सुपर हाई एल्टीट्यूड क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए हाईटेक स्वदेशी वस्त्र और उपकरण

सुपर हाई एल्टीट्यूड क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए हाईटेक स्वदेशी वस्त्र और उपकरण
युद्धक उपकरणों व हथियारों के साथ ही भारतीय सेना ने हाईटेक टेक्सटाइल में भी आत्मनिर्भरता हासिल की है। खासतौर पर बर्फ से ढकी चोटियों में तैनात रहने वाले जवानों के लिए विशेष जैकेट व पोशाक की आवश्यकता होती है। सेना के इन जवानों के लिए अब स्वदेशी हाईटेक यूनिफॉर्म तैयार की गई है।

नई दिल्ली, 20 नवंबर (आईएएनएस)। युद्धक उपकरणों व हथियारों के साथ ही भारतीय सेना ने हाईटेक टेक्सटाइल में भी आत्मनिर्भरता हासिल की है। खासतौर पर बर्फ से ढकी चोटियों में तैनात रहने वाले जवानों के लिए विशेष जैकेट व पोशाक की आवश्यकता होती है। सेना के इन जवानों के लिए अब स्वदेशी हाईटेक यूनिफॉर्म तैयार की गई है।

भारतीय सेना का कहना है कि वह आत्मनिर्भरता और ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य की दिशा में तेजी से अग्रसर है। सेना के मुताबिक, सुपर हाई एल्टीट्यूड क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए बनाए जाने वाले स्पेशल क्लोदिंग एवं माउंटेनियरिंग इक्विपमेंट के स्वदेशीकरण में उन्होंने यह महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की है। ऐसे कुल 57 आवश्यक कपड़ों व अन्य संसाधनों में से 55 वस्तुएं पूर्णत स्वदेशीकरण के तहत विकसित कर ली गई हैं। यह कुल इन्वेंट्री का 97 प्रतिशत है, यही कारण है कि इसको आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

सेना का मानना है कि इससे न केवल सेना की लॉजिस्टिक क्षमता और आत्मनिर्भरता मजबूत हुई है, बल्कि विदेशी आयात पर निर्भरता में भी भारी कमी आई है। सेना के अनुसार, जहां 57 आवश्यक कपड़ों व अन्य संसाधनों में से 55 वस्तुएं पूर्णत स्वदेशीकरण के तहत विकसित कर ली गई हैं, वहीं शेष दो वस्तुएं भी ट्रायल चरण में हैं। वर्तमान में विभिन्न स्तरों पर इनका ट्रायल चल रहा है। सेना ने इन्हें वर्ष 2026 तक पूरी तरह स्वदेशी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

वहीं, भारतीय सेना ने अपनी परिचालन क्षमताओं को और बढ़ाते हुए जनवरी 2025 में नई ‘कोट कॉम्बैट’ (डिजिटल प्रिंट) का भी औपचारिक रूप से उपयोग शुरू किया। विशिष्ट तैनाती स्थलों के लिए तैयार की गई यह नई वर्दी निफ्ट, नई दिल्ली द्वारा डिजाइन की गई है। इसे आधुनिक युद्धक्षेत्र की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है।

सेना के मुताबिक, इसे तीन स्तरीय, एर्गोनॉमिक रूप से इंजीनियर किया गया है। इसमें अत्याधुनिक टेक्निकल टेक्सटाइल्स का उपयोग किया गया है जो विभिन्न और चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों में सैनिकों की आराम, सुरक्षा और प्रदर्शन क्षमता को बढ़ाते हैं। यह डिजाइन कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट्स, डिजाइन्स एंड ट्रेडमार्क्स के साथ विधिवत पंजीकृत है।

इसके साथ ही भारतीय सेना ने पुनः यह स्पष्ट किया है कि सेना की वर्दी या उसके किसी भी हिस्से का अनधिकृत उपयोग एक दंडनीय अपराध है, जिसके लिए कानून में कठोर दंड का प्रावधान है।

बता दें कि स्वदेशीकरण से जुड़ी भारतीय सेना की ये पहल न केवल सैन्य आधुनिकीकरण को गति देती है, बल्कि देश को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

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Created On :   20 Nov 2025 3:23 PM IST

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