- Home
- /
- 4 लाख विद्यार्थियों की है लिस्ट ,...
4 लाख विद्यार्थियों की है लिस्ट , मात्र 20 हजार को मिला बीमा कवर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा इस वर्ष शुरू की गई विद्यार्थी बीमा योजना कॉलेजों और विभाग प्रमुखों के ठंडे प्रतिसाद के कारण विफल साबित हो रही है। अब तक कुल 4 लाख विद्यार्थियों में से महज 20 हजार विद्यार्थियों को ही बीमा कवर मिला है। कैंपस के 3000 विद्यार्थियों में से महज 1300 विद्यार्थियों का बीमा हुआ है। वहीं 503 संलग्नित कॉलेजों में से सिर्फ 37 कॉलेजों के करीब 19 हजार विद्यार्थियों को बीमा कवर मिला है। इतने कम प्रतिसाद के कारण नागपुर यूनिवर्सिटी ने सभी कॉलेजों और विभाग प्रमुखों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
दिखाई दे रहा नुकसान
कॉलेजों ने विद्यार्थियों के प्रवेश के वक्त ही बीमा शुल्क 40 रुपए वसूल कर लिए हैं, लेकिन इंश्योरेंस कंपनी को यह रकम नहीं मिलने से विद्यार्थियों का इंश्योरेंस कवर शुरू नहीं हुआ है। इसके नुकसान भी देखने को मिल रहे हैं। हाल ही में एक कॉलेज छात्रा की करंट लगने से मृत्यु हुई है, उसने प्रवेश के वक्त ही बीमा शुल्क भरा, लेकिन कॉलेज द्वारा इंश्योरेंस कंपनी को यह रकम नहीं भरने से छात्रा का परिवार बीमा लाभ से वंचित रह गया है।
3 लाख रुपए का है कवर
नागपुर विवि ने न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के साथ एमओयू करके विद्यार्थियों को 40 रुपए शुल्क भरने पर 3 लाख रूपए का बीमा कवर देने का फैसला लिया। बीते सितंबर में नागपुर विवि ने सभी संलग्नित कॉलेजों और पीजी विभाग प्रमुखों के नाम अधिसूचना जारी कर विद्यार्थियों का बीमा कराने के निर्देश दिए, इसके बावजूद कॉलेजों और विभागों के कान पर जूं नहीं रेंगी।
की जानी चाहिए कार्रवाई
मामले में मैनेजमेंट काउंसिल सदस्य डॉ. नितीन कोंगरे ने कहा है कि एक ओर जहां विश्वविद्यालय और कॉलेज प्रशासन खुद को विद्यार्थी केंद्रित बताता है, वहीं दूसरी ओर विद्यार्थियों के स्वास्थ्य के प्रति वह गंभीर नजर नहीं आ रहा। विवि की योजना अच्छी है, लेकिन उसे जैसा प्रतिसाद मिल रहा है, उससे तो यही लगता है कि योजना का उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है। बीमा योजना की पहल करने वाले मैनेजमेंट काउंसिल सदस्य विष्णु चांगदे ने तो विद्यार्थियों की बीमा रकम नहीं भरने वाले कॉलेजों और पीजी विभागों पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा है कि बीमा कराना कॉलेजों और पीजी विभाग प्रमुखों की जिम्मेदारी है। कोरोना के विकट काल के बावजूद इस प्रकार का रवैया ठीक नहीं है।
Created On :   29 March 2022 1:07 PM IST