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अपराधों में जबरदस्त वृद्धि- पुलिस की कार्यशैली पर लगातार सवाल उठ रहे
डिजिटल डेस्क छतरपुर । गौरिहार थाना प्रभारी सरिता बर्मन द्वारा हत्या के एक मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई न किए जाने और बेगुनाह लोगों को आरोपी बनाए जाने का दबाव बनाए जाने से नाराज भारतीय जनता पार्र्टी के पूर्व विधायक को अपनी ही सरकार और अपने की प्रशासन के खिलाफ धरने पर बैठना पड़ा। चंदला के पूर्व विधायक विजय बहादुर सिंह की बात जब थाना प्रभारी ने नहीं सुनी तो विवश होकर उन्हें एसपी आफिस के सामने पीडि़तों सहित जमीन पर धरने पर बैठना पड़ा। हालांकि पूर्व विधायक द्वारा धरने पर बैठे जाने के बाद एसपी सचिन शर्मा ने तत्काल गौरिहार टीआई सरिता बर्मन के खिलाफ एक्शन लिया और उन्हें लाइन अटैच कर दिया। टीआई को भले ही लाइन अटैच कर दिया गया हो, लेकिन एक बात साबित हो रही है कि जिले के ज्यादातर थाना प्रभारियों को थाने आने वाले पीडि़तों से किसी तरह का सरोकार नहीं रहता है।
8 सदस्यीय टीम गठित
इस मामले में एसपी सचिन शर्मा का कहना है कि पूर्व विधायक की मांग पर हत्या के मामले की जांच के लिए 8 सदस्सीय टीम गठित की गई है। जो पूरे मामले की जांच करेंगे। एसपी का कहना है कि हत्या जैसे मामले में लापरवाही बरतने पर गौरिहार टीआई सरिता बर्मन को लाइन अटैच कर दिया गया है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल गौरिहार के रेवना गांव निवासी लटोरा अहिरवार का शव 25 जुलाई को संदिग्ध अवस्था में खेत पर पड़ा मिला था। शरीर में चोट के निशान मिले थे। लटोरा अहिरवार के परिजनों ने हत्या का संदेह जाहिर किया था। और पुलिस से शिकायत कर गांव के कुछ लोगों से पुराना विवाद बताया था। उसके बाद भी गौरिहार टीआई सरिता बर्मन द्वारा मृतक के परिजनों की शिकायत को न तो गंभीरता से लिया गया और न उनके द्वारा बताए गए लोगों से पूछताछ की गई। जबकि परिजनों का साफ कहना है कि लटोरा का गांव के ही कुछ लोगों से पूर्व से विवाद चल रहा था। सबसे दुखद पहलू यह रहा कि ग्रामीण नामजद आरोपियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर एसडीओपी, एसपी तक के चक्कर लगाते रहे, लेकिन किसी को फर्क नहीं पड़ा। और जब पूर्व विधायक नाराज होकर एसपी आफिस के सामने धरने पर बैठ गए, तो सभी तुरंत जागृत मुद्रा में आ गए।
जनप्रतिनिधियों को नहीं मिलता रिस्पांस
पूर्व विधायक विजय बहादुर सिंह बुंदेला का कहना है कि गौरिहार थाना प्रभारी रहीं सरिता बर्मन जन प्रतिनिधियों को रिस्पांस नहीं देती हंै। जब भी किसी मामले में थाना प्रभारी को फोन किया जाता है तो वे फोन तक रिसीव नहीं करती हैं। गौरतलब है कि जिले में पदस्थ कई थाना प्रभारी अभी तक पूर्व सरकार के उपकार को नहीं भूल पा रहे हंै, यही वजह है कि वे भाजपा नेताओं को तवज्जो नहीं देते हैं।
विवादों से है पुराना नाता
गौरिहार टीआई रहीं सरिता बर्मन का विवादों से पुराना नाता है। जब वे कोतवाली थाने में पदस्थ थीं, तब भी उनके उपर कई आरोप लगे थे। जुआ सटटा, शराब कारोबारियों से सांठगाठ के आरोप लगने के बाद उन्हे कोतवाली से हटा दिया गया था। कुछ समय तक पुलिस लाइन में रहने के बाद अपनी ऊंची पहुंच लगाकर एक बार फिर से वे मलाईदार गौरिहार थाने पहुंच गई थी, लेकिन यहां पर भी विवादों से उनका पीछा नहीं छूटा और रेत कारोबारियों से साठगाठ के आरोप लगते रहे हैं। लिहाजा उन्हे गौरिहार से हटा कर उनकी जगह पर उप निरीक्षक जसवंत सिंह राजपूत को गौरिहार का प्रभारी बनाया गया है।
Created On :   11 Aug 2020 3:52 PM IST