India-Pakistan Conflict: 'राष्ट्रपति ने शांतिदूत की भूमिका को प्राथमिकता...' अमेरिका के विदेश मंत्री ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर दी प्रतिक्रिया

डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। भारत-पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष पर लगातार अमेरिका से प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। अब अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने संघर्ष का जिक्र किया है और कहा कि दोनों देशों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने "शांतिदूत के तौर पर अपनी भूमिका को प्राथमिकता दी है।" उनका आगे कहना है कि अमेरिका पूरी दुनिया में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। इनके अलावा ट्रंप ने ऐसे संघर्षों को सुलझाने का काम भी किया है, जिनसे "अमेरिका के रोजमर्रा के जीवन के लिए संभवत: उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं।"
वर्षों पुराने मुद्दों को सुलझाने की तैयारी
अमेरिका के विदेश मंत्री ने शुक्रवार को आयोजित संवाददाता कार्यक्रम में बताया, "राष्ट्रपति ने शांतिदूत की भूमिका को प्राथमिकता दी है और इसलिए आपने हमें वर्तमान की चुनौतियों जैसे कि रूस, यूक्रेन, भारत और पाकिस्तान या थाईलैंड और कंबोडिया के संघर्षों को समाप्त करने की कोशिश में अहम भूमिका निभाते देखा है।" उन्होंने आगे कहा, "कई वर्षों पुरानी हैं, लेकिन हम इन्हें सुलझाने में सहायता करने के लिए तैयार हैं।"
बतातें चले कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल, 2025 को तीन आतंकियों ने धर्म पूछकर 26 पर्यटकों को गोलियों से भून दिया था। इसके जवाब में भारत ने 6-7 मई की दरमियानी रात पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। इस दौरान पाकिस्तान में बने आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर दिया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच यह संघर्ष चार दिनों तक सीमा पर देखने को मिला था। 10 मई को दोनों देशों के बीच सीजफायर हो गया था।
चीन-जापान के संबंध पर क्या बोले?
रुबियो ने चीन और जापान के संबंधों पर किए गए सवाल के जवाब में कहा, "हम समझते हैं कि उस क्षेत्र में संतुलन बनाए रखना जरूरी है। हमारा दृढ़ विश्वास है कि हम जापान के साथ अपनी मजबूत और ठोस साझेदारी एवं गठबंधन को जारी रखते हुए, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और चीन सरकार के साथ भी मिलकर काम करने के व्यावहारिक और सकारात्मक रास्ते तलाश सकते हैं।"
अमेरिका ने चीन को लेकर कहा, "हमें उनके साथ संबंध रखने होंगे और उनसे बातचीत करनी होगी। हमें उन क्षेत्रों को तलाशना होगा, जिन पर हम मिलकर काम कर सकते हैं। मेरा मानना है कि दोनों पक्ष इतने परिपक्व हैं कि यह स्वीकार कर सकें कि अभी आने वाले समय में भी तनाव के कुछ बिंदु बने रहेंगे।"
उन्होंने आगे कहा, "मुझे लगता है कि हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने साझेदारों के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता को खतरे में डाले बिना या किसी भी तरह से कमजोर किए बिना ऐसा कर सकते हैं। इसमें केवल जापान ही नहीं, बल्कि दक्षिण कोरिया भी शामिल है और यदि और आगे बढ़ें तो भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अन्य सभी देश भी इसमें आते हैं।"
Created On :   20 Dec 2025 6:33 PM IST












