पुलिस की चुप्पी का नतीजा है राजधानी दिल्ली में दिन-दहाड़े खून-खराबा (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

The silence of the police is the result of bloodshed in the capital Delhi (IANS Exclusive)
पुलिस की चुप्पी का नतीजा है राजधानी दिल्ली में दिन-दहाड़े खून-खराबा (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)
पुलिस की चुप्पी का नतीजा है राजधानी दिल्ली में दिन-दहाड़े खून-खराबा (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पुलिसिया हथियारों ने जब से गोलियां बरसानी बंद की हैं, तब से अपराधियों के हौसले बुलंद हो गए हैं। यही वजह है कि दिल्ली की सीमा में शायद ही कोई सप्ताह ऐसा बीतता हो जिस दिन, पुलिस को खुली चुनौती देकर अपराधियों ने किसी शिकार को गोलियों से छलनी न किया हो। शिकार, दुश्मन और मालदार या फिर कोई बेकसूर भी हो सकता है।

ऐसे में पुलिस की चुप्पी पर सवाल उठना स्वाभाविक है। क्या यह खून-खराबा दिल्ली पुलिस की कथित मंशा से चल रहा है? कहीं पुलिस यह तो नहीं सोच रही कि आमने-सामने होकर, वो (दिल्ली पुलिस) अपराधियों से मुचैटा (मुठभेड़) लेकर बे-वजह ही क्यों तमाम कानूनी आफतें मोल ले। फिलहाल सामने रोज-रोज देखे जा रहे हालात तो यह कहते हैं। पुलिस भले ही कोई सफाई दे।

करीब पांच महीने पहले बुराड़ी में दिन-दहाड़े एक जिम के बाहर हुई गैंगवार में एक राहगीर महिला सहित दो लोग ढेर हो गई। जिन गैंग्स के बीच गोलीबारी हुई उन सबकी तलाश में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच और स्पेशल सेल, उस वक्त भी थी और आज भी है। पुलिस के हाथ मगर कोई बदमाश नहीं आ पा रहा है।

ऐसा एक नहीं अनेकों उदाहरण सामने आए हैं। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल (डीसीपी प्रमोद कुमार सिंह कुशवाह की टीम) द्वारा बीते साल छतरपुर इलाके में कार के भीतर चार कुख्यात बदमाशों को जरूर एक साथ ढेर किया गया था। उसके बाद दिल्ली में कुछ समय अपराधियों की बंदूकों ने आवाज उगलना बंद कर दिया था।

तब से आज तक अगर करीब डेढ़ साल का रिकॉर्ड उठाकर देखा जाए तो, राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों-गलियों या फिर भीड़ भरे बाजारों में सिर्फ बदमाशों के हथियारों से ही गोलियों की आवाज आ रही है। पुलिस और उसके हथियार एकदम शांत हैं।

बीते शनिवार को दिन-दहाड़े भीड़ भरे रोड पर पूर्वी दिल्ली में 54 साल की महिला ऊषा को बदमाश ने गोलियों से भून कर मार डाला। घटनास्थल से पूर्वी दिल्ली जिला डीसीपी का दफ्तर महज एक किलोमीटर दूर है। इस घटना का अभी खुलासा भी नहीं हुआ कि बेखौफ बदमाशों ने एक-दो दिन बाद ही अक्षरधाम इलाके में पुलिस पार्टी पर ही गोलियां बरसा दी। इतना ही नहीं उसके बाद भी पुलिस बदमाशों का बाल-बांका नहीं कर सकी। पुलिस वाले देखते रह गए। हालांकि उस घटना में एक सिपाही को सस्पेंड करके पुलिस ने अपनी इज्जत बचाने की नाकाम कोशिश की।

बीते सप्ताह ज्योति नगर इलाके में घर के ठीक बाहर रात के वक्त बदमाशों ने एक व्यापारी को गोली से उड़ा दिया। जबकि 2 लाख रुपयों से भरा बैग घटनास्थल पर ही पड़ा रहा। वो मामला भी अभी तक अनसुलझा ही है।

दो दिन पहले दक्षिणी दिल्ली के हौजखास इलाके में एक महिला पत्रकार को बदमाशों ने लूट लिया। पीड़िता अस्पताल में इलाज करा रही है। पुलिस छानबीन के नाम पर सिर्फ बयान देने में जुटी है। कृष्णा नगर इलाके में रात के वक्त हुई फायरिंग का मामला भी अभी तक अनसुलझा ही है।

मंगलवार को दिन-दहाड़ बदमाशों ने द्वारिका जिला में पुराने पालम विहार के पास एक प्रॉपर्टी डीलर को गोलियों से भून डाला। बदमाश काम तमाम करके फरार हो गए। जिला डीसीपी अल्फांसो ने मीडिया को बताया, हमलावरों की तलाश जारी है।

इसी तरह नरेला इंड्रस्ट्रियल थाना इलाके में दिन-दहाड़े दो सप्ताह पहले हुई गैंगवार में एक बदमाशा काला ढेर कर दिया गया। हालांकि, उस मामले में कुछ दिन बाद ही आरोपी पकड़ लिया गया था।

बदमाशों द्वारा आए-दिन दिल्ली में हथियारों से उगली जा रही गोलियों की तड़तड़ाहट के बीच यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर, अपराधियों से निपटने के लिए बनी दिल्ली के करीब 85 हजार पुलिस फोर्स और उसके अत्याधुनिक-स्वचालित हथियार आखिर कहां हैं?

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के एक सूत्र ने नाम न खोलने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, दरअसल अब तमाम कायदे कानून इतने ज्यादा हो गए हैं कि किसी भी पुलिस वाले की हिम्मत ही नहीं पड़ रही है वो सीधे-सीधे अपराधियों से मुठभेड़ करे। एनकांउटर में सब साथ होते हैं मगर जहां कानूनी पचड़ा कोई फंसता है तो अधिकांश अफसरान अपनी गर्दन बचाकर एनकाउंटर करने वाली टीम के पुलिसकर्मियों को आगे कर देते हैं।

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के एक सूत्र ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, इन दिनों यूपी में (दिल्ली सी सटे इलाको में) एक एक दिन मे कई-कई बदमाशों के साथ मुठभेड़ हो रही हैं। रोज किसी न किसी बदमाश के पांव में गोली लग रही है। ऐसे में यूपी पुलिस से जान बचाकर वे ही बदमाश दिल्ली की ओर भाग रहे हैं।

इसी सूत्र ने आगे बताया, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि, यूपी पुलिस से जान बचाकर भागे बदमाश दिल्ली में आकर अपराध बढ़ा रहे हों। क्योंकि बदमाश को तो जहां जायेगा वहां अपराध को अंजाम देकर ही खाना-कमाना होता है।

इस बारे में दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (कानून-व्यवस्था उत्तरी परिक्षेत्र) संजय सिंह ने आईएएनएस से कहा, यूपी के बदमाश दिल्ली की सीमा में घुसने की हिम्मत ही नहीं कर सकते हैं। उन्हें दिल्ली पुलिस के काम करने का स्टाइल पता है। नरेला में हुए काला हत्याकांड का आरोपी तीन-चार दिन में ही पकड़ लिया गया था। उन्होंने आगे कहा, जहां तक एनकाउंटर की बात है, तो यह सब प्लान्ड वे में नहीं हो सकता। मौके पर जैसे हालात होते हैं वैसा पुलिस करती है। तभी कई मामलों में अपराधी पकड़े भी गए हैं।

Created On :   25 Sep 2019 9:00 AM GMT

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