पीएम मोदी ने युवाओं की रचनात्मकता को सराहा, कहा- सोशल मीडिया की दुनिया ने संस्कृत को नई प्राणवायु दी है

पीएम मोदी ने युवाओं की रचनात्मकता को सराहा, कहा- सोशल मीडिया की दुनिया ने संस्कृत को नई प्राणवायु दी है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 127वें एपिसोड में युवाओं की रचनात्मकता और संस्कृति के प्रति उनके जुड़ाव की विशेष सराहना की। इस दौरान उन्होंने खास तौर पर उन युवा कंटेंट क्रिएटर्स का ज़िक्र किया, जो संस्कृत, अध्यात्म, दर्शन और संगीत को सोशल मीडिया के जरिए नई पहचान दे रहे हैं।

नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 127वें एपिसोड में युवाओं की रचनात्मकता और संस्कृति के प्रति उनके जुड़ाव की विशेष सराहना की। इस दौरान उन्होंने खास तौर पर उन युवा कंटेंट क्रिएटर्स का ज़िक्र किया, जो संस्कृत, अध्यात्म, दर्शन और संगीत को सोशल मीडिया के जरिए नई पहचान दे रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "कमला और जाह्नवी, ये दो बहनें शानदार काम कर रही हैं। वे अध्यात्म, दर्शन और संगीत पर कंटेंट बनाती हैं। इनके वीडियो न सिर्फ ज्ञानवर्धक हैं बल्कि युवाओं में भारतीय संस्कृति के प्रति रुचि भी जगा रहे हैं।"

उन्होंने आगे कहा कि आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से संस्कृत को नई ऊर्जा मिल रही है। प्रधानमंत्री ने एक और युवा कंटेंट क्रिएटर का जिक्र करते हुए कहा, "इंस्टाग्राम पर 'संस्कृत छात्रोहम्' नाम से एक चैनल है, जिसे एक युवा साथी चला रहे हैं। वे संस्कृत से जुड़ी जानकारियां तो साझा करते ही हैं, साथ ही संस्कृत में हास्य और मनोरंजन के वीडियो भी बनाते हैं, जिन्हें लोग बहुत पसंद करते हैं।"

प्रधानमंत्री ने बताया कि आज देशभर में कई युवा अपनी रचनात्मकता से संस्कृत को आधुनिक माध्यमों से जोड़ रहे हैं। उन्होंने समष्टि नाम की एक लड़की का जिक्र करते हुए कहा, "आप में से कई लोगों ने 'समष्टि' के वीडियो भी देखे होंगे। समष्टि अपने गानों को संस्कृत में बहुत ही अनोखे और आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करती है।"

इसके अलावा, पीएम मोदी ने एक अन्य युवा कंटेंट क्रिएटर का जिक्र करते हुए कहा, "एक और युवा हैं भावेश भीमनाथनी, जो संस्कृत श्लोकों, आध्यात्मिक दर्शन और सिद्धांतों पर चर्चा करते हैं। उनका काम संस्कृत को नई पीढ़ी के बीच लोकप्रिय बना रहा है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामी के दौर में और आजादी के बाद भी संस्कृत भाषा की उपेक्षा होती रही, जिससे युवाओं में इसकी ओर आकर्षण घट गया। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। अब समय बदल रहा है और संस्कृत का भी समय बदल रहा है। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने इस भाषा को नई प्राणवायु दी है। आज के युवा संस्कृत को लेकर बहुत रोचक और प्रेरणादायक काम कर रहे हैं।

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Created On :   26 Oct 2025 12:47 PM IST

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