जापान ने पहली बार अमेरिका को पेट्रियट मिसाइलें भेजीं रिपोर्ट

जापान ने पहली बार अमेरिका को पेट्रियट मिसाइलें भेजीं रिपोर्ट
जापानी मीडिया ने रक्षा सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि जापान ने इतिहास में पहली बार अपने देश में बनी पेट्रियट सतह-से-हवा मिसाइल इंटरसेप्टर अमेरिका को निर्यात की है। इनकी संख्या कितनी है फिलहाल इसका खुलासा नहीं किया गया है। यह कदम सिर्फ एक सैन्य सौदा नहीं, बल्कि जापान की दशकों पुरानी रक्षा नीति में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।

टोक्यो, 20 नवंबर (आईएएनएस)। जापानी मीडिया ने रक्षा सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि जापान ने इतिहास में पहली बार अपने देश में बनी पेट्रियट सतह-से-हवा मिसाइल इंटरसेप्टर अमेरिका को निर्यात की है। इनकी संख्या कितनी है फिलहाल इसका खुलासा नहीं किया गया है। यह कदम सिर्फ एक सैन्य सौदा नहीं, बल्कि जापान की दशकों पुरानी रक्षा नीति में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।

क्योदो न्यूज एजेंसी के अनुसार यह निर्यात उन नए नियमों के तहत संभव हुआ है जिन्हें जापान ने दिसंबर 2023 में लागू किया था। इन नियमों ने हथियारों के निर्यात पर लगी कई पाबंदियों को आंशिक रूप से ढील दी, जिससे अब जापान लाइसेंस प्राप्त देशों को पूरे हथियार सिस्टम भी भेज सकता है, सिर्फ पार्ट्स नहीं।

अमेरिका को भेजी गई ये मिसाइलें पेट्रियट पीएसी-3 इंटरसेप्टर हैं, जो बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों जैसी हवा में ही दुश्मन के हथियार को मार गिराने में सक्षम हैं। यह मिसाइल सिस्टम अमेरिकी लाइसेंस के तहत जापान में मित्सुबिशी हैवी इंडस्ट्रीज द्वारा बनाया जाता है। जापान का कहना है कि यह निर्यात अमेरिका की सेना के स्टॉक को भरने के लिए है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में यूक्रेन संघर्ष के चलते अमेरिका अपने सहयोगियों को लगातार मिसाइल सहायता दे रहा है और उसके भंडार पर दबाव बढ़ रहा है। इस पृष्ठभूमि में जापानी आपूर्ति अमेरिकी रक्षा तैयारियों को मजबूत करने में मदद करेगी।

जापान की सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि ये मिसाइलें केवल अमेरिका के उपयोग के लिए हैं और वॉशिंगटन इन्हें किसी तीसरे देश को नहीं भेजेगा। यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जापान की जनता और उसकी राजनीति लंबे समय से हथियार निर्यात को लेकर बेहद संवेदनशील रही है। विश्व युद्ध के बाद जापान ने “सिर्फ रक्षा” की नीति अपनाई थी, जिसके तहत हथियारों का विदेश में भेजा जाना लगभग पूरी तरह प्रतिबंधित था। इसलिए यह सौदा बड़े राजनीतिक विमर्श के बाद संभव हुआ।

इस नीति परिवर्तन ने जापान के भीतर बहस भी तेज कर दी है। समर्थकों का कहना है कि बदलते सुरक्षा माहौल—चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों, उत्तर कोरिया के लगातार मिसाइल परीक्षणों और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अस्थिरता—के बीच जापान को अपनी भूमिका मजबूत करनी होगी। उनके मुताबिक अमेरिका को मिसाइल भेजना जापान-अमेरिका सुरक्षा साझेदारी को और भरोसेमंद बनाता है और दोनों देशों की संयुक्त रक्षा रणनीति को सुदृढ़ करता है।

विरोधियों का तर्क है कि यह कदम जापान को अनावश्यक रूप से अंतरराष्ट्रीय संघर्षों में उलझा सकता है और उसके "शांतिपूर्ण राष्ट्र" की पहचान को कमजोर कर सकता है। उनका कहना है कि भले ही मिसाइलें सीधे युद्ध में इस्तेमाल के लिए नहीं भेजी जा रहीं, लेकिन यह शुरुआत भविष्य में और बड़े हथियार निर्यात के रास्ते खोल सकती है, जो देश की परंपरागत नीतियों के विपरीत है।

इसके बावजूद, सरकार का मानना है कि मौजूदा वैश्विक सुरक्षा स्थिति को देखते हुए यह बदलाव समय की मांग है। जापान के लिए यह सिर्फ रक्षा उद्योग का विस्तार नहीं, बल्कि अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने का प्रयास भी है।

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Created On :   20 Nov 2025 4:20 PM IST

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