चीन के मंसूबे: भारत पर नहीं चला बस तो भूटान से नजदीकी बढ़ाने में जुटा चीन, जानिए नई मुलाकात के पीछे क्या है ड्रेगन का मकसद?

भारत पर नहीं चला बस तो भूटान से नजदीकी बढ़ाने में जुटा चीन, जानिए नई मुलाकात के पीछे क्या है ड्रेगन का मकसद?
  • डोकलाम को लेकर भूटान-चीन में बातचीत
  • भूटान को भारत ने चेताया

डिजिटल डेस्क, थीपू। चीन, भारत की घेराबंदी करने के लिए पड़ोसी देश भूटान से नजदीकियां बढ़ा रहा है ताकि भारतीय सीमा के पास और मजबूती के साथ अपने पैर जमा सके। चीन, भूटान के साथ अपने सीमा विवाद को सुलझाने में लगा है। भूटान तीन ओर भारत की सीमा जबकि एक ओर से चीन से घिरा हुआ है। इन दिनों भूटान के विदेश मंत्री डॉ. टांडी दोरजी चीन के दौरे पर गए हुए हैं, जिस पर भारत की पैनी नजर है। भूटानी विदेश मंत्री ने बीते दिन यानी 23 अक्टूबर को चीन के उपराष्ट्रपति हान झोंग से मुलाकात की। दोनों नेताओं की मीटिंग से जुड़ी अहम खबर निकलकर सामने आई है। चीन भूटान से राजनयिक संबंध कायम करने और सीमा संबंधी मुद्दों को जल्दी से सुलझाने का दबाव बना रहा है। जिसको लेकर भारत पूरी तरह सतर्क है।

दोनों देश सीमा विवाद पर बातचीत की प्रक्रिया अपनाए हुए हैं। जिस पर भारत ने भूटान को आगाह किया है कि वो चीन के किसी दबाव में न आए और डोकलाम कॉरिडोर पर कोई भी समझौत न करे। सीमा विवाद को लेकर चीन के विदेश मंत्री और भूटानी समकक्ष के बीच वार्ता हुई है। चीन के विदेश मंत्रालय ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के हवाले से बताया कि, दोनों देशों में सीमा विवाद सुलझाने से संबंधों में विश्वास और अटूट रिश्ता कायम होगा। भूटान-चीन सीमा विवाद पर 'इकनॉमिक टाइम्स' ने बताया कि, भारत की ओर से भूटान को अवगत करा दिया गया है कि वो डोकलाम को लेकर किसी प्रकार का कोई समझौत न करें ताकि भविष्य में किसी तरह की कोई समस्या उत्पन्न हो। नई दिल्ली की ओर से भूटान को ये भी संदेश दिया गया है कि, उसके सीमा विवाद की वजह से भारत पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ना चाहिए।

डोकलाम कॉरिडोर पर सुलझेगा विवाद?

डोकलाम कॉरिडोर को लेकर भारत-चीन हमेशा से एक-दूसरे के आमने-सामने खड़े रहे हैं। साल 2017 में इस कॉरिडोर को लेकर भारत-चीन के बीच करीब दो महीने तक गतिरोध बना रहा था। इसी क्षेत्र को लेकर चीन और भूटान में भी विवाद है। भारत का मानना है कि यह क्षेत्र भूटान का है। चीन के सैनिक जबरदस्ती इस क्षेत्र में घुस आते हैं जो भारत के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। डोकलाम में ट्राइजंक्शन वही पॉइंट है जहां सिक्किम (भारत), भूटान और तिब्बत (चीन) तीनों देशों की सीमाएं मिलती हैं।

भारत-भूटान में गहरी दोस्ती

भारत भूटान हमेशा से मित्र रहे हैं, दोनों देशों में राजनयिक संबंध न होने के बावजूद भी दोस्ती गहरी है। साथ ही भारत-भूटान में दशकों से भारत के साथ सैन्य साझेदारी सहित रणनीतिक संबंध बरकरार है। भूटान-चीन सीमा विवाद मीटिंग पर चाइना के विदेश मंत्री ने कहा, 'सीमा वार्ता का समापन और चीन-भूटान के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना दोनों देशों के दीर्घकालिक एवं मौलिक हितों को पूरा करेंगी।' उन्होंने भूटान के विदेश मंत्री डॉ. टांडी दोरजी से कहा, 'चीन भूटान के साथ मिलकर काम करने, ऐतिहासिक अवसर का लाभ उठाने और दोस्ताना रिश्तों को कानूनी रूप में विकसित करने के लिए तैयार है।'

चीन का नापाक मंसूबा

भूटान के उत्तर-पश्चिमी और मध्य क्षेत्र के लगभग 764 वर्ग किमी. क्षेत्र को चीन अपना बताता है। जानकारों का कहना है कि मूल रूप से ये विवाद भारत-चीन के बीच सीमा वार्ता का हिस्सा था लेकिन चीन और भूटान के बीच इसे लेकर सीधी बातचीत साल 1984 में शुरू हुई। तब से अब तक दोनों देशों में 24 से अधिक बार मुद्दा सुलझाने की कोशिश हो चुकी है पर कोई समाधान नहीं निकला है। डोकलाम विवाद सुलझाने को लेकर भूटान-चीन में 12 दौर की विशेषज्ञ-स्तरीय बैठकें भी हुई हैं, जिसका असर अब तक देखने को नहीं मिला है। हाल के कुछ वर्षों से चीन इस विवाद को सुलझाने की पूरी कोशिश कर रहा है ताकि इस मामले को जल्दी से जल्दी निपटा कर छुटकारा पाया जा सके। लेकिन चीन की जल्दबाजी भारत के लिए संदेह पैदा करती है क्योंकि वो हमेशा से लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर अपनी नापाक मंसूबों (विस्तारवादी सोच) को पूरा करने की कोशिश करता रहता है।

Created On :   25 Oct 2023 1:45 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story