गुजरात में नववर्ष का उत्साह, सीएम भूपेंद्रभाई पटेल ने मां भद्रकाली मंदिर में किया पूजा-अर्चना

अहमदाबाद, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। गुजरात में गुजराती नववर्ष पूरे राज्य में उत्साह और धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस पावन अवसर पर अहमदाबाद के लाल दरवाजा स्थित मां भद्रकाली मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा।
सुबह से ही मंदिर में दर्शन के लिए लंबी कतारें देखी गईं, जहां श्रद्धालु नववर्ष की शुरुआत मंगलमय करने के लिए मां भद्रकाली का आशीर्वाद लेने पहुँचे। मंदिर परिसर में भक्ति और उत्साह का अद्भुत माहौल देखा गया। गुजराती नववर्ष का यह उत्सव गुजरात की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का प्रतीक है।
मां भद्रकाली को अहमदाबाद की नगर देवी के रूप में पूजा जाता है और नववर्ष के दिन उनके दर्शन का विशेष महत्व है। भक्तों ने मंदिर में पूजा-अर्चना कर अपने परिवार और समाज की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की। मंदिर को फूलों और रंगोली से सजाया गया था और भक्ति भजनों ने वातावरण को और भी पवित्र बना दिया।
इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ने भी लाल दरवाजा स्थित मां भद्रकाली मंदिर में दर्शन किए। उन्होंने मां भद्रकाली से राज्य की सुख-समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना की।
दर्शन के बाद मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल ने प्रदेशवासियों को नववर्ष की शुभकामनाएं दीं और कहा, "मां भद्रकाली की कृपा से गुजरात नई ऊंचाइयों को छुएगा। यह नववर्ष हम सभी के लिए समृद्धि, शांति और प्रगति लेकर आए। मां भद्रकाली के आशीर्वाद से गुजरातवासी इस नववर्ष में नई उम्मीदों और उत्साह के साथ आगे बढ़ने को तैयार हैं।"
उन्होंने गुजरात की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और इसे आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता भी दोहराई।
मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल के स्वागत के लिए गुजरात बीजेपी अध्यक्ष जगदीश विश्वकर्मा, अहमदाबाद पश्चिम के सांसद दिनेश मकवाना और अहमदाबाद शहर की मेयर प्रतिभा जैन उपस्थित रहे। इस दौरान स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी मंदिर में दर्शन किए और नववर्ष के उत्सव में भाग लिया।
नववर्ष के अवसर पर पूरे गुजरात में विभिन्न स्थानों पर सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन किए गए। लोग अपने घरों को सजाकर, नए कपड़े पहनकर और मिठाइयां बांटकर इस दिन को उत्सव के रूप में मना रहे हैं।
व्यापारी वर्ग ने अपने व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर विशेष पूजा-अर्चना की और नए बही-खातों की शुरुआत की। गुजराती नववर्ष का यह उत्सव न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक गौरव का भी प्रतीक है।
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Created On :   22 Oct 2025 3:46 PM IST