बड़ा खुलासा: नान के निलंबित डीएम ने बाइक से कराई थी पीडीएस के 7.5 टन चावल की ढुलाई

नान के निलंबित डीएम ने बाइक से कराई थी पीडीएस के 7.5 टन चावल की ढुलाई
  • जिला आपूर्ति अधिकारी और वेयर हाउसिंग के अफसरों ने मूंद ली थीं आंखें
  • 93 लाख के ऑनलाइन फ्रॉड से 41 दिन पहले यूं हुआ था फर्जीवाड़े की टेस्टिंग
  • निलंबित डीएम ने बाइक से कराई थी पीडीएस के 7.5 टन चावल की ढुलाई

डिजिटल डेस्क, सतना। गेहूं की सरकारी खरीदी के बहाने जयतमाल बाबा महिला स्व सहायता समूह कारीगोही में 93 लाख के बहुचर्चित ऑनलाइन फ्रॉड को अंजाम देने से 41 दिन पहले नान के तबके जिला प्रबंधक अमित गोंड की गैंग असल में मुख्यमंत्री अन्नदूत योजना की आड़ में फर्जीवाड़े का एक छोटा सा ट्रायल करने में कामयाब हो गई थी। सूत्रों के मुताबिक अगर तब जिला आपूर्ति अधिकारी और वेयरहाउसिंग के मैनेजर शासन के साथ हुए इस छल को पकड़ लेते तो एमएसपी पर खरीदे गए गेहंू के परिवहन के नाम पर 93 लाख की ठगी का बड़ा खेल नहीं होने पाता।

इस खेल को ऐसे समझें

इस संवाददाता के हाथ लगे साक्ष्य बताते हैं कि रबी उपार्जन वर्ष 2023–24 के लिए जिस दिन 29 मार्च को नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के जिला प्रबंधक (डीएम) का डिस्ट्रिक्ट लॉगिन यूजर्स में रजिस्ट्रेशन हुआ , उसी दिन नान के इन्हीं डीएम अमित गोंड ने सतना में सेमिरया रोड स्थित वेयर हाउस (आईएसडब्ल्यूसी-२) के केंद्र प्रभारी को अन्न दूत योजना के तहत पीडीएस के 7.5 एमटी खाद्यान्न (चावल) के उठाव एवं परिवहन के लिए पत्र लिखा था। सनसनीखेज पहलू तो यह है कि पत्र में वेयर हाउस से सेक्टर -१८ तक खाद्यान्न के परिवहन के लिए जिस वाहन एमपी १९ जी-१६६३ का उल्लेख किया गया वह वाहन वास्तव में मोटर साइकल (बाइक) थी। आरटीओ रिकार्ड के मुताबिक यह मोटरसाइकिल दिदौध (कोठी) निवासी राजकिशोर द्विवेदी तनय एसडी द्विवेदी के नाम पर दर्ज है। बड़ा सवाल यह है कि क्या साढ़े ७ टन अनाज का मोटरसाइकिल से परिवहन संभव है? क्या, अन्नदूत योजना के अंतर्गत बाइक अनाज के परिवहन के लिए अधिकृत वाहन है? प्रश्न यह भी है कि अगर आईएसडब्ल्यूसी-२ से ७.५ एमटी चावल का उठाव बाइक की दम पर कागजों में हुआ तो आखिर ३ लाख का चावल मिल बांट कर पचाने वाले कौन हैं?

4 अफसरों को भेजी गई थी पत्र की प्रतिलिपि

अहम तथ्य यह भी है कि नान के डीएम ने खाद्यान्न के उठाव के संबंध में आईएसडब्ल्यूसी-२ के केंद्र प्रभारी को २९ मार्च को लिखे पत्र की प्रतिलिपि कलेक्टर कार्यालय, तबके जिला आपूर्ति अधिकारी , सहायक कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी, जिला प्रबंधक एमपी वेयरहाउसिंग, वेयरहाउसिंग के ब्रांच मैनेजर और अन्नदूत के परिवहनकर्ता अरुणेंद्र सिंह को भेजी थी। मगर, यह रहस्यमयी है कि सच जानने के बाद भी इनमें से किसी भी जिम्मेदार ने चुप्पी नहीं तोड़ी। इस खुलासे से यह सवाल भी उठा है कि क्या मुख्यमंत्री की अन्नदूत योजना भी इस हद तक दूषित हो चुकी है।

Created On :   13 Jun 2024 6:44 PM IST

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