यानी किसी भी स्थिति में गंभीर मरीज को सबसे पहले यहीं देखा जाना चाहिए।
केस 1- भटकती रही वृद्धा
लगभग 70 वर्षीय बुटानी 2.30 बजे जिला चिकित्सालय पहुंची थी जहां उसे तीन बजे के बाद ओपीडी की मिली। महिला को कान और आंख में परेशानी थी, जहां जनरल वार्ड में मौजूद चिकित्सक ने उसे 7 नंबर में इलाज कराने को कहा, जहां ताला लटका हुआ था। वृद्धा लगभग डेढ़ घटे तक अस्पताल परिसर में भटकती रही और आने-जाने वाले आगंतुकों से इलाज करवाने और चिकित्सक का पता बताने की गुहार लगाती रही।
केस 2- पर्ची बनवाने में आया पसीना
पड़रिया खूंटाकला थाना माड़ा से दवा लेने आए मरीज के परिजन रामेश्वर जायसवाल महज इसलिए भटकते रहे कि जिला चिकित्सालय से दवा उन्हें मिल जाए। जहां स्वास्थ्य केन्द्र द्वारा लिखी गई दवा को स्थानीय पर्ची पर चिकित्सक से लिखवाकर लेना था। लेकिन, वे एक घंटे से अधिक समय तक एक कक्ष से दूसरे कक्ष के चक्कर लगाते रहे।  
केस 3- नहीं आये डॉक्टर साहेब
एक सर्पदंश से पीडि़त युवती मानकुंवरबाई को एडमिट तो कर लिया गया, लेकिन परिजनों की गुहार के बाववजूद शाम 4.30 बजे तक चिकित्सक उसे देखने नहीं पहुंचने थे। पीडि़ता को लेकर आए छत्तीसगढ़ निवासी श्रीपान ने कहा कि वह डेढ़ घंटे से खड़े हैं लेकिन उन्हें चिकित्सक नहीं मिल पा रहे हैं।
केस 4- दो घंटे तक भटके शम्भू
पैरों में असहनीय दर्द झेल रहे शम्भूप्रसाद कुशवाह ने बताया कि उन्हें उठने और बैठने में काफी परेशानी हो रही है। वह पिछले दो घंटों से चिकित्सक का इंतजार करने एक कक्ष से दूसरे कक्ष के चक्कर लगा रहा है। कचनी निवासी इस पीडि़त ने समय पर उपचार न मिलने पर व्यवस्थाओं को जमकर कोसा।

 

Created On :   17 Jun 2020 6:29 PM IST

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