गांधी ने मेक इन इंडिया से बहुत पहले सिखाई थी आत्मनिर्भरता

Gandhi taught self-sufficiency long before Make in India
गांधी ने मेक इन इंडिया से बहुत पहले सिखाई थी आत्मनिर्भरता
गांधी ने मेक इन इंडिया से बहुत पहले सिखाई थी आत्मनिर्भरता

नई दिल्ली, 28 सितंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में देश को आत्मनिर्भरता के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से मेक इन इंडिया की पहल की थी, लेकिन इसके बीज कई दशकों पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बोए थे।

प्रख्यात गांधीवादियों ने आईएएनएस से कहा कि एक दोतरफा दृष्टिकोण के रूप में 1920 में ही गांधी ने खादी वों के पहनावे को बढ़ावा दिया। इससे एक ओर जहां प्रौद्योगिकी के साथ लोगों को सशक्त बनाने में मदद मिली, वहीं दूसरी तरफ इससे ब्रिटिशों के आर्थिक हितों का भी नुकसान हुआ।

खादी आंदोलन का उद्देश्य विदेशी कपड़ों का बहिष्कार करना और स्वरोजगार के लिए खादी धागों की कताई को बढ़ावा देना था।

राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय के निदेशक ए.अन्नामलाई ने आईएएनएस से कहा, लोगों के हाथों में दिए जाने पर टेक्नोलॉजी एक ताकतवर हथियार बन जाती है। गांधी ने कपड़ा के क्षेत्र में इस वैकल्पिक प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया। यह लोगों के लिए सस्ती थी। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को सशक्त बनाना था, ताकि वह निडर हो सकें, अंग्रेजों से डरें नहीं।

उन्होंने आगे कहा, यह सिद्धांत वर्तमान समय में भी प्रासंगिक है, क्योंकि लोगों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना चाहिए।

एक और गांधीवादी, मेरठ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रवींद्र कुमार ने आईएएनएस से कहा कि यह गांधी की दूरदर्शिता ही थी कि उन्होंने 1917 में विदेशी कपड़ों के खिलाफ अपना अभियान शुरू किया, लेकिन 1920 में इसे खादी आंदोलन में परिवर्तित किया।

कुमार ने कहा, बीच के तीन सालों में उन्होंने लोगों को वैकल्पिक कपड़ों के उत्पादन का अभ्यस्त बनाया। उन्हें खादी का आदी बनाया। यह आर्थिक दर्शन होने के साथ-साथ राष्ट्रीय आंदोलन का अनिवार्य हिस्सा भी था।

गांधी दर्शन के विशेषज्ञों के अनुसार, खादी आंदोलन गांधी की स्वराज्य की अवधारणा या स्वशासन की ओर उठाया गया पहला कदम था।

Created On :   28 Sept 2019 8:31 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story