हाईकोर्ट की 138 साल पुरानी इमारत में जगह का अभाव, जबरन काम करने के लिए कहना उचित नहीं : HC

Bombay High Court on lack of space in its existing 138-year-old building
हाईकोर्ट की 138 साल पुरानी इमारत में जगह का अभाव, जबरन काम करने के लिए कहना उचित नहीं : HC
हाईकोर्ट की 138 साल पुरानी इमारत में जगह का अभाव, जबरन काम करने के लिए कहना उचित नहीं : HC

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय की नई इमारत की जगह के आवंटन को लेकर फैसले में विलंब करना लोगों को न्याय से वंचित करने जैसा है। हाईकोर्ट की मौजूदा 138 साल पुरानी इमारत में जगह का काफी अभाव है। इस स्थिति में कोर्ट कर्मचारियों को जबरन काम करने के लिए कहना उचित नहीं है। हाईकोर्ट की नई इमारत के लिए जगह आवंटित किए जाने व जरूरी सुविधाएं तथा संसाधन उपलब्ध कराए जाने की मांग को लेकर पेशे से वकील अहमद अब्दी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति एमएस सोनक की खंडपीठ ने सरकार को 6 महीने के भीतर कोर्ट की इमारत से जुड़े प्रस्ताव पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। 

मौजूदा न्यायाधीशों की संख्या के हिसाब से कक्ष व चेंबर नहीं 

कहा कि वर्तमान में हाईकोर्ट के लिए 94 न्यायाधीशों के पद मंजूर है। एक समय पर न्यायाधीशों की यह संख्या 35 से 50 थी। इस लिहाज से हाईकोर्ट की मौजूदा इमारत में मौजूदा न्यायाधीशों की संख्या के हिसाब से न तो कोर्ट कक्ष के लिए पर्याप्त जगह है और न ही न्यायाधीशों के चेंबर के लिए आवश्यक स्थान है। वकीलों के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है। इसके अलावा दूर दराज के इलाकों से कोर्ट में आनेवाले लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

वेतन न देनेवाले निजी स्कूलों के खिलाफ क्या कार्रवाई करेगी सरकार ?

बॉम्बे हाईकोर्ट ने  राज्य सरकार से जानना चाहा है कि वह ऐसे निजी स्कूलों के खिलाफ क्या कार्रवाई करेगी जो शिक्षकों के वेतन व दूसरे वैधानिक भत्तों का भुगतान नहीं करते हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले में 29 जनवरी तक सरकार से सफाई मांगी है। साथ ही अगली सुनवाई में ठाणे जिला परिषद के शिक्षा अधिकारी को कोर्ट में हाजिर रहने को कहा है। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने कहा कि यदि निजी शैक्षणिक संस्थान शिक्षकों को महाराष्ट्र इमप्लाई ऑफ प्राइवेट स्कूल रेग्युलेशन रुल 1981 के तहत वेतन का भुगतान नहीं करते हैं तो सरकार ऐसे संस्थानों के खिलाफ क्या कदम उठाएगी? खंडपीठ ने यह सवाल गैर अनुदानित जूनियर कॉलेज व एक निजी स्कूल के शिक्षक की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान किया।  याचिका में शिक्षकों ने दावा किया था कि उन्हें महाराष्ट्र इमप्लाई ऑफ प्राइवेट स्कूल रेग्युलेशन रुल 1981 की धारा 7 के तहत वेतन का भुगतान नहीं किया जाता है। शिक्षकों के अनुसार 1981 का कानून निजी स्कूलों पर लागू होता है। वे जिस स्कूल में पढ़ाते हैं वह सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूल है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 29 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी है। 
 

Created On :   23 Jan 2019 6:50 AM GMT

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