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Pune City News: मावल में अजित पवार की पकड़ मजबूत

- दो नगर परिषद और दो नगर पंचायतों में वर्चस्व
- 25 साल का भाजपा किला डगमगाया
भास्कर न्यूज, प्रमुख संवाददाता। राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण समझे जाने मावल विधानसभा क्षेत्र, जो पिछले करीब 25 साल से भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है, वहां अब राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजित पवार गुट) की जड़ें तेजी से मजबूत होती दिख रही हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस से दूसरी बार विधायक चुने गए सुनील शेलके ने क्षेत्र की दो नगर परिषदों और दो नगर पंचायतों में निर्णायक वर्चस्व स्थापित कर यह संकेत दे दिया है कि मावल की राजनीति में बड़ा बदलाव हो चुका है। नगर परिषद चुनाव परिणामों से स्पष्ट है कि विधायक शेलके ने न केवल राजनीतिक ताकत बरकरार रखी है, बल्कि मावल में राष्ट्रवादी कांग्रेस की पकड़ को और मजबूत किया है।
पिंपरी चिंचवड़ से सटी मावल तहसील में 1967 में स्वतंत्र विधानसभा क्षेत्र बना। शुरुआती साल में यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। 1962, 1967, 1978, 1980, 1985 और 1990 में कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की। हालांकि, 1995 निर्णायक साबित हुआ, जब कांग्रेस में बगावत का फायदा उठाते हुए भाजपा ने जीत हासिल की। उसके बाद लगातार 25 साल तक भाजपा के उम्मीदवार यहां विजयी होते रहे, जिससे मावल भाजपा का मजबूत किला बन गया। 2019 में भाजपा में टिकट न मिलने के बाद सुनील शेलके ने राष्ट्रवादी कांग्रेस में प्रवेश किया और भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री बाला भेगड़े को 90 हजार से ज्यादा मतों से हराया। राष्ट्रवादी कांग्रेस के लिए यह ऐतिहासिक जीत थी, क्योंकि पार्टी की स्थापना के बाद पहली बार ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न पर मावल से विधायक चुना गया।
2024 में रिकॉर्ड जीत
2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा समर्थित बागी उम्मीदवार के खिलाफ अकेले चुनाव लड़ते हुए सुनील शेलके ने 1 लाख 8 हजार 565 मतों के भारी अंतर से जीत दर्ज की। सभी प्रमुख विरोधी एकजुट होने के बावजूद यह जीत उनकी राजनीतिक पकड़ को दर्शाती है। शेलके के पुनः विधायक बनने के बाद पहली बार लोनावला और तलेगांव दाभाड़े नगर परिषद और वड़गांव नगर पंचायत के चुनाव हुए। लोनावला में भाजपा की सत्ता छिन गई, राष्ट्रवादी ने जोरदार जीत दर्ज की। वड़गांव नगर पंचायत में नगराध्यक्ष सहित नौ सीट जीतकर राष्ट्रवादी ने सत्ता हासिल की। तलेगांव दाभाड़े में भाजपा का नगर अध्यक्ष चुना गया, लेकिन उनकी उम्मीदवारी और जीत में विधायक शेलके की भूमिका निर्णायक रही। राष्ट्रवादी के 17 नगरसेवक चुने गए, जबकि भाजपा के केवल 10 चुने गए।
अतिआत्मविश्वास से नुकसान
विधानसभा में भारी जीत के बाद भी भाजपा ने लोनावला और वड़गांव में गठबंधन से दूरी बनाई। अतिआत्मविश्वास का खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा। लोणावला में जहां पहले भाजपा की 15 सीटों के साथ सत्ता थी, वहां इस बार पार्टी को केवल चार सीटों पर संतोष करना पड़ा। मावल लोकसभा के सांसद शिवसेना (शिंदे) गुट से होने के बावजूद लोनावला, तलेगांव और वड़गांव में पार्टी का एक भी नगरसेवक निर्वाचित नहीं हो सका, जिससे पार्टी की स्थिति कमजोर दिखाई दी। चुनावों के नतीजों ने साफ कर दिया है कि मावल विधानसभा में अब राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजित पवार गुट) का दबदबा बढ़ चुका है। सुनील शेलके के नेतृत्व में भाजपा का वर्षों पुराना किला दरकता नजर आ रहा है और आने वाले चुनावों में यह क्षेत्र राज्य की राजनीति का अहम केंद्र बना रहेगा।
Created On :   24 Dec 2025 2:40 PM IST












