गुरुवार व्रत हल्दी, चना दाल, गुड़ से करें भगवान विष्णु को प्रसन्न, जानें पूरी विधि

गुरुवार व्रत  हल्दी, चना दाल, गुड़ से करें भगवान विष्णु को प्रसन्न, जानें पूरी विधि
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि गुरुवार को पड़ रही है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा 10 अक्टूबर रात 1 बजकर 23 मिनट तक मेष राशि में रहेंगे। इसके बाद वृषभ राशि में गोचर करेंगे।

नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि गुरुवार को पड़ रही है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा 10 अक्टूबर रात 1 बजकर 23 मिनट तक मेष राशि में रहेंगे। इसके बाद वृषभ राशि में गोचर करेंगे।

द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर 1 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर 3 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। गुरुवार को कोई विशेष योग या त्योहार नहीं है, लेकिन वार के हिसाब से आप गुरुवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित होता है।

अग्नि पुराण में उल्लेख मिलता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने काशी में शिवलिंग की स्थापना की थी, जिस वजह से इस दिन विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने का महत्व थोड़ा ज्यादा बढ़ जाता है।

गुरुवार के दिन व्रत रखने से धन, समृद्धि, संतान और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

मान्यता है कि जो जातक इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें पीले वस्त्र धारण करने चाहिए और पीले फल-फूलों का दान करना चाहिए। ऐसा करने से लाभ मिलता है। वहीं, भगवान विष्णु को हल्दी चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। गुरुवार के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न और धन का दान करने से भी पुण्य प्राप्त होता है। मान्यता है कि केले के पत्ते में भगवान विष्णु का वास होता है। इसी कारण गुरुवार के दिन केले के पत्ते की पूजा की जाती है।

इस व्रत को किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से शुरू कर सकते हैं और 16 गुरुवार तक व्रत रखकर उद्यापन कर दें।

इस दिन व्रत शुरू करने के लिए आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें। फिर केले के वृक्ष की जड़ में चने की दाल, गुड़ और मुनक्का चढ़ाकर भगवान विष्णु की पूजा करें। दीपक जलाएं, कथा सुनें और भगवान बृहस्पति भगवान की आरती करें। उसके बाद आरती का आचमन करें।

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Created On :   8 Oct 2025 8:47 AM IST

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