एमसीयू: फ्रंट पेज पर अनूठा शो- सौ साल, सौ सुर्खियां, दुर्लभ कवरेज में ताज़ा हो उठा मीडिया का इतिहास

फ्रंट पेज पर अनूठा शो- सौ साल, सौ सुर्खियां, दुर्लभ कवरेज में ताज़ा हो उठा मीडिया का इतिहास
  • 1920 से 2024 तक के प्रमुख समाचार पत्रों के 3 फीट आकार के फ्रंट पेज पूर्णत: पठनीय हैं- कुलगुरु
  • 100 साल के 100 अखबारों के मुखपृष्ठ ही नहीं, बल्कि भारतीय पत्रकारिता का जीता जागता इतिहास -केतकर
  • इतिहास से परिचित कराने के साथ साथ तत्सम में होने वाली घटनाओं का जीता जागता गवाह - चुनाव आयुक्त

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में नए सत्र में "हिस्ट्री इन हैडलाइंस: 100 साल 100 सुर्खियां" विषय पर अनूठी प्रदर्शनी शुरू हुई। सौ साल में देश की बड़ी घटनाओं के सौ फ्रंट पेज प्रदर्शित किए गए हैं। इसमें हैं जालियावाला बाग, भगतसिंह की फांसी, 15 अगस्त 1947 से लेकर अब तक के दुर्लभ कवरेज। इस प्रदर्शनी के आयोजन में प्रसिद्ध चिंतक एवं ऑर्गेनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर, प्रदेश के चुनाव आयुक्त मनोज श्रीवास्तव, संस्कृति सलाहकार श्रीराम तिवारी और दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के निदेशक डॉ मुकेश मिश्र अतिथि थे।

कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने बताया कि इस प्रदर्शनी में 1920 से 2024 तक के प्रमुख समाचार पत्रों के 3 फीट आकार के फ्रंट पेज पूर्णत: पठनीय हैं. प्रदर्शनी में ब्रिटिश भारत में स्वाधीनता संघर्ष की घटनाओं सहित स्वाधीन भारत की प्रमुख घटनाओं जैसे 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्ति, गांधी जी की हत्या, भारत चीन युद्ध, भारत का चांद पर पहुंचना, आपातकाल जैसी महत्वपूर्ण सुर्खियों को प्रस्तुत किया गया है। ।

प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि यह 100 साल के 100 अखबारों के मुखपृष्ठ ही नहीं, बल्कि भारतीय पत्रकारिता का जीता जागता इतिहास है और पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए इसे जानना बहुत आवश्यक है। उम्मीद है कि वे इस सामग्री के माध्यम से न सिर्फ भारतीय पत्रकारिता के इतिहास परिचित होंगे बल्कि उसकी उस भूमिका को भी गहराई से समझ सकेंगे जो समय-समय पर अखबारों ने निभाई है ।

मनोज श्रीवास्तव ने विश्वविद्यालय की इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि यह हमें ऐसे इतिहास से परिचित कराता है जो तत्सम में होने वाली घटनाओं का जीता जागता गवाह रहा है । उन्होंने सुझाव दिया कि घटनाओं की सुर्खियां तो इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित अखबारों से आ गए हैं लेकिन एक प्रयास ऐसा भी होना चाहिए जो यह बताएं कि समय-समय पर पत्रकारिता और मीडिया ने अपनी भूमिका को कैसे कैसे बदला। श्रीराम तिवारी ने कहा कि यह प्रयास अपने इतिहास से जोड़ने में महत्वपूर्ण हैं।

डॉ मुकेश मिश्रा ने कहा कि इस तरह की प्रदर्शनी पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए शोध और संदर्भ की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस प्रदर्शनी के उपरांत विद्यार्थियों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे व्यक्तिगत स्तर पर देश के विभिन्न अंचलों से प्रकाशित समाचार पत्रों के प्रमुख समाचारों पर आधारित फ्रंट पेज को खोज कर लाये और इस प्रदर्शनी का विस्तार करें। कुलगरू विजय मनोहर तिवारी ने बताया कि भारत में मीडिया के विकास को समझने के लिए यह सारे फ्रेम बहुत उपयोगी हैं. इनकी एक अलग गैलरी बनाई जाएगी.

प्रदर्शनी में भारत के प्रथम समाचार पत्र उदंत मार्तंड सहित कर्मवीर, वीर अर्जुन, लीडर, भारत, संसार, अमर उजाला ,नई दुनिया, दैनिक जागरण ,स्वदेश, फ्री प्रेस, राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, युग धर्म,अमृत बाजार पत्रिका जैसे अनेक अखबारों के मुख्य पृष्ठ शामिल है। इनमें से कुछ अखबार बंद हो गए हैं एवं कुछ अब भी प्रकाशित हो रहे हैं।

Created On :   17 Aug 2025 10:18 AM IST

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