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Pune City News: सत्ता का दावा करने वालों को जमीनी ताकत पर भरोसा नहीं

- 'आयाराम-गयाराम' के भरोसे फतह होगा किला!
- मनपा चुनाव में निष्ठा पर भारी पड़ रही 'सियासी महत्वाकांक्षा'
- सत्ता के लिए विचारधारा को 'तिलांजलि'
भास्कर न्यूज, संतोष मिश्रा। राज्य की औद्योगिक नगरी पिंपरी चिंचवड़ में मनपा चुनावों का बिगुल बजते ही राजनीतिक पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया है। एक तरफ 'गली से दिल्ली' तक राज करने वाली भाजपा के 'चाणक्य' शहर में '100 पार' का दावा कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ उपमुख्यमंत्री अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पूरे दमखम के साथ 'नया महापौर हमारा ही होगा' की हुंकार भर रही है। हालांकि, बुलंद दावों की जमीनी हकीकत कुछ और है। शहर में चल रही दलबदल की 'मेगा भर्ती' ने स्पष्ट कर दिया है कि दोनों ही प्रमुख दलों को कैडर या निष्ठावान कार्यकर्ताओं से ज्यादा 'आयातित उम्मीदवारों' पर भरोसा है।
सत्ता के लिए विचारधारा को 'तिलांजलि'
वर्तमान में पिंपरी चिंचवड़ शहर की राजनीति में पक्ष-निष्ठा और विचारधारा गौण हो गई है। भाजपा की रणनीति स्पष्ट है, चाहे वह शिवसेना से हो या राष्ट्रवादी कांग्रेस या कांग्रेस से, जिस भी उम्मीदवार में 'जीतने की क्षमता' है, उसके लिए भाजपा के दरवाजे खुले हैं। होड़ में बरसों से पार्टी के लिए झंडा उठाने वाले संघर्षशील कार्यकर्ता खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। दूसरी ओर, अजित पवार की राष्ट्रवादी भी पीछे नहीं है। भाजपा के नाराज पूर्व नगरसेवकों और टिकट की आस लगाए बैठे बागियों पर उसकी पैनी नजर है। शहर में आलम यह है कि जो नेता कल तक एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार और अकर्मण्यता के आरोप लगा रहे थे, वे आज एक ही मंच पर 'विजयी योद्धा' बनकर मुस्करा रहे हैं।
कार्यकर्ता हाशिए पर, 'बाजार' तेज
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 'आयात-निर्यात' के खेल ने स्थानीय कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ दिया है। निष्ठा बनाम अवसरवाद के इस दौर में पांच साल तक जनता के मुद्दों पर सड़क पर उतरने वाले कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर ऐन चुनाव के वक्त दूसरी पार्टी से आए 'धनबली' नेताओं को तवज्जो दी जा रही है। यदि दलबदलू नेता सत्ता में आते हैं, तो भविष्य में मनपा का कामकाज किस नीति और सिद्धांत पर चलेगा? यह शहर की जनता के लिए बड़ा सवाल है। विकास के बड़े-बड़े दावों, विज्ञापनों और '100 पार' के गगनभेदी नारों के बीच शहर के बुनियादी मुद्दे कहीं खो गए हैं। पिंपरी चिंचवड़ मनपा का चुनाव अब 'विचारधारा की लड़ाई' न रहकर 'आयातों की कुश्ती' बन गया है।
मतदाताओं की भूमिका पर गड़ी निगाहें
देखना यह होगा कि पिंपरी-चिंचवड़ का जागरूक मतदाता अवसरवादी गठबंधन और दलबदलू चेहरों को स्वीकार करते हैं या वोट की चोट से 'सियासी मंडी' को कड़ा सबक सिखाते हैं।
Created On :   24 Dec 2025 2:55 PM IST












