बर्थडे 'सुबह चार बजे उठकर दौड़ना, अखाड़े में घंटों पसीना बहाना,' ऐसे ही बबीता फोगाट नहीं बनी धाकड़ पहलवान
नई दिल्ली, 19 नवंबर (आईएएनएस)। देश में पहलवानी को परंपरागत रूप से पुरुषों का खेल माना जाता रहा है। लेकिन, पिछले एक दशक में पहलवानी की तस्वीर बदली है। देश के शीर्ष पहलवानों में पुरुषों के साथ-साथ फोगाट बहनों का नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है। इसमें एक नाम बबीता फोगाट का है, जिन्होंने अपनी पहलवानी से वैश्विक स्तर पर देश का नाम ऊंचा किया है।
बबीता फोगाट का जन्म 20 नवंबर 1989 को हरियाणा के भिवानी जिले के छोटे से गांव बालाली में हुआ था। बबीता के पिता महावीर सिंह फोगाट खुद एक पहलवान रहे हैं। बबीता और उनकी बहनों का पहलवानी के क्षेत्र में आने और सफलता पाने में उनके पिता का बड़ा योगदान रहा है। महावीर सिंह फोगाट ने उस दौर में अपनी बेटियों को ट्रेनिंग दी जिस समय में हरियाणा में लड़कियों की कुश्ती बेहद मुश्किल थी। लेकिन, समाज की बंदिशों को तोड़ते हुए उन्होंने अपनी बेटियों को पहलवानी के क्षेत्र में पारंगत बनाया। बबीता फोगाट और उनकी बहनों संगीता फोगाट, गीता फोगाट और विनेश फोगाट ने कड़ी मेहनत की बदौलत अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई। विनेश बबीता की चचेरी बहन हैं।
विशेष तौर पर बबीता की बात करें, तो बचपन से ही उन्हें कठिन अभ्यास की आदत डालनी पड़ी। सुबह चार बजे उठकर दौड़ना, मिट्टी के अखाड़े में घंटों पसीना बहाना, बबीता की दिनचर्या का हिस्सा बन गया। लेकिन कहा जाता है कि सोना जितना तपता है उतना ही चमकता है। बबीता फोगाट का करियर भी सोने की तरह चमका और देश की लाखों महिला पहलवानों के लिए प्रेरणा बना।
बबीता ने मात्र 17 साल की उम्र में 2006 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहली बार सुर्खियां बटोरीं। 2010 के दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में बबीता ने 51 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीता। 2014 के ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में बबीता ने 55 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। वह कॉमनवेल्थ में कुश्ती में गोल्ड जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला पहलवान बनी। उनसे पहले उनकी बड़ी बहन गीता फोगाट ने 2010 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता था।
इसके अलावा बबीता ने 2012 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य, 2013 में रजत और 2018 में भी कांस्य पदक जीता। 2016 में रियो ओलंपिक में उन्होंने देश का प्रतिनिधित्व किया था, लेकिन पहले दौर से बाहर हो गई थीं।
पहलवानी से संन्यास के बाद बबीता राजनीति में सक्रिय हैं। वे राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर प्रखरता से अपने विचार रखने के लिए जानी जाती हैं।
अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|
Created On :   19 Nov 2025 10:56 PM IST












