विदर्भ के 63.73 लाख युवा बेरोजगार, 27 फीसदी जनता गरीबी से जूझ रही

विदर्भ के 63.73 लाख युवा बेरोजगार, 27 फीसदी जनता गरीबी से जूझ रही
विदर्भ के 63.73 लाख युवा बेरोजगार, 27 फीसदी जनता गरीबी से जूझ रही

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  विदर्भ के 54.21 प्रतिशत युवा बेरोजगारी से संघर्ष कर रहे हैं। इन्हें रोजगार नहीं मिलने के कारण सामाजिक व आर्थिक स्थिति पर विपरीत असर हो रहा है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि विदर्भ में 63 लाख 73 हजार युवा बेरोजगार हैं। वहीं विदर्भ में 27 फीसदी जनता गरीबी से जूझ रही है, जबकि राज्य के अन्य संभागों की तुलना में विदर्भ में प्रति व्यक्ति मासिक आय महज 1673 रुपए दर्ज की गई है, जबकि राज्य में प्रति व्यक्ति मासिक आय का प्रमाण 2117 रुपए हैं। न्यूनतम आय पर विदर्भवासी युवाओं का गुजारा कैसे होता होगा? यह अंदाजा लगाया जा सकता है। मानव विकास निर्देशांक में विदर्भ का पिछड़ापन दूर करना अत्यंत जरूरी हो गया है।

पश्चिम महाराष्ट्र व कोंकण से बदतर हालत
विदर्भ में प्रति व्यक्ति मासिक आय की तुलना जब हम महाराष्ट्र के अन्य संभागों से करते हैं तो हमारी स्थिति पश्चिम महाराष्ट्र एवं कोंकण से भी बदतर दिखाई पड़ती है। इस संदर्भ में वर्ष 2012 में यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुखदेव थोरात ने आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों का विश्लेषण कर अनेक चौंकाने वाली जानकारियां उजागर की थी। इसके बावजूद विदर्भ के हालातों में कोई खास बदलाव नहीं देखा गया है। विदर्भ में 35 प्रतिशत शहरीकरण हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि प्रति व्यक्ति मासिक आय में विदर्भ जहां 1673 रुपए पर अटका हुआ हैं, वहीं पश्चिम महाराष्ट्र में 2057 रुपए, कोकण में 3050 रुपए, मराठवाड़ा में 1561 रुपए तथा खानदेश में 1615 रुपए है। गरीबी के आंकड़ों में भी हम पिछड़े हुए हैं। गरीबी में पश्चिम महाराष्ट्र व कोंकण 9 प्रतिशत, मराठवाड़ा 22 प्रतिशत, खानदेश 29 प्रतिशत और विदर्भ में 27 प्रतिशत लोग गरीब है।

...तो युवा शक्ति बिखर जाएगी
विदर्भ में बेरोजगारी के कारण एक ओर जहां अपराध का ग्राफ बढ़ने लगा है, वहीं दूसरी ओर न्यूनतम मजदूरी, मजदूरों का पलायन, नशाखोरी, आत्महत्याओं का बढ़ता प्रमाण, खेती की खस्ता हालात आदि समस्याएं उभरकर युवाओं के शक्ति को क्षीण कर रही है। समय रहते युवाओं की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह युवा शक्ति बिखर जाएगी।

45.79 फीसदी युवा करते हैं काम यहां
विदर्भ की जनंसख्या करीब 1 करोड़ 17 लाख 54 हजार है। इनमें से 45.79 प्रतिशत युवा काम करते हैं। अर्थात 53 लाख 81 हजार युवाओं के पास अपना जीवन-यापन करने के लिए कोई न कोई रोजगार उपलब्ध है। इसके विपरीत 54.21 प्रतिशत अर्थात 63 लाख 73 हजार युवा बेरोजगार हैं। उच्च शिक्षा पाकर भी अनेक युवाओं को काम नहीं मिल पा रहा है। हालांकि काम न करने वालों की संख्या में बुजुर्ग व दिव्यांगों का भी समावेश है।

बैकलॉग है मुख्य वजह
महाराष्ट्र का समुचित विकास करने पर खास ध्यान नहीं दिया गया। इसके चलते विदर्भ में शिक्षा, रोजगार, कृषि, सिंचन, उद्योग आदि क्षेत्र में बैकलॉग दिखाई पड़ता है। भौतिक व आर्थिक प्रगति में असंतुलन होने के कारण विदर्भ पिछड़ता गया। यही वजह है कि खेती करना नुकसानदेह होने के कारण शिक्षित युवा अब खेती नहीं करना चाहते। वहीं कम शिक्षित युवा बाहरी राज्यों या शहरों में जाकर अच्छी नौकरी नहीं पा सकते, इसलिए वे मजदूरी के लिए तरसते हैं। बेरोजगारी के चलते अपराध, नशाखोरी व आरक्षण विरोध जैसे मामले उजागर हो रहे हैं। सरकार की अपनी मर्यादाएं हैं। हर क्षेत्र में सरकारी नौकरियां कम हो चुकी हैं। निजीकरण के कारण अब युवाओं को नौकरियों पर निर्भर रहने के बजाय कृषि पूरक रोजगार व उद्योगों की ओर मुड़ना होगा। (इ.जेड. खोब्रागडे, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, महाराष्ट्र सरकार)
 

Created On :   12 Aug 2018 1:25 PM GMT

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