चैलेंज के साथ करियर स्वीकार रही हैं गर्ल्स , हर क्षेत्र में बढ़ा रहीं कदम

Girls are accepting career challenge,stepping up in every field
चैलेंज के साथ करियर स्वीकार रही हैं गर्ल्स , हर क्षेत्र में बढ़ा रहीं कदम
चैलेंज के साथ करियर स्वीकार रही हैं गर्ल्स , हर क्षेत्र में बढ़ा रहीं कदम

डिजिटल डेस्क,नागपुर। लड़कियों के लिए कल तक कैरियर ऑप्शन डॉक्टर, टीचर या नर्स तक सीमित थे। आज शिक्षा के हर क्षेत्र में अपनी उपस्थित दर्ज करा रही लड़कियां परंपरात्मक रूप से निषिद्ध माने जाने वाली राहों पर आगे बढ़ चुकी हैं। लड़कियां एविएशन, अंतरिक्ष, सेना जैसे क्षेत्रों के बाद कुछ ऐसे विकल्प की तलाश में हैं, जिन्हें वे चुनौती के रूप में ले सकें। नागपुर में कई युवतियां या महिलाओं ने करियर के रूप में ऐसे क्षेत्रों का चुनाव किया है। उनके लिए जेंडर बाधा नहीं बन पाया।  

कम आंकना गलत
ट्रैकिंग में कैरियर बनाने की ओर कदम बढ़ाती मालविका शर्मा के अनुसार आज की लड़कियों को कमतर मानना गलत है। ट्रैकिंग जैसे क्षेत्र में लड़कियों की कमी ने ही उन्हें इस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए प्रेरित किया। मोनल जाधव के अनुसार पुलिस से लेकर सेना तक ने लड़कियों के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। अब हम क्यों पीछे रहें।

मानसिकता बदलने का समय
नए विकल्पों को तलाशती इन लड़कियों का कहना है कि अब समय आ गया है कि लोग अपनी मानसिकता में बदलाव लाएं। रोशनी बंसोड़ कहती हैं बचपन से ही हमें बताया जाने लगता है कि हमें क्या करना है। उनकी लिस्ट डॉक्टर से आगे बढ़कर टीचर पर समाप्त हो जाती है। आज हर दिन नए कैरियर ऑप्शन सामने आ रहे हैं। लड़कियों को उन पर नजर रखनी चाहिए। अपनी क्षमताओं को पहचान कर मंजिल तय करनी चाहिए। एमएससी कर रही खुशी मिश्रा का कहना है कि उससे सभी टीचर या लेक्चरर बनने की बात करते हैं, लेकिन मैं साइंस के नए ऑप्शन के आधार पर अपने लिए कॅरियर का चुनाव करना चाहती हंू।

अलग क्षेत्र को आजमाने का शौक
कुछ क्षेत्र लड़कियों के लिए परंपरागत रूप से बेहतर माने जाते हैं। अधिकतर लड़कियों से उम्मीद यही रखी जाती है कि इन कुछ विकल्पों में से कोई विकल्प चुन कर कैरियर बनाएं, लेकिन कुछ लड़कियां बनी-बनाई लकीर पर चलने के बजाए नई राह अपनाना चाहती हैं। यह कहना है प्राजंल मराठे का। प्राजंल कैंप में बच्चों को शूटिंग का प्रशिक्षण देती हैं। उन्होंने इस तरह के कॅरियर चुनने का कारण कुछ अलग करने की चाह को बताया। सीमा शिवहरे फॉरेस्ट गाइड बनना चाहती हैं। उनका कहना है कि उन्हें जंगल, वन्य जीव और प्रकृति के बीच काम करना अच्छा लगता है। दसवीं की छात्रा मानुषी पाटील का इरादा मैकेनिक बनने का है। 
 

Created On :   11 March 2019 9:44 AM GMT

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