नवरात्रि के पांचवे दिन करें मां स्कंदमाता की पूजा, पाएं ज्ञान और शक्ति का आशीर्वाद

नवरात्रि के पांचवे दिन करें मां स्कंदमाता की पूजा, पाएं ज्ञान और शक्ति का आशीर्वाद
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर शुक्रवार को नवरात्रि का पांचवां दिन है। नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की आराधना की जाती है, जो माता पार्वती का मातृत्वपूर्ण स्वरूप हैं।

नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर शुक्रवार को नवरात्रि का पांचवां दिन है। नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की आराधना की जाती है, जो माता पार्वती का मातृत्वपूर्ण स्वरूप हैं।

इनकी पूजा करने से संतान सुख, ज्ञान, शक्ति, और आध्यात्मिक विकास की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

द्रिक पंचांग के अनुसार, इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा दोपहर के 3 बजकर 23 मिनट तक तुला राशि में रहेंगे। इसके बाद वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे। इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह के 11 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह के 10 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।

पुराणों के अनुसार, भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। कमल के आसन पर विराजमान होने से इन्हें पद्मासना देवी के नाम से भी जाना जाता है। चार भुजाओं वाली मां स्कंदमाता अभय मुद्रा में अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और गोद में छह मुख वाले बाल स्कंद को धारण करती हैं। कमल पुष्प लिए यह देवी शांति, पवित्रता और सकारात्मकता की प्रतीक हैं।

मां स्कंदमाता की पूजा से संतान सुख की प्राप्ति होती है और शत्रुओं का नाश होता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री होने के कारण इनकी उपासना करने वाला भक्त तेजस्वी और कांतिमय बनता है।

शास्त्रों में इनकी महिमा का वर्णन है कि इनकी भक्ति से भवसागर पार करना सरल हो जाता है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

माता की विधि-विधान से पूजा करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, साफ वस्त्र पहनें और हो सके तो पीले वस्त्र धारण करें, जो शांति और सकारात्मकता का प्रतीक है। माता की चौकी को साफ करें। इसके बाद गंगाजल का छिड़काव करें। उन्हें पान, सुपारी, फूल, फल, अक्षत आदि अर्पित करें। इसके साथ ही श्रृंगार का सामान भी चढ़ाएं, जिसमें लाल चुनरी, सिंदूर, अक्षत, लाल पुष्प (विशेषकर गुड़हल), चंदन, रोली आदि शामिल हों। फिर, मिठाई का भोग लगाएं।

स्कंदमाता की कथा का पाठ करें और उनके मंत्रों का जाप करें। इसके बाद मां दुर्गा की आरती करें और आचमन कर पूरे घर में आरती दिखाना न भूलें। अंत में प्रसाद ग्रहण करें, जिससे संतान और स्वास्थ्य संबंधी बाधाएं दूर होती हैं।

मां स्कंदमाता की आराधना मन को एकाग्र और पवित्र बनाती है। यह पावन दिन भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति और सुख-समृद्धि का अवसर लेकर आता है।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   25 Sept 2025 9:26 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story