राशन,बिजली,पानी समेत आम लोगों से सीधे तौर पर जुड़ी समस्याओं निराकरण से हजारों उपभोक्ताओं को मिला लाभ

Thousands of consumers benefited by solving problems directly related to common people.
राशन,बिजली,पानी समेत आम लोगों से सीधे तौर पर जुड़ी समस्याओं निराकरण से हजारों उपभोक्ताओं को मिला लाभ
छतरपुर राशन,बिजली,पानी समेत आम लोगों से सीधे तौर पर जुड़ी समस्याओं निराकरण से हजारों उपभोक्ताओं को मिला लाभ

डिजिटल डेस्क,छतरपुर। आम लोगों से सीधे जुड़ी राशन, बिजली पानी समेत 1200 शिकायतों का स्थानीय कंट्रोल रूम ने सीएम हेल्पलाइन को मात देते हुए नया रिकॉर्ड बनाया है। यहां कंट्रोल रूम में तीन माह के अंदर दर्ज 1200 शिकायतों को अफसरों ने आवेदकों की 71 फीसदी संतुष्टि के आधार पर निराकरण किया है। कंट्रोल रूम के नोडल अधिकारी के दावों पर यदि यकीन करें तो प्रदेश भर संतुष्टि के आधार इतनी बड़ी संख्या में आवेदकों की संतुष्टि के आधार कहीं भी निराकरण नहीं हुआ है। स्थानीय कंट्रोल रूम में दर्ज शिकायतों की क्लोजर रिपोर्ट पर गौर करें तो अधिकांश कम्प्लेन लेबल वन अफसरों के स्तर पर ही समाधान किया गया है। जानकारों का कहना कि कलेक्टर संदीप जीआर की कड़ी निगरानी और मॉनिटरिंग के चलते छतरपुर जिले ने प्रदेश में टॉप पर जगह बनाई है।

गुणवत्ता के साथ समाधान का भी बढ़ा रेसियों

जिला स्तरीय कंट्रोल रूम के हेल्पलाइन नंबर 07682- 181 में तीन माह के दौरान 1600 शिकायतें दर्ज हुई है। इनमें से 1200 शिकायतों का प्रशासन ने पूरी गुणवत्ता के साथ समाधान कराया है। जानकारी के अनुसार लोकल कंट्रोल रूम में पात्रता पर्ची जारी नहीं होने, आधा-अधूरा राशन मिलने, पेयजल की सप्लाई बहाल कराने, बिजली की अघोषित कटौती और लो-वोल्टेज, ट्रांसफार्मर जलने की शिकायतें दर्ज हुई है। इतना ही नहीं पुलिस द्वारा एफआईआर नहीं दर्ज करने, आरोपियों की गिरफ्तारी में हीलाहवाली करने की शिकायतों का उच्च गुणवत्ता के साथ निराकरण किया गया है।

सीएम हेल्पलाइन की शिकायत से सिर्फ 35 फीसदी लोग संतुष्ट

स्टेट लेबल से सीएम हेल्पलाइन की जारी ग्रेडिंग की जानकारी के अनुसार छतरपुर जिले में दर्ज हुई शिकायतों में केवल 35 फीसदी आवेदकों के संतुष्ट होने का खुलासा हुआ। इतना ही नहीं सीएम हेल्पलाइन में नॉट अटेंड और गुणवत्ता पूर्ण निराकरण के अनुपात में भी गिरावट दर्ज हुई है। इसके विपरीत जिला स्तरीय कंट्रोल रूम में इतनी बड़ी संख्या में आवेदकों के संतुष्ट होने के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। इस सफलता का सबसे अधिक कारण है कि स्थानीय कंट्रोल रूम में शिकायत के दर्ज होने के साथ तत्काल संबंधित अफसर कम्प्लेन ट्रांसफर की जा रही है। इसके साथ ही कंट्रोल रूम में दर्ज शिकायतों की कलेक्टर द्वारा अलग से समीक्षा की जा रही है।

प्रशासन की मेहनत कैसे लाई रंग

> कंट्रोल रूम में शिकायत दर्ज होने के साथ ही उन्हें सीएम हेल्पलाइन में मर्ज कर संबंधित अधिकारी को महज 5 मिनट के अंदर ट्रांसफर किया जा रहा है।
> कलेक्ट्रेट के कंट्रोल रूम में दर्ज होने वाली शिकायतों के निराकरण के लिए लेबल वन अधिकारी को केवल 7 दिन का समय दिया जा रहा है।
> लेबल वन अधिकारी द्वारा यदि निर्धारित समय-सीमा में शिकायत का निराकरण नहीं किया जाता है तो संयुक्त कलेक्टर द्वारा इसकी रिपोर्ट सीधे कलेक्टर को भेजी जाती है।
> कंट्रोल में दर्ज होने वाली शिकायतों का प्रतिदिन नोडल अधिकारी द्वारा डेटाबेस तैयार किया जा रहा है। यह डेटाबेस ऑटोमैटिक शिकायत के दर्ज होने के बाद जांच का लेबल और प्रोग्रेस की रिपोर्ट डेली जनरेट हो रही है।
>शिकायतों का समय-सीमा में समाधान नहीं होने पर कलेक्टर द्वारा अफसरों को नोटस जारी करने के साथ वेतन कटौती और विभागीय कार्रवाई की जाती है।
> यह प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन संचालित है। इतना ही नहीं अफसरों को सीधे उनके मेल पर नोटिस भेज कर 3 दिन के अंदर ऑनलाइन जवाब तलब किया जा रहा है।
 

Created On :   19 Sep 2022 10:26 AM GMT

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