देश के हर कोने में मौजूद हैं लक्ष्मणबाग संस्थान के मंदिर, लेकिन यहां की सम्पत्ति अब खुर्द-बुर्द हो रही।

The temples of Laxmanbagh Sansthan are present in every corner of the country.
देश के हर कोने में मौजूद हैं लक्ष्मणबाग संस्थान के मंदिर, लेकिन यहां की सम्पत्ति अब खुर्द-बुर्द हो रही।
देखभाल की कमी के चलते बीस से पच्चीस वर्षों के बीच बिगड़ी स्थिति देश के हर कोने में मौजूद हैं लक्ष्मणबाग संस्थान के मंदिर, लेकिन यहां की सम्पत्ति अब खुर्द-बुर्द हो रही।

डिजिटल डेस्क, रीवा। देश के हर कोने में लक्ष्मणबाग संस्थान के मंदिर अभी भी मिलेंगे। यह संस्थान इतना धनवान है कि अगर सही मायने में इसकी संपत्ति का उपयोग हो तो वह अपने पूर्व स्थिति में पहुंच सकता है, लेकिन रख-रखाव एवं देखभाल की कमी के चलते लक्ष्मणबाग की संपत्ति खुर्द-बुर्द हो रही है। अष्टधातु की मूर्तियां चोरी चली गई। जमीनें बेंच दी गई, किसी को पता नहीं चला। इन जमीनों का मुकदमा कई प्रांतों में चल रहा है।
लक्ष्मणबाग संस्थान की स्थापना से लेकर राजा-महाराजाओं ने सब कुछ किया। सन् 1935 तक के अंत में इस संस्थान के अधीनस्थ मंदिरों की संख्या 65 पहुंच गई जिनका सभी का रख-रखाव लक्ष्मण बाग संस्थान से होता था। मंदिरों में विद्वान, सुयोग्य, धार्मिक पुजारी एवं प्रबंधक होते थे। हर तिथियों को लक्ष्मण बाग में उत्सव के रूप में मनाया जाता था। प्रतिदिन दीन-दुखियों को भोजन मिलता था। राजपरिवार लक्ष्मणबाग की उन्नति करना अपना धर्म समझता था। यहां पहुंचने पर सभी की मनोकामनाएं पूरी होती थी।

1936 से सरकारी मोहकमे का नियंत्रण-

सन् 1935 तक लक्ष्मणबाग संस्थान अपने नियम और कानूनों के आधार पर चलता था, लेकिन 1 जनवरी 1936 से लक्ष्मणबाग पर सरकारी मोहकमा (धर्मार्थ) का पूर्ण नियंत्रण हो गया। धर्म कार्य भी कानून और आदेशों के अनुकूल होने लगे। चढ़ोत्री आदि सरकारी खजाने में जाने लगी। स्थान का सारा खर्च सरकारी मोहकमे से होने लगा। स्वामी बद्री प्रपन्नाचार्य यहां से रामनवमी के दिन लक्ष्मण बाग को छोड़कर प्रयाग चले गए।

प्रदेश के बाहर के मंदिर-

लक्ष्मणबाग संस्थान के मंदिर प्रदेश से बाहर हैं, जिसमें राधा मोहन, चित्रकूट बांदा, रानी मंदिर दारागंज इलाहाबाद, राजभवन दारागंज इलाहाबाद, सवामन सालिगराम वृन्दावन, रामानुज कोट बद्रीनाथ गढ़वाल, रीवा क्षेत्र जगन्नाथपुरी, बड़ी बघेली जोधपुर, छोटी बघेली जोधपुर, ब्रम्हशिला फतेहपुर, हरिद्वार राजघाट, कनखल हरिद्वार, छत्रपालगढ़, हनुमानजी इंदिराकुआं दिल्ली, रघुनाथजी रामनाथ दारागंज इलाहाबाद।
अंतिम समय में लक्ष्मणबाग आ गए थे महाराज-
लक्ष्मणबाग संस्थान राज परिवार का ही नहीं वरन रीवा रियासत का गुरुद्वारा था। यहां पर साधु-संतों का आना-जाना होता था। लक्ष्मणबाग की ख्याति काफी बढ़ गई थी। यहां पर धर्म की सरिता प्रवाहित होने लगी थी। महाराजा रघुराज सिंह जू देव अपने अंतिम दिनों में किला छोड़कर लक्ष्मणबाग आ गए और स्वामी लक्ष्मी प्रपन्नाचार्य सेवा करते हुए संवत् 1936 में परलोकवासी हो गए। महाराज के वियोग में कुछ दिनों बाद स्वामी लक्ष्मी प्रपन्नाचार्य भी परमधाम को प्राप्त हुए।  

जिसे बनाया खजाने का मालिक उसी ने की गड़बड़ी-

लक्ष्मणबाग संस्थान के मंदिरों के देखभाल एवं पूजा-पाठ के लिए जिन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई उसी ने गड़बड़ी की। देश के जिस कोने में लक्ष्मणबाग की संपत्ति है वह खुर्द-बुर्द हो रही है। बताया जाता है, कि लक्ष्मणबाग संस्थान की जमीने अन्य के नाम हो गई। लक्ष्मणबाग संस्थान के धर्मशाला जो थे उनसे जो किराए मिलते थे, वे भी लोग खाने लगे। अभी भी कई जगह लक्ष्मणबाग संस्थान की दुकानें किराए पर चल रही हैं, जिसका अब किराया आना शुरू हुआ है। एक साल से लक्ष्मणबाग संस्थान को लेकर यहां का प्रशासन सक्रिय हुआ है। इस संस्थान के अध्यक्ष वर्तमान मे कलेक्टर हैं। लक्ष्मणबाग संस्थान रीवा में चारों धाम के देवता स्थापित हैं। इन मंदिरों के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू किया गया है। समझा जाता है, कि अब इसके दिन फिर फिरेंगे।

लक्ष्मणबाग के स्वामित्व में रहने वाली संपत्तियां

श्रीराम मंदिर मूलमठ तिरुपति बालाजी
जनार्दन मठ श्रीरंगम त्रिचनापल्ली तमिनालाडु
लक्ष्मीनारायण मंदिर सदर बाजार बिलासपुर छत्तीसगढ़
राजासाहब मंदिर मड़वा एवं सोनवर्षा सीधी
रामसीता मंदिर मंंगुरुहई रीवा म.प्र.
मुंशी बद्री प्रसाद खास कलम मंदिर उपरटी रीवा, हनुमान मंदिर मुकुंदपुर सतना
डोंगरा हनुमान मंदिर रीवा
रामकृष्ण मंदिर सतना कोठी
वृन्दावन बिहारी कुंज बाग ललितपुर सतना
कस्तूरीबाई मंदिर वृन्दावन मथुरा उ.प्र.
गोरेदाऊ जी मंदिर मथुरा उत्तर प्रदेश
मंदिर ब्रम्हकुल वृन्दावन मथुरा उत्तर प्रदेश आदि शामिल हैं।

मनोज कुमार पुष्प, कलेक्टर का कहना है कि लक्ष्मणबाग रीवा का गौरव है, इसके वैभव की वापसी हो रही है। लक्ष्मणबाग संस्थान के मंदिरों के जीर्णोद्धार का काम शुरू हो गया है। जो भी सम्पत्ति इधर-उधर है उसे सब व्यवस्थित किया जा रहा है। जल्द ही लक्ष्मणबाग नये सिरे से पुर्नस्थापित होगा।
 

Created On :   15 April 2022 4:55 PM IST

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