गोसेवा केंद्र के लिए सरकार ला रही नई योजना, मंत्रिमंडल में लिया गया फैसला

Maharashtra government grants 34 crore for cow shelter scheme
गोसेवा केंद्र के लिए सरकार ला रही नई योजना, मंत्रिमंडल में लिया गया फैसला
गोसेवा केंद्र के लिए सरकार ला रही नई योजना, मंत्रिमंडल में लिया गया फैसला

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य मंत्रिमंडल ने गोवर्धन गोवंश सेवा केंद्र की नई संशोधित योजना लागू करने का फैसला किया है। शुक्रवार को मंत्रिमंडल ने अप्रैल 2017 में शुरू की गई गोवर्धन गोवंश सेवा केंद्र योजना को रद्द करके नई योजना लागू करने को मंजूरी दी है। राज्य सरकार की तरफ से आर्थिक वर्ष 2019-2020 से नई संशोधित गोवर्धन गोवंश सेवा केंद्र योजना लागू की जाएगी। राज्य के दो जिले मुंबई और मुंबई उपनगर को छोड़कर शेष 34 जिलों के 179 राजस्व उपविभाग में से 40 उपविभाग के लिए गोशाला अनुदान पहले ही मंजूर किया जा चुका है। इसलिए 139 उपविभाग में नई योजना को लागू किया जाएगा। 139 गौशालाओं के लिए आर्थिक वर्ष 2019-2020 के लिए 34 करोड़ 75 लाख रुपए अनुदान के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे। राज्य के उपविभाग में एक गौशाला का चयन कर उसे अनुदान दिया जाएगा। पहले चरण में 15 लाख, दूसरे चरण के 10 लाख कुल मिलाकर 25 लाख रुपए का अनुदान एक बार में आर्थिक सहायता के रूप में सभी गौशालाओं को दिया जाएगा। गौशाला के चयन के लिए राज्य स्तरीय चयन समिति में प्रदेश के पशुपालन मंत्री अर्जुन खोतकर को उपाध्यक्ष के रूप में शामिल किया जाएगा। अनुदान के लिए गौशाला के चयन का अधिकार राज्यस्तरीय समिति के पास होगा।

जानवरों की अवैध बिक्री रोकने प्राणी आयोग का गठन, राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को दी जानकारी

उधर पालूत प्राणियों की अवैध बिक्री को लेकर बांबे हाईकोर्ट ने राज्य प्राणी कल्याण बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह इसे गंभीरता से ले। हाईकोर्ट ने यह बात पालतू प्राणियों की अवैध रुप से हो िबक्री के मुद्दे को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। इस दौरान राज्य सरकार की तरफ से अदालत को बताया कि राज्य सरकार की तरफ से प्राणी कल्याण बोर्ड का गठन कर दिया गया है। मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ के सामने याचिकाकर्ता की वकील संजुक्ता डे ने कहा कि प्राणी क्रूरता प्रतिबंधक कानून के तहत राज्य प्राणी कल्याण बोर्ड का गठन किया गया है। बगैर इस बोर्ड में पंजीयन कराए कोई भी पालतू प्राणियों को नहीं बेच सकता। फिलहाल ज्यादातर दुकानों में अवैध रुप से पंक्षियों, कुत्ते के पिल्ले, मछली व दूसरे पालतू प्राणियों को बेचा जा रहा है। आनलाइन भी प्राणियों की बिक्री की जा रही है। राज्य के पशु संवर्धन विभाग के अतंर्गत आनेवाले प्राणी कल्याण बोर्ड इस मामले को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहा है।  इस पर राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि प्राणी कल्याण बोर्ड का गठन हो चुका है। वह जल्द ही दुकानों के पंजीयन को लेकर कदम उठाएगा। उन्हें याचिका में उठाए गए मुद्दे को लेकर हलफनामा दायर करने के लिए वक्त दिया जाए। इस पर खंडपीठ ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी। 
 

Created On :   9 March 2019 10:13 AM GMT

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