उत्तराखंड हाईकोर्ट ने लगाया बैन, गंगा किनारे अब नहीं होगी राफ्टिंग और पैराग्लाइडिंग
- कोर्ट ने मौज-मस्ती के नाम पर गंगा की पवित्रता तो दूषित करने पर राज्य में सभी रिवर स्पोर्ट्स पर रोक लगा दी है।
- कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए हैं कि नदी के किनारे उचित शुल्क बिना लाइसेंस जारी नहीं कर सकते।
- सरकार को इस पर सख्त कानून बनाने के निर्देश दिए हैं।
डिजिटल डेस्क, देहरादून। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है, जिससे रिवर राफ्टिंग और दूसरे वॉटर स्पोर्ट्स के शौकीनों को थोड़ा झटका लग सकता है। कोर्ट ने मौज-मस्ती के नाम पर गंगा की पवित्रता तो दूषित करने पर राज्य में सभी रिवर स्पोर्ट्स पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही सरकार को इस पर सख्त कानून बनाने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने ऋषिकेश में रिवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग जैसे वाटर स्पोर्ट्स पर रोक लगा दी है।
हरिओम कश्यप ने दायर की PIL
हाईकोर्ट के सीनियर जस्टिस लोकपाल सिंह की खंडपीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई। बता दें कि इस संबंध में ऋषिकेश के रहने वाले हरिओम कश्यप ने जनहित याचिका फाइल की थी। इस याचिका में कहा गया कि सरकार ने साल 2014 में भगवती काला व वीरेंद्र सिंह गुसाईं को राफ्टिंग कैंप लगाने के लिए कुछ शर्तों पर लाइसेंस दिया था, लेकिन कोर्ट द्वारा दिए गए किसी भी दिशा-निर्देश का पालन नहीं किया गया। राफ्टिंग के नाम पर लोगों ने गंगा नदी पर कैंप लगाने शुरू कर दिए।
गंगा की पवित्रता को खतरा
इन कैंपों में ठहरने वाले लोग यहां नॉनवेज, शराब और लाउड म्यूजिक जैसी गतिविधियां करने लगे। इससे गंगा किनारे गंदगी फैल रही है और गंगा की पवित्रता पर भी खतरा है। कश्यप ने कहा कि जिस गंगा की लोग पूजा करते हैं वहां ऐसा करना ना केवल कानून में वर्जित है, बल्कि इससे लोगों आस्था को भी ठेस पहुंचाता है। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए हैं कि नदी के किनारे उचित शुल्क बिना लाइसेंस जारी नहीं कर सकते।
कोर्ट ने कहा कि स्पोर्ट्स एक्टिविटीज के नाम पर अय्याशी करने की स्वीकृति नहीं दी जा सकती। जब तक सरकार सही तरीके से कानून नहीं बनाती राज्य में रिवर राफ्टिंग जैसे गतिविधियां नहीं होंगी। इन खेलों में केवल उच्च प्रशिक्षित खिलाड़ियों को ही भाग लेने की अनुमति दी जाए। पर्यटन को प्रोत्साहित जरूर करना चाहिए, लेकिन उसे नियंत्रित भी करना जरूरी है।
Created On :   22 Jun 2018 8:49 PM IST