काटोल में गल महोत्सव की परंपरा बरकरार

Tradition of Gal Festival continues in Katol
काटोल में गल महोत्सव की परंपरा बरकरार
रंगोत्सव पर्व काटोल में गल महोत्सव की परंपरा बरकरार

डिजिटल डेस्क, काटोल। रंगोत्सव पर्व पर काटोल के गलपुरा परिसर में तकरीबन 90 साल पुरानी ‘गल’ महोत्सव की परंपरा बनी हुई है। जिसे देखने दूर-दाराज से बड़ी संख्या में लाेग उमड़ते हैं। गलपुरा निवासी माधवराव विठोबा धवड़ को तीन बेटियां थी। पुत्रप्राप्ति के लिए उन्होंने मेघनाथ बाबा से मन्नत मांगी और पुत्र प्राप्त होने पर उसका नाम जगन्नाथ रखा गया। वर्ष 1932 में ‘गल’ लगाने की परंपरा बरकरार है। अब इस परंपरा को जगन्नाथ का पुत्र रवि निभा रहा है। ‘गल’ की विशेषता महोत्सव के दिन पहले से उपवास रखा जाता है। तीसरे दिन ऊंचे खंभे पर पेट के बल रस्सी बांधकर खंभे के गोल चक्कर लगाना ‘गल’ कहलाता है।

Created On :   20 March 2022 9:00 AM GMT

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