व्रत: विकट संकष्टी चतुर्थी: इस पूजा से हर तरह की समस्याएं होंगी खत्म

Vikat Sankashti Chaturthi 2020: All kinds of problems will end with this worship
व्रत: विकट संकष्टी चतुर्थी: इस पूजा से हर तरह की समस्याएं होंगी खत्म
व्रत: विकट संकष्टी चतुर्थी: इस पूजा से हर तरह की समस्याएं होंगी खत्म

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रथम पूज्य श्री गणेश को शुभ कार्यों का देवता माना जाता है। वैसे तो हर पूजा के पहले गणेश जी की पूजा होती है, लेकिन इनकी पूजा का महत्व विकट संकष्टी चतुर्थी पर और भी अधिक बढ़ जाता है। इस वर्ष श्रीगणेश भक्तों द्वारा यह व्रत 11 अप्रैल 2020 यानी के आज रखा गया है। संकष्टी के दिन चन्द्रोदय रात 10 बजकर 31 मिनट पर है। 

मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के समस्त दुखों का नाश हो जाता है। कहा यह भी जाता है कि इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है। भगवान गणेश की आराधना करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं विकट संकष्टी चतुर्थी का महत्व और पूजन विधि...

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विकट संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त  
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ -  10 अप्रैल, रात 09:31 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - 11 अप्रैल, शाम 07:01 बजे

व्रत विधि:
इस दिन व्रत रखा जाता है और और चंद्र दर्शन के बाद उपवास तोड़ा जाता है। व्रत रखने वाले जातक फलों का सेवन कर सकते हैं। साबूदाना की खिचड़ी, मूंगफली और आलू भी खा सकते हैं। मान्‍यता है कि संकष्टी चतुर्थी संकटों को खत्म करने वाली चतुर्थी है।

पूजन विधि
- सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहनें। पूजा के लिए . भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें। चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें।
- भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें। 

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- अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें, उसके बाद ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें।
- इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाना है।
- त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें. इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें।
- पूजन उपरांत चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें. पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।

Created On :   10 April 2020 11:15 AM GMT

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