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750 करोड़ की गोंड परियोजना का शीघ्र प्रारंभ होगा कार्य
![District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli! District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/no-post.png)
डिजिटल डेस्क, सिंगरौली(वैढ़न)। पिछले एक साल से जारी कवायद के बाद आखिर गोंड परियोजना का टेंडर फाइनल हो गया है। शासन ने सिंचाई और पेयजल परियोजना का टेंडर 750 करोड़ में फाइनल कर दिया है, जबकि इसका डीपीआर 1100 करोड़ रुपए का तैयार हुआ था। निर्माण एजेंसी को गोंड परियोजना का कार्य पूरा करने के लिए 48 महीने का समय दिया गया है। जल संसाधन विभाग की जानकारी के मुताबिक जालपानी के जलभराव क्षेत्र में जलाशय का निर्माण होने के बाद 147 गांवों के किसानों के फसलों को पानी मिलेगा। इस वृहद सिंचाई बहुउद्देशीय परियोजना से जिले के जालपानी ,मझौली और निगरी का 28 हजार हेक्टेयर रकवा सिंचित हो जाएगा।
गोंड परियोजना में पेयजल, मछली पालन और खुद के लिए बिजली तैयार करने का प्लान बनाया गया है। जल संसाधन के कार्यपालन यंत्री ने बताया कि लोकसभा चुनाव के बाद ही गोंड परियोजना की प्रोसेस आगे बढ़ पाएगी। उन्होंने बताया की शासन स्तर से निविदा की कार्रवाई पूर्ण होने के बाद परियोजना को मंजूरी दे दी गई है। गौरतलब है कि वृहद सिंचाई और पेयजल परियोजना का कई बार टेंडर जारी होने के बाद अफसरों को सफलता नहीं मिल पाई है। परियोजना का टेंडर होने के बाद अफसरों ने राहत की सांस ली है।
10 गांवों को मिलेगा पेयजल
गोंड परियोजना से सिंचाई के साथ जिले के 10 गांवों के लोगों को पेयजल भी मिलेगा। कार्य योजना के अनुसार गोंड परियोजना का 1219 हेक्टयर जमीन पर निर्माण कार्य कर पानी को संरक्षित किया जाएगा। जलाशय में स्टोरेज पानी को नहर के जरिए किसानों के खेतों में पहुंचाया जाएगा। इसके साथ पेयजल के लिए पाइप लाइन बिछाने की कार्ययोजना तैयार की गई है। बताया जाता है कि निर्माण एजेंसी के क र्मचारियों ने मौके का निरीक्षण कर लिया है। जलाशय को गोपद नदी के पानी से भरा जाएगा। जबकि डैम के एक हिस्से में खुद के उपयोग के लिए बिजली और पेयजल का प्लांट स्थापित किया जाएगा। कार्य योजना में मछली पालन के लिए भी डैम के एक हिस्से का उपयोग किया जाएगा।
इनका कहना है
गोंड परियोजना का टेंडर फाइनल हो चुका है। आचार संहिता के बाद ही आगे की प्रोसेस बढ़ पाएगी। फिलहाल टेंडर के बाद यथास्थिति कायम है।
रामावतार कौशिक, कार्यपालन यंत्री ,जल संसाधन
Created On :   8 May 2019 8:50 AM GMT