अमावस्या के बाद क्यों शुभ है चंद्र दर्शन, जानें महत्व और पूजा की विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म, धार्मिक त्यौहारों से परिपूर्ण हैं। जिससे देश के विभिन्न क्षेत्रों में उत्साह और भक्ति से ओतप्रोत हो जाते हैं। ईश्वर उनके सभी कष्टों को दूर कर देते हैं। नए साल की शुरुआत में अमावस्या के समाप्त होने के बाद शुक्ल पक्ष में 4 जनवरी 2022, दिन मंगलवार को चंद्र दर्शन करने का सुनहरा मौका मिला है। हिंदू धर्म में इस दिन का काफी महत्व है।
भक्त इस दिन उपवास करते है, चंद्र देव के दर्शन करने के बाद उनकी पूजा करते हैं। चंद्रमा ज्ञान, बुद्धि और मन के स्वामी ग्रह है। जो जातक अमावस्या तिथि पर पूरे दिन व्रत करता रखता है वह अगले दिन चंद्र दर्शन की रात को चंद्र देव के दर्शन करने के बाद भोजन करते हैं।
चंद्र दर्शन का शुभ मुहुर्त
चंद्र दर्शन तिथि- 04 जनवरी, दिन - मंगलवार
चंद्रोदय - प्रात: 08:47
चंद्र अस्त - सांय 07:20
कैसे मिलेगी रोग दोष से मुक्ति
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को शिव, माता पार्वती के पास होते हैं। रोग दोष निवारण के लिए आपको भगवान शिव की पूजा और रुद्रभिषेक करने के बाद चंद्र दर्शन करने से मन का सारा तनाव दूर हो जाता है। और आपके सभी रोग दोष समाप्त हो जाते हैं।
क्या है चंद्र दर्शन की पूजा विधि
चंद्र दर्शन की पूजा संपन्न करने के लिए सबसे पहले आप प्रात: स्नान करें। इसके बाद चंद्र देवता को रोली, फल और फूल अर्पित करें। सूर्य अस्त के बाद चंद्रमा को अर्ध्य देकर अपना उपवास खोल सकते है। इस दिन यदि कोई चीनी, चावल, गेहूं, कपड़े का दान करता है तो वह शुभ माना जाएगा।
चंद्रदेव को प्रसन्न करने का मंत्र
ओम क्षीरपुत्राय विझ्महे अमृत तत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात
ज्योतिष की भविष्यवाणी के अनुसार जिन लोगों पर चंद्रमा का साकारात्मक प्रभाव या सही स्थान होता है उनका जीवन सफल और समृद्ध होता है। भगवान चंद्र देव का विवाह 27 नक्षत्रों से हुआ है। जो प्रजापति दक्ष की बेटियां हैं। राजा दक्ष बुद्ध ग्रह के पिता भी है।
Created On :   3 Jan 2022 11:56 AM GMT