मध्य प्रदेश कांग्रेस को जल्द मिल सकता है नया अध्यक्ष, सोनिया गांधी लेंगी फैसला

Congress to appoint new chief in Madhya Pradesh soon
मध्य प्रदेश कांग्रेस को जल्द मिल सकता है नया अध्यक्ष, सोनिया गांधी लेंगी फैसला
मध्य प्रदेश कांग्रेस को जल्द मिल सकता है नया अध्यक्ष, सोनिया गांधी लेंगी फैसला

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर लंबे समय से जारी इंतजार जल्द ही खत्म हो सकता है। फिलहाल मुख्यमंत्री कमलनाथ ही संगठन के प्रमुख की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। माना जा रहा है पीसीसी चीफ का फैसला होते ही दिग्गजों के बीच इस पद को लेकर छिड़ी घमासान भी खत्म हो जाएगी।

क्या सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपेगा आलाकमान ?

सूत्रों के मुताबिक पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी ने एमपी प्रभारी दीपक बाबरिया को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बुलाया है और आने वाले दिनों में इस पर फैसला होने की उम्मीद है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के पद पर देखना चाहते हैं। बीते समय में सिंधिया के तेवर भी काफी तीखे रहे हैं और वो ये बराबर एहसास कराते रहे हैं कि अगर उनकी अनदेखी की गई तो वो अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र हैं। वहीं कमलनाथ नहीं चाहेंगे कि भोपाल में एक और पावर सेंटर बने, लिहाजा वो अपने किसी समर्थक नेता के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। पीसीसी चीफ की रेस में एक और नाम आदिवासी नेता उमंग सिंघार का है, जो कमलनाथ सरकार में मंत्री हैं। सिंघार ने बीते दिनों दिग्विजय सिंह पर निजी आरोप लगाए थे। पार्टी का एक धड़ा अजय सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहा है। अजय सिंह दिग्विजय सिंह के खास हैं। हालांकि वो पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में लगातार पराजित हो चुके हैं।

दिलचस्प बात है कि दिसंबर में मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद से ही कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बने हुए हैं। उन्हीं की अगुवाई में लोकसभा चुनाव और हालिया झाबुआ उपचुनाव भी हुआ। केंद्रीय नेतृत्व ने अलग-अलग कारणों को देखते हुए अब तक पीसीसी प्रमुख की घोषणा नहीं की है। 

पीसीसी प्रमुख का पद क्यों अहम ?

मप्र सियासी नजरिए महत्वपूर्ण राज्य है। प्रदेश अध्यक्ष होने का मतलब है हर जिले के कार्यकर्ताओं तक सीधी पहुंच। यही वजह है कि अब तक केंद्र की राजनीति करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया इस पद काबिज होना चाहते हैं। मुख्यमंत्री पद की रेस में आखिरी वक्त में पिछड़े सिंधिया के समर्थक भी चाहते हैं उन्हें ये जिम्मेदारी देकर उसकी भरपाई की जाए। हालांकि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह नहीं चाहेंगे कि सिंधिया भोपाल आएं। 

ये है प्रदेश में सत्ता का गणित

मध्य प्रदेश में इस वक्त कांग्रेस के 114 विधायक हैं, जबकि बीजेपी के पास 108 विधायक हैं। कांग्रेस को बसपा, सपा और चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है। इस वक्त दोनों दलों की नजर 24 अक्टूबर को आने वाले झाबुआ उपचुनाव के नतीजे पर है। अगर नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आए तो उसे अपने दम पर बहुमत हासिल हो जाएगा। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पहले ही कह चुके हैं कि अगर उनकी पार्टी झाबुआ सीट पर उपचुनाव जीतती है, तो कमलनाथ सरकार को उखाड़ फेंका जाएगा। उन्होंने कहा, "अगर लोग हमें झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में जीत दिलाते हैं, तो मैं राज्य के मुख्यमंत्री को बदलने की गारंटी देता हूं।" बीजेपी की तरफ से लगातार कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के बयान आते रहे हैं।

टकराव रोकने क्या "डमी" पीसीसी चीफ देगा आलाकमान ?

अगर कमलनाथ और सिंधिया गुट में प्रदेश अध्यक्ष पद पर बात नहीं बनती है को क्या किसी ऐसे व्यक्ति को ये जिम्मेदारी दी जाएगी जो दोनों को स्वीकार हो। हालांकि दिग्गजों के बीच मचे घमासान को देखते हुए उम्मीद कम ही है कि आम सहमति से कोई बात बने।

Created On :   23 Oct 2019 10:45 AM GMT

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