वत्स द्वादशी पर व्रत संतान को देता है लंबी आयु

know the benefits and importance of Vatsa Dvashashi fast
वत्स द्वादशी पर व्रत संतान को देता है लंबी आयु
वत्स द्वादशी पर व्रत संतान को देता है लंबी आयु

डिजिटल डेस्क । कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बछ बारस का पर्व मनाया जाता है। जो इस बार 4 नवंबर 2018 दिन रविवार को है। इस अवसर पर गाय और बछड़े की पूजा की जाती है। कार्तिक मास में पड़ने वाले इस उत्सव को ‘वत्स द्वादशी’ या ‘बछ बारस’ के नाम से भी जाना जाता हैं। ऐसा माना जाता है वर्ष में कि दूसरी बार ये पर्व भाद्र्पाद मास के शुक्ल पक्ष में भी मनाया जाता है। हिंदू धार्मिक पुराणों में गौमाता में समस्त तीर्थ समाय हैं। माना जाता है की गाय माता हमारी ऐसी माता है जिसकी बराबरी न कोई देवी-देवता कर सकता है और न कोई तीर्थ। गाय के दर्शन मात्र से ऐसा पुण्य फल प्राप्त होता है जो बड़े-बड़े यज्ञ, दान आदि कर्मों से भी नहीं प्राप्त हो पाता है।

 

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद माता यशोदा ने इसी दिन गौमाता का दर्शन और पूजन किया था। जिस गौमाता को स्वयं भगवान कृष्ण नंगे पांव वन-वन चराते फिरते थे और जिन्होंने अपना नाम ही गोपाल रख लिया था, और उनकी रक्षा के लिए उन्होंने गोकुल में अवतार लिया, तो ऐसी गौमाता की रक्षा करना और उनका पूजन करना हर व्यक्ति का धर्म है।  

 

हिन्दू धर्म शास्त्रों में कहा गया है की सभी योनियों में मनुष्य योनी सर्वश्रेष्ठ है। और यह इसलिए भी कहा है कि वह गौमाता की निर्मल छाया में अपने जीवन को धन्य कर सकें। गौमाता के रोम-रोम में देवी-देवताओं एवं समस्त तीर्थों स्थानों का वास है। इसलिए हिन्दू धर्मग्रंथ बताते हैं की समस्त देवी-देवताओं एवं पितरों को एक साथ प्रसन्न करना हो तो गौभक्ति-गौसेवा से बढ़कर कोई अनुष्ठान विश्व में नहीं है। गौमाता को बस एक ग्रास खिला दो, तो वह सभी देवी-देवताओं तक अपने आप ही पहुंच जाता है और भविष्य पुराण के अनुसार गौमाता कि पृष्ठदेश में ब्रह्म का वास बताया गया है, कंठ में विष्णु का, मुख में रुद्रदेव महादेव शिव का, मध्य में समस्त देवताओं और रोमकूपों में महर्षिगण, पूंछ में अनंत नाग, खूरों में समस्त पर्वत, गौमूत्र में गंगा यमुनादि नदियां, गौमय में लक्ष्मी और नेत्रों में सूर्य-चन्द्र विराजित रहते हैं।

 

इसीलिए बछ बारस, गोवत्स द्वादशी के दिन महिलाएं अपनी संतान की रक्षार्थ, लंबी आयु और परिवार की प्रसन्नता के लिए यह पर्व मनाती है।  दिन घरों में विशेष कर बाजरे की रोटी जिसे सोगरा भी कहा जाता है और अंकुरित अनाज की सब्जी बनाई जाती है।‘वत्स द्वादशी’के दिन गाय के दूध की जगह भैंस या बकरी के दूध का उपयोग किया जाता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में इसका माहात्म्य बताते हुये कहा गया है कि बछ बारस के दिन जिस घर की महिलायें गौमाता का पूजन-अर्चन करती हैं। उसे रोटी और हरा चारा खिलाकर उसे तृप्त करती है, उस घर में माता लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद सदा बना रहता है और उस परिवार में कभी भी कोई अकाल मृत्यु नहीं मरता है। 
 

Created On :   2 Nov 2018 4:17 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story