फर्जी पीएचडी मामले में कुलसचिव सहित दो प्रोफेसर्स सस्पेंड

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फर्जी पीएचडी मामले में कुलसचिव सहित दो प्रोफेसर्स सस्पेंड

डिजिटल डेस्क छतरपुर । मप्र शासन उच्च शिक्षा विभाग ने  जिले के दो प्राध्यापकों को सस्पेंड कर दिया है, इनमें महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव भी शामिल हैं। इन दोनों प्राध्यापकों की पीएचडी डिग्री को उच्च शिक्षा विभाग ने फर्जी माना है।
मप्र शासन उच्च शिक्षा विभाग के अवर सचिव संजीव कुमार जैन ने बुधवार को दो अलग-अलग आदेश जारी किए, इनमें एक आदेश में महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. पीके पटैरिया प्राध्यापक रसायन शास्त्र को सस्पेंड कर दिया है। अवर सचिव जैन ने अपने आदेश क्रमांक एफ १७-२३/२०१७/ ३८-१ की पीएचडी डिग्री को फर्जी माना है। आदेश में बताया गया कि डॉ. पीके पटैरिया ने जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी राजस्थान से फर्जी पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है। इन्होंने कूटचरित दस्तावेजों के आधार पर शासन को भ्रमित करते हुए मप्र के महाविद्यालय में पदस्थ होकर वेतन का सदोष लाभ प्राप्त कर शासन को हानि पहुंचाई है। अवर सचिव ने इसे सिविल सेवा नियम के तहत दोषी पाते हुए निलंबित कर दिया है। डॉ. पीके पटैरिया को निलंबनकाल में मुख्यालय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा सागर संभाग सागर में होगा। इसी प्रकार एक अन्य प्रोफेसर डॉ. धर्मेश खरे को भी जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी जोधपुर से फर्जी पीएचडी की डिग्री प्राप्त कर प्रमोशन और वेतन वृद्धि का लाभ लेने का दंोषी पाते हुए निलंबित किया गया है। धर्मेश खरे का भी निलंबन काल में मुख्यालय अतिरिक्त क्षेत्रीय संचालक सागर आफिस होगा। गौरतलब है कि करीब छह साल पहले जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी जोधपुर से २५ हजार फर्जी डिग्रियां जारी होने का मामला उजागर हुआ था। इसी मामले में महाराजा कॉलेज छतरपुर में अतिथि खेल प्रशिक्षक अरविंद मेहलोनियां, नौगांव कॉलेज के अतिथि खेल शिक्षक हेमंत यादव, राहुल अवस्थी द्वारा भी इसी विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्रियां प्राप्त की थीं, जिन्हें हाईकोर्ट से स्टे मिला हुआ है। इस मामले में निलंबित कुल सचिव डॉ. पीके पटैरिया का कहना है कि पीएचडी डिग्री को फर्जी सिद्ध करने का अधिकार विश्वविद्यालय को है। जोधपुर यूनिवर्सिटी ने मेरी डिग्री को फर्जी नहीं बताया है। मैं इस मामले में कोर्ट की शरण में जाऊंगा।
 

Created On :   20 Feb 2020 7:50 AM GMT

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