घन कचरा प्रबंधन योजना टांय-टांय फिस्स, डस्टबिन बने शो पीस

kachra management scheme flop in nagpur city, Dustbin made show piece
घन कचरा प्रबंधन योजना टांय-टांय फिस्स, डस्टबिन बने शो पीस
घन कचरा प्रबंधन योजना टांय-टांय फिस्स, डस्टबिन बने शो पीस

डिजिटल डेस्क, नागपुर। केन्द्रीय टीम के आने के पूर्व सफाई के लिए जद्दोजहद करने वाली मनपा की घनकचरा प्रबंधन योजना टांय-टांय फिस्स हो गई है। योजना अंतर्गत बांटे गए अलग-अलग डस्टबिन कई जगह शो पीस बनकर रह गए हैं। अधिकांश जगहों पर सारा कचरा एक ही डस्टबिन में डाला जा रहा है। बता दें कि शहर से निकलने वाले कचरे का गीला और सूखा वर्गीकरण कर गीले कचरे से कंपोस्ट खाद और सूखे कचरा रिसाइकल करने की योजना बनाई गई। 5 जून-2017 को योजना का विधिवत उद्घाटन किया गया। कचरा अलग-अलग इकट्ठा करने के लिए एक ही गाड़ी में हरे और नीले रंग के दो कंपार्टमेंट बनाए गए। नागरिकों में जनजागरण के लिए 20 लाख से अधिक रुपये फूंक दिए गए, लेकिन नौ माह भी मनपा यह योजना ठीक से नहीं चला पाई। आलम यह है कि डंपिंग यार्ड में गील-सूखा कचरा एक ही जगह डाला जा रहा है, क्योंकि  मनपा के पास इसे सही तरीके से ठिकाने लगाने की कोई व्यवस्था ही नहीं है।

प्रतिदिन निकलता है 1100 मीट्रिक टन कचरा
शहर से प्रतिदिन 1100 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। इसे इकट्ठा कर भांडेवाड़ी डंपिंग यार्ड तक पहुंचाने की जिम्मेदारी कनक रिसोर्सेस मैनेजमेंट पर है। गाड़ियां बस्तियों में घूमकर इकट्ठा किया हुआ कचरा भांडेवाड़ी डंपिंग यार्ड तक पहुंचाती हैं। गीला-सूखा कचरा अलग-अलग जमा करने के लिए गाड़ियों की ट्रॉली में दो कंपार्टमेंट बनाए गए हैं। गीले कचरे के लिए हरा और सूखे कचरे के लिए नीला कंपार्टमेंट है। इस पर बाकायदा गीला-सूखा  लिखा रहता है। मजे की बात यह है कि गीला-सूखा कचरा अलग-अलग जमा करने की योजना यहीं तक सीमित है। बस्तियों से कचरा जमा करते समय न तो गीला-सूखा कचरा अलग-अलग जमा किया जाता है, और न ही डंपिंग यार्ड में इसे अलग-अलग रखने की कोई व्यवस्था है। जमा कचरा एक ही जगह डाल दिया जाता है।

कचरा चुनने वालों की  है रोजी-रोटी
सूखे कचरे को रिसाइकल करने की कोई स्वतंत्र व्यवस्था नहीं है। पेट की भूख मिटाने के खातिर कचरे के ढेर में प्लास्टिक चुनने वालों से ही मनपा को सूखे कचरा रिसाइकल होने की उम्मीद है। रोजगार के लिए डंपिंग यार्ड में लगभग 250 से अधिक महिला-पुरुष प्लास्टिक चुनने का काम करते हैं। वे दिनभर में 50 से 60 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा चुनते हैं। इसे बेचकर मिलने वाले पैसों से वे परिवार की रोजी-रोटी चलाते हैं। मनपा ने उन्हें पहचान पत्र भी दिए गए हैं। खरीदार इस कचरे को रिसाइकल कर दूसरे उत्पादन के लिए उपयोग करते हैं।

नि:शुल्क डस्टबिन योजना भी फेल
हद तो यह है कि मनपा के पास कोई व्यवस्था नहीं होने के बाद भी नागरिकों को नि:शुल्क डस्टबिन देने की योजना बनाई गई। घर-घर हरा और नीला डस्टबिन दिया जाना था। नगरसेवकों की विकास निधि से डस्टबिन खरीदी का प्रस्ताव भी पारित किया गया, लेकिन कोर्ट ने रोक लगाने से यह योजना फेल हो गई। अब नागरिकों को डस्टबिन के लिए जेब ढीली करनी पड़ेगी। 

बिजली उत्पादन में भी लड़खड़ाए कदम
मनपा ने कचरे से बिजली उत्पादन की योजना बनाई थी। एस्सेल ग्रुप को प्लांट सौंपने की प्रक्रिया भी पूरी हुई थी। कचरे से बढ़ते प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए यह संभावना ढूंढी गई थी, परंतु इसे आगे बढ़ाने में मनपा के कदम लड़खड़ा गए। अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं होने से डंपिंग यार्ड परिसर में पर्यावरण की गंभीर समस्या खड़ी होने के संकेत मिल रहे हैं।

डंपिंग यार्ड में कचरे का ढेर
भांडेवाड़ी में डंपिंग यार्ड की 70 एकड़ जमीन है। वहां डाले जाने वाले कचरे का उपयोग नहीं करने से कचरे के पहाड़ बन गए हैं। जेसीबी मशीन लगाकर इन पहाड़ों को समतल करने का काम शुरू है। कचरा डालने के लिए जमीन कम पड़ने के कारण जगह उपलब्ध कराने के लिए यह कदम उठाया गया है।

5 मीट्रिक टन कंपोस्ट खाद की क्षमता
प्रतिदिन निकलने वाले 1100 मीट्रिक टन कचरे में 550 से अधिक मीट्रिक टन गीला कचरा रहता है। गीले कचरे से कंपोस्ट खाद बनाने का प्रोजेक्ट बनाया गया है, लेकिन इसमें प्रतिदिन 5 मीट्रिक टन कचरे का उपयोग करने की क्षमता है। 545 मीट्रिक टन कचरे का उपयोग करने की मनपा के पास कोई योजना नहीं है। गीले कचरे में सब्जी मार्केट का कचरा, घरों से जमा होने वाली झूठन का समावेश है।

कंपोस्ट के लिए मनपा बना रही योजना
गीले कचरे का उपयोग कंपोस्ट खाद के लिए और सूखे कचरे को रिसाइकल कर पुन: उपयोग में लाया जाता है। डंपिंग यार्ड में लोग कचरे से प्लास्टिक चुनते हैं। दिनभर में 50 से 60 मीट्रिक टन प्लास्टिक चुनकर इसे बचते हैं, इससे उनकी रोजी-रोटी चलती है। खरीदार इसकाे रिसाइकल करते हैं। कंपाेस्ट खाद के लिए मनपा अपना प्रोजेक्ट बना रही है।
-डॉ. प्रदीप दासरवार, स्वास्थ्य अधिकारी, महानगर पालिका नागपुर

Created On :   12 March 2018 7:35 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story