बिहार चुनाव अरवल सीट पर हर बार पलटती है बाजी, जानें अलग जिला बनने से पहले का इतिहास

बिहार चुनाव  अरवल सीट पर हर बार पलटती है बाजी, जानें अलग जिला बनने से पहले का इतिहास
बिहार के 38 जिलों के मानचित्र पर अरवल एक छोटा-सा नाम है, लेकिन इसकी मिट्टी में इतिहास का गहरा रंग और राजनीति का एक तीखा मिजाज घुला है। यह ऐसी भूमि है, जहां सोन नदी ने किसानों का भाग्य लिखा है और जहां की विधानसभा सीट पर हर चुनाव में बाजी पलट जाती है।

पटना, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार के 38 जिलों के मानचित्र पर अरवल एक छोटा-सा नाम है, लेकिन इसकी मिट्टी में इतिहास का गहरा रंग और राजनीति का एक तीखा मिजाज घुला है। यह ऐसी भूमि है, जहां सोन नदी ने किसानों का भाग्य लिखा है और जहां की विधानसभा सीट पर हर चुनाव में बाजी पलट जाती है।

अरवल की कहानी की शुरुआत जहानाबाद से अलग होने के साथ होती है। यह क्षेत्र पहले जहानाबाद जिले का हिस्सा था, लेकिन अगस्त 2001 में इसे एक स्वतंत्र जिले के रूप में पहचान मिली। आज यह बिहार के 38 जिलों में से एक है और जनसंख्या की दृष्टि से राज्य के सबसे कम आबादी वाले (तीसरे) जिलों में गिना जाता है। अरवल मगध क्षेत्र का हिस्सा है और यहीं से इसकी संस्कृति, भाषा और सामाजिक ताना-बाना तय होता है।

अरवल विधानसभा सीट 1951 में स्थापित हुई थी और यह जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। इस सीट की राजनीति हमेशा से ही अस्थिर रही है। पिछले चार विधानसभा चुनावों में चार अलग-अलग दलों ने जीत दर्ज की है।

अब तक अरवल से कुल 17 बार विधायक चुने जा चुके हैं। इनमें से सबसे उल्लेखनीय नाम निर्दलीय उम्मीदवार कृष्णानंदन प्रसाद सिंह का है, जिन्होंने 1980 से 1990 तक लगातार तीन बार जीत हासिल की।

अगर यहां के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो, निर्दलीय उम्मीदवारों ने 4 बार जीत दर्ज की है। राजद, एलजेपी, भाकपा और कांग्रेस ने 2-2 बार, जबकि भाजपा, जनता दल, जनता पार्टी और सोशलिस्ट पार्टी ने 1-1 बार सफलता प्राप्त की है। कांग्रेस की आखिरी जीत 1962 में हुई थी।

2020 के विधानसभा चुनाव में भाकपा (माले) (लिबरेशन) राजद-नीत महागठबंधन का हिस्सा थी। उसने यह सीट जीती। सीपीआईएमएल के महानंद सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के दीपक शर्मा को बड़े अंतर से हराया।

इससे पहले 2015 में, राजद के रविंद्र सिंह ने भाजपा के चितरंजन कुमार को शिकस्त दी थी। रविंद्र सिंह ने पहली बार 1995 में जनता दल के टिकट पर जीत दर्ज की थी। वहीं, 2010 में भाजपा के चितरंजन कुमार विधायक बने थे।

इस जिले की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खेती पर निर्भर है। यहां उद्योग की कमी है, लेकिन सोन नदी के कारण यहां की जमीन बेहद उपजाऊ है।

अरवल जिला की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, यहां की जनसंख्या 7,00,843 है। इस जिले में 3 कॉलेज, 39 हाई स्कूल, 187 मिडिल स्कूल और 282 प्राइमरी स्कूल हैं।

वहीं, इस जिले में 5 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मौजूद हैं, जबकि 47 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं। अरवल की पहचान मगही भाषा से है।

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Created On :   29 Oct 2025 5:15 PM IST

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