अगहन मास में जीरा खाना वर्जित, जानिए क्या कहती हैं पुराण और परंपराएं?

अगहन मास में जीरा खाना वर्जित, जानिए क्या कहती हैं पुराण और परंपराएं?
हिंदू पंचांग में अगहन मास (मार्गशीर्ष) को बहुत पवित्र माना गया है। शास्त्रों के अनुसार यह महीना भगवान श्रीकृष्ण को प्रिय है और श्रीमद्भगवद्गीता में स्वयं भगवान ने कहा है कि महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं। इसलिए इस महीने को भक्ति, तप, साधना और सात्त्विक भोजन का समय माना गया है। इसी वजह से इस मास में लोगों को अपने खान-पान, व्यवहार और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है।

नई दिल्ली, 20 नवंबर (आईएएनएस)। हिंदू पंचांग में अगहन मास (मार्गशीर्ष) को बहुत पवित्र माना गया है। शास्त्रों के अनुसार यह महीना भगवान श्रीकृष्ण को प्रिय है और श्रीमद्भगवद्गीता में स्वयं भगवान ने कहा है कि महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं। इसलिए इस महीने को भक्ति, तप, साधना और सात्त्विक भोजन का समय माना गया है। इसी वजह से इस मास में लोगों को अपने खान-पान, व्यवहार और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है।

माना जाता है कि इस दौरान जितना व्यक्ति सात्त्विक रहेगा, उतनी ही उसकी मन-बुद्धि स्थिर रहेगी और भगवान की कृपा भी बनी रहेगी। इसी संदर्भ में एक परंपरा यह भी है कि अगहन मास में जीरा नहीं खाना चाहिए।

पुराने समय से चली आ रही मान्यताओं के अनुसार जीरा तासीर में गर्म होता है। चूंकि यह महीना शीत ऋतु में आता है, इसलिए कहा गया है कि तेज या गरम तासीर वाली चीजों का सेवन शरीर के प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ देता है।

धार्मिक दृष्टि से मार्गशीर्ष मास में मन को शांत, स्थिर और संयमित रखने की सलाह दी गई है। जीरा इंद्रियों को उत्तेजित करने वाला पदार्थ माना गया है, जिसकी वजह से कहा गया कि व्रत, जप या ध्यान करते समय इसका प्रयोग न करें।

शास्त्रों में सात्त्विक भोजन की प्रधानता है और जीरे को रजोगुण को बढ़ाने वाला तत्व माना गया है, जो ध्यान और एकाग्रता में बाधा डाल सकता है। इसलिए पूजा-पाठ करने वाले कुछ लोग इस मास में किचन से जीरा हटाकर हींग या काली मिर्च का इस्तेमाल करते हैं।

लोक परंपराओं में यह भी माना जाता है कि अगहन मास में जीरा खाने से लक्ष्मी-कृपा कम होती है, क्योंकि यह महीना विष्णु और लक्ष्मी की उपासना का माना गया है। इसलिए लोग इस अवधि में हर तरह से सात्त्विक और सरल भोजन को ही प्राथमिकता देते हैं।

आयुर्वेद में भी बताया गया है कि इस समय पित्त दोष थोड़ा बढ़ा हुआ रहता है और जीरा पित्त व उष्णता दोनों को बढ़ाने वाला माना जाता है। ऐसे में जीरा खाने से कुछ लोगों को सिरदर्द, जलन या पाचन से जुड़ी दिक्कतें महसूस हो सकती हैं। इसलिए इसे खाने से मना किया गया।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   20 Nov 2025 8:13 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story