ऐश डैम हादसे से भयभीत ग्रामीण गांव छोड़ रह रहे कैम्प में

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ऐश डैम हादसे से भयभीत ग्रामीण गांव छोड़ रह रहे कैम्प में

डिजिटल डेस्क सिंगरौली (वैढऩ)। रिलायंस सासन पावर के ऐश डैम के भयावह हादसे का मंजर अब भी ग्राम पंचायत सिद्धीकला के ग्राम लटबुड़वा के लोगों को भयभीत कर रहा है। ये ग्रामीण इतने भयभीत हैं कि ये सभी अपने गांव से बाहर एक सुरक्षित जगह पर खुद से कैम्प बनाकर रहने को मजबूर हैं। बताया जाता है कि ग्राम लटबुड़वा क्षेत्र में ही दो जगह ग्रामीणों ने कैम्प बनाये हैं और दोनों जगह कुल करीब 100 से ज्यादा परिवार रह रहे हैं। जानकारी के अनुसार इन ग्रामीणों में कई तो ऐसे हैं, जिनके घर डैम के मलबे में तबाह हो गये हैं। इसके अलावा बाकी ऐसे लोग हैं, जिनके घर बच तो गये हैं, लेकिन उन्हें यह भय अभी भी सता रहा है कि जो ऐश डैम फूट चुका है उसके बगल का दूसरा डैम भी कभी भी फूट सकता है। इन हालात में गांव में अपने घर में अगर वह रहेंगे, तो दूसरे ऐश डैम के मलबे का शिकार हो जायेंगे। वाकई में यह कहना गलत नहीं होगा कि ग्रामीणों का यह भय, वहां बने हुये गंभीर हालात को बयां करने के लिये काफी है। बावजूद इसके इन गंभीर हालात में प्रशासनिक महकमे और हादसे की जिम्मेदार सासन पावर द्वारा ग्रामीणों के लिये क्या इंतजाम मुहैया कराये गये हैं? उनका भी अंदाजा इन हालातों से आसानी से लगाया जा सकता है।
कैसे हो रही भोजन व्यवस्था?
बताया जाता है कि कैम्प में ज्यादातर ग्रामीण अपने लिये भोजन वहीं कैम्प के आसपास ही बनाते हैं। जबकि कुछ ग्रामीण जिनके घर मलबे की चपेट में आने से बच गये हैं। वह घर पर भोजन बनाकर कैम्प में ले आते हैं और कैम्प पर ही रहते हैं। बताया जाता है कि इन ग्रामीणों को वैसे तो कुछ दिन पहले जिला प्रशासन द्वारा राशन मुहैया कराया गया था, लेकिन ग्रामीण बताते हैं कि वह राशन भी पर्याप्त नहीं है और इससे वह काफी चिंतित हैं कि अपने परिवार का पेट कैसे भरेंगे? हालांकि दिन में दो बार लंच पैकेट्स भी इन्हें दिये जाते हैं, लेकिन वह भी कई बार पर्याप्त नहीं हो पाते हैं। 
ग्रामीणों ने खुद से बनाई झोपड़ी
कंपनी की लापरवाहियों और हादसे के शिकार ग्रामीणों को लेकर प्रशासन और खुद कंपनी के लोग कितने फिक्रमंद हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्रामीणों ने कैंप में अपने परिवार के साथ रहने के लिये खुद से ही झोपड़ीनुमा तम्बू बनाया है। जिन्हें बड़ी पन्नी मिल गई तो उन्होंने पन्नी से और बाकियों ने बोरियों को सिलकर बड़ी साइज में बनाकर अपने रहने के लिये झोपड़ी बनाई है। 
आंधी में उखड़ी झोपड़ी
हादसे के शिकार ग्रामीण फिलहाल जिस तरह की स्थिति में रहने को मजबूर हैं, उसमें दिन में ग्रामीण अपने परिवार सहित चिलचिलाती धूप की मार झेलने को मजबूर रहते हैं। उमस की मार भी उनके लिये बड़ी परेशानी का सबब बनी रहती है। बुधवार की शाम क्षेत्र में अचानक बदले मौसम के दौरान काफी तेजी आंधी आयी थी, जिसमें यहां बनी ज्यादातर झोपड़ी उखड़ गईं। बूंदाबादी के दौरान भी इनकी परेशानी का सिलसिला जारी रहा।
सांप-बिच्छू का रहता है डर
ग्रामीणों के कैम्प में फिलहाल बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण इन्हें खासकर रात के समय असुरक्षा के साये में रहना पड़ रहा है। बुधवार की शाम आंधी से उखड़ी झोपडिय़ों को ग्रामीण जब खुद से व्यवस्थित करने में जुटे थे तो उसी दौरान वहां एक सर्प आ गया। सर्प पर किसी का पैर पड़ गया और इसके बाद वहां हड़कंप मच गया। गनीमत रही कि इस दौरान कोई हताहत तो नहीं हुआ, लेकिन वहां ग्रामीणों के बच्चे व महिलाएं काफी डरे हुये हैं।
सोशल डिस्टेंसिंग का अता-पता नहीं
एक तरफ इन दिनों हर जगह कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिये लोगों को घर पर ही रहने को कहा जा रहा है, तो वहीं ये भयावह हादसे के शिकार इन ग्रामीणों से तो इनके घर ही छिन गये हैं। ऊपर से लोग जहां एक साथ रह रहे हैं, वहां सोशल डिस्टेंसिंग भी नहीं हो पा रही है। कहीं ये हालात परेशानी का सबब न बन जाये, इस पर भी प्रशासन को ध्यान देने के साथ ही जल्द से जल्द इनके लिये कोई इंतजाम कराना चाहिए।
 

Created On :   16 April 2020 7:25 PM IST

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