Remembering OP Nayyar: बॉलीवुड के फ्यूजन किंग के गीतों का नशा आज भी कायम

OP Nayyar birthday: Bollywood fusion king lyrics still persisted
Remembering OP Nayyar: बॉलीवुड के फ्यूजन किंग के गीतों का नशा आज भी कायम
Remembering OP Nayyar: बॉलीवुड के फ्यूजन किंग के गीतों का नशा आज भी कायम

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉलीवुड के फ्यूजन किंग कहे जाने वाले ओंकार प्रसाद नैय्यर यानी ओपी नैय्यर का आज जन्मदिन है। वह बॉलीवुड के सबसे पॉपुलर संगीतकारों में से एक हैं। उनकी बनाई धुनों का जादू उनके दौर के लोगों के सिर चढ़कर तो बोला ही, लेकिन आज की जनरेशन पर भी उनका नशा कायम है। 16 जनवरी 1926 को लाहौर में जन्में ओपी नैय्यर के कंपोज़ किए गाने कितने पॉपुलर है, ये इसी बात से समझा जा सकता है कि "उड़े जब-जब ज़ुल्फें तेरी" और "ये देश है वीर जवानों" जैसे गीतों के बिना कोई महफ़िल पूरी नहीं होती। जश्न और ख़ुशी के हर मौके में उनके गीतों पर लोग बराबर झूम उठते हैं। नैयर के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने संगीत भी अपनी शर्तों पर दिया और ज़िंदगी भी अपनी शर्तों पर जी। अक्खड़पन और स्वछंदता ओपी नैयर की पहचान थी और शायद इसी असर ने उनके संगीत को इतना लोकप्रिय बना दिया।

नैयर ने पहला गाना सीएच आत्मा के लिए बनाया, ‘प्रीतम आन मिलो’। इस गाने के लिए उन्हें 12 रुपए मिले। नैयर ने इसके बाद एक-एक कर हिट गाने देना शुरू किया। इतने कि एक समय पर वो फिल्म में म्यूज़िक देने के 1 लाख रुपए तक चार्ज करते थे।

गीतों के कमाल से हिट हुईं कई फिल्में

भारतीय फिल्म संगीत के चाहने वालों के बीच ओपी नैय्यर ऐसे म्यूज़िक डायरेक्टर के तौर पर याद किए जाते हैं, जिन्हें लोकप्रिय संगीत रचने में महारत हासिल थी। ओपी नैय्यर ने 50 और 60 के दशक में इतने कामयाब गीत कंपोज़ किए है कि उन्हें किसी लिस्ट में समेटना मुमकिन नहीं है। उनके गीतों की वजह से कई बार औसत दर्जे की फिल्में भी हिट हो गई। दिलीप कुमार, राज कपूर, देव आनंद, गुरु दत्त, शम्मी कपूर, मधुबाला, आशा पारेख, मुमताज और श्यामा जैसे 50 और 60 के दशक के स्टार्स के लिए ओपी नैय्यर ने बेहद प्रभावशाली गाने बनाए थे। 

हम यहां आपको ओपी नैय्यर के ऐसे ही कुछ हिट गीतों से परिचय करवाते हैं...

1. उड़े जब-जब ज़ु्ल्फें तेरी (नया दौर) - दिलीप कुमार साहब के पूरे फिल्म करियर में से अगर उनके सबसे पॉपुलर गानों को याद किया जाये तो ये गाना सबसे पहले ज़ेहन में आता है। दिलीप कुमार और वैजयंती माला की दिलकश अदायगी को जब मोहम्मद रफ़ी और आशा भोसले की शरारत से भरी गायकी का साथ मिला, तो ये गाना बस कमाल ही कर गया। 

2. ये देश है वीर जवानों का (नया दौर) - ओपी नैय्यर पर पंजाबी लोकसंगीत का भारी प्रभाव था और उसी का जादुई असर इस गाने में नज़र आता है। उत्तर और मध्य भारत में कोई भी जश्न का मौका इस गाने के बिना अधूरा जान पड़ता है। 

3. लेके पहला पहला प्यार (सीआईडी) - शमशाद बेगम, आशा भोसले और रफ़ी साहब की आवाज़ के साथ नैय्यर का छनकता संगीत और उस पर मजरूह के खनकते बोल, मतलब कि धमाल ही समझिये। इस गाने की पॉपुलैरिटी का अंदाज़ा इसी बात लग जाता है कि इसे कई बार रिमिक्स किया जा चुका है।

4. बूझ मेरा क्या नाम रे (सीआईडी) - शमशाद बेगम ने गुरु दत्त फिल्म्स के लिए कई यादगार गाने गाये हैं और उनमें भी ओपी नैय्यर के संगीत में तो जैसे शमशाद के गानों ने गदर ही मचा दिया था। इस गाने में इतनी कमाल की रिदम इस्तेमाल की गई है कि श्रोता मंत्रमुग्ध होकर बस खो ही जाता है।

5. बाबूजी धीरे चलना (आर-पार) - इस गाने में गीता दत्त की शोख और नशीली आवाज़ का जादू सुनने वालों को इस कदर गिरफ़्त में लेता है कि दिल और दिमाग़ बस धुन के उतार-चढ़ाव में चढ़ते उतरते रहते हैं। 

6. कभी आर कभी पार (आर-पार) - शमशाद बेगम की शरारत में डूबी हुई गायकी का एक और नमूना है ये गीत। इसका असर कुछ ऐसा है कि बाद में कितनी ही दफा इसे रिमिक्स करने की कोशिश हुई, हालांकि ओरिजनल गाने वाली बात किसी में नहीं मिलती। 

7. जाने कहां मेरा जिगर गया जी (मि. एंड मिसेज 55) - महान कॉमेडियन जॉनी वॉकर और यासमीन पर फिल्माया गए इस गाने का आज भी कोई तोड़ नहीं है। ऑफिस में होने वाले रोमांस की सिचुएशन पर तो इससे बेहतर कोई गाना बना ही नहीं। भारतीय संगीत के दीवानों के दिल में हमेशा के लिए बस चुकी है इस गाने की धुन। 

8. उधर तुम हसीं हो, इधर दिल जवां है (मि. एंड मिसेज 55) - रोमांस की एक बड़ी आइडियल सिचुएशन, जिसमें प्रेमी और प्रेमिका रात में एक दूसरे को दूर से ताक रहे हों और कहीं से धीरे से ये गीत बैकग्राउंड में चलने लगे, तो बस माहौल ही बन जाये। रफ़ी साहब और गीता दत्त के गाये कुछ सबसे रोमांटिक गानों में से एक है ये गाना।

9. ठंडी हवा काली घटा (मि. एंड मिसेज 55) - इस गाने में ओपी नैय्यर ने किसी झरने सी रफ़्तार दी है। एक अलग ही रिदम है जिसे सुनकर रोम-रोम खिल उठता है। गीता दत्त की गायकी किसी अजूबे की तरह लगती है।

10. हमदम मेरे मान भी जाओ (मेरे सनम) - इस गाने में रफ़ी साहब अपनी रोमांटिक गायकी के शबाब पर है। ओपी नैय्यर ने रफ़ी साहब की आवाज़ के उतार-चढ़ाव और उनके इतराने को पूरी तरह से इस गाने में कैश कर लिया है। 

11. जाइये आप कहां जाएंगे (मेरे सनम) - आशा भोसले के सबसे पॉपुलर गानों में से एक है ये गाना। ओपी नैय्यर रूठने-मनाने वाले गाने बनाने में माहिर संगीतकार थे और ये गाना उनके इसी फ़न की मिसाल है।

12. कजरा मोहब्बत वाला (किस्मत) - ओपी नैय्यर के संगीत से उनकी पंजाबियत को अलग नहीं किया जा सकता। लोकगीतों पर उनकी ज़बरदस्त पकड़ थी और इसी वजह से वो इतने कामयाब गीत बना पाए। ये गाना अपने दौर में मज़ेदार पिक्चराइज़ेशन की वजह से ख़ूब पसंद किया गया और कई साल बाद में इस गाने का इस्तेमाल कंगना राणौत और आर माधवन स्टारर हिट फिल्म "तनु वेड्स मनु" में भी किया गया।  

13. आओ हुज़ूर तुमको (किस्मत) - आशा भोसले की मदहोश कर देने वाली आवाज़ और उस पर नैय्यर का बहता-रुकता संगीत। इस गाने का जादू 5 दशक बाद भी बरकरार है और यही वजह है कि इसके कई वर्ज़न गाए जाते हैं।

14. आइये मेहरबां (हावड़ा ब्रिज) - चंचल मधुबाला पर आशा भोसले की आवाज़ इतनी परफेक्ट लगती है कि यकीन ही नहीं होता कि प्लेबैक सिंगिंग की गई है। ये आशा भोसले के गाए कुछ सबसे जादुई गानों में से एक है, जिसका प्रभाव आज भी बरकरार है।

15. आइये मेहरबां (हावड़ा ब्रिज) - चंचल मधुबाला पर आशा भोसले की आवाज़ इतनी परफेक्ट लगती है कि यकीन ही नहीं होता कि प्लेबैक सिंगिंग की गई है। ये आशा भोसले के गाए कुछ सबसे जादुई गानों में से एक है, जिसका प्रभाव आज भी बरकरार है।

 
 

 

 

आकाशवाणी ने उनके गीतों को प्रसारित करने से किया मना

 

एक समय उनके गानों को आकाशवाणी ने प्रसारित करने से मना कर दिया था। उनके गानों को कहा गया कि ये गाने "संगीत" हैं ही नहीं, बल्कि पश्चिमी सभ्यता से प्रेरित हैं। इसके बाद ये गाने रेडियो सीलोन पर बजना शुरू हुए। रेडियो सीलोन की लोकप्रियता में बड़ा योगदान इन गानों का भी है। वैसे नैयर अपने बारे में कहते रहे कि वो इंडस्ट्री के नंबर दो संगीतकार हैं।

 

 

नहीं लिया लता मंगेश्कर अवार्ड

 

ओपी नैयर और लता मंगेश्कर के बीच की अनबन के बारे में हर संगीत प्रेमी जानता है। ओपी ने कभी लता मंगेश्कर के साथ काम नहीं किया। इतना ही नहीं आखिरी समय में मध्य प्रदेश सरकार ने जब नैयर को लता मंगेशकर अवॉर्ड देने की घोषणा की तो नैय्यर ने उसे भी लेने से मना कर दिया। नैयर की लोकप्रियता ये भी बताती है कि संगीत अपनी तमाम शास्त्रीयता के बावजूद कला है। 

Created On :   16 Jan 2018 3:31 PM IST

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