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18 घंटे में दो डिरेल, पहले 5 फिर 1 वैगेन हुआ बेपटरी
डिजिटल डेस्क सिंगरौली (मोरवा)। सिंगरौली रेल साइडिंग में 18 घंटे में दो डिरेल हुए। सुबह लगभग 5 बजे अचानक कोयला लोड ट्रेन के किसी बाक्स का गेट खुल गया जिससे कोयला टै्रक पर आ पहुंचा और साइडिंग नम्बर 2 पर एक के बाद एक 5 डिब्बे पटरी से उतर गये। जिसके बाद तो साइडिंग में काम ही बंद हो गया और बेपटरी से उतरे हुए डिब्बों को उठाने के लिये चोपन से एआरटी मंगाई गई। दोपहर बाद किसी से तरह से काम शुरू हुआ तो रात लगभग पौने 12 बजे इसी लाइन पर एक डिब्बा फिर पटरी से उतर गया। इस घटना के बाद रेलवे में लोडिंग का कार्य रूक गया और दोबार एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन मंगानी पड़ी। एक ही दिन में दो-दो डीरेल होने से वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन अधिक से अधिक लोडिंग करने का लक्ष्य गड़बड़ा गया। साथ ही कर्मचारी व गैेंग मैन सभी साइडिंग में जूझते रहे। बताया जाता है कि लाइन नम्बर 8 के ट्रैक हर समय कोयले से भरे रहते हैं। जिसकी शिकायत लोको पायलट व एएलपी लगातार करते रहते हैं। साथ ही बाक्स के गेट भी ठीक से बंद नही किये जाते हैं जिससे इस प्रकार की घटनाएं लगातार हो रही हैं। दिन में दो बार डिरेल होने के कारण कम से कम तीन रैक कोयला लोडिंग पर असर पड़ा। जिससे रेलवे को आखिरी दिन लगभग 2 करोड़ रूपये का नुकसान होना बताया जा रहा है। यह घटना उस समय हुई जब स्पर साइडिंग नं. 2 पर एक अन्य मालगाड़ी की लोडिंग हो रही थी। शुक्र इस बात का रहा कि गेट खुलने से कोयला इसी ट्रैक पर गिरा वरना दूसरी मालगाड़ी का मूवमेंट कराना मुश्किल हो जाता।
दो बार बुलाई गई एआरटी
एक के बाद एक हुए डीरेल के लिये चोपन से दो बार एआरटी को बुलाना पड़ा। जिसे चोपन से आने में ही एक घंटे का समय लग जाता है। गैंग मैन व कर्मचारियों को लोड बाक्स उठाने के लिये कई घंटे का समय लगा। इस सबके बावजूद ट्रैक पर साफ सफाई नहीं कराई गयी। दोनों ओर से कोयले के ढेर ट्रैक के किनारे पड़े रहे। पहले तीन से चार घंटे और उसके बाद दो घंटे तक मशक्कत के बाद डिरेल हुए वैगेन को रिरेल किया जा सका।
मुश्किल में पड़ी सुरक्षा व संरक्षा
सिंगरौली रेलवे साइडिंग के कटनी इंड में अभी तक शंटिंग नोज नहीं बन पाने के कारण गुड्स ट्रेन का परिचालन लगातार प्रभावित हो रहा है। साथ ही लोको इंजिन सहित पायलट्स की सुरक्षा व संरक्षा मुश्किल में पड़ जाती है। बावजूद स्टेशन का ट्रैफिक विभाग अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने की बजाय एनसीएल की साइडिंग होने का हवाला देकर डैमरेज चार्ज बनाकर अपना पल्ला झाड़ लेता है। जो कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है।
साइडिंग पर डीरेल आम बात
आश्चर्य तो इस बात का है कि करोड़ों रूपये के नुकसान के बाद भी रेलवे कर्मचारी इसे आम बात बता रहे हैं। जिसमें रेलवे के मालभाड़े के रूप में कई करोड़ का नुकसान होता है वह भी लापरवाही के चलते यदि साइडिंग पर रेल ट्रैक को नियमानुसार सुरक्षित रखा जाय तो इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सकता है। लेकिन लापरवाही और अनदेखी के चलते न केवल परेशानी होती है बल्कि रेलवे को लाखों रूपये का चूना भी लगता है। भाड़े का नुकसान भी करोड़ों में पहुंच जाता है।
Created On :   2 April 2018 2:00 PM IST