कमजोर हृदय बढ़ा सकता है परेशानी, कम ईएफ को बिलकुल न करें नजरअंदाज

कमजोर हृदय बढ़ा सकता है परेशानी, कम ईएफ को बिलकुल न करें नजरअंदाज
दिल की ताकत समझनी हो तो कभी भी इजेक्शन फ्रैक्शन (ईएफ) को हल्के में नहीं लेना चाहिए। दिल हर धड़कन में जितना खून शरीर में भेजता है, उसी का प्रतिशत ईएफ कहलाता है। अगर दिल मजबूती से सिकुड़ता है तो पम्पिंग अच्छी रहती है और ईएफ नॉर्मल आता है, लेकिन जब दिल की मांसपेशियां थकने लगती हैं, जकड़न बढ़ने लगती है या दिल को जरूरी ताकत नहीं मिल पाती, तब ईएफ कम होने लगता है।

नई दिल्ली, 23 नवंबर (आईएएनएस)। दिल की ताकत समझनी हो तो कभी भी इजेक्शन फ्रैक्शन (ईएफ) को हल्के में नहीं लेना चाहिए। दिल हर धड़कन में जितना खून शरीर में भेजता है, उसी का प्रतिशत ईएफ कहलाता है। अगर दिल मजबूती से सिकुड़ता है तो पम्पिंग अच्छी रहती है और ईएफ नॉर्मल आता है, लेकिन जब दिल की मांसपेशियां थकने लगती हैं, जकड़न बढ़ने लगती है या दिल को जरूरी ताकत नहीं मिल पाती, तब ईएफ कम होने लगता है।

इसी वजह से डॉक्टर हार्ट मरीज का सबसे पहले ईएफ की रिपोर्ट चेक करते हैं।

ईएफ मापने के लिए सबसे आसान और सुरक्षित तरीका है इको टेस्ट। इसमें दिल की दीवारें साफ दिखाई देती हैं और पता चलता है कि दिल कितना खून पंप कर रहा है, वाल्व ठीक काम कर रहे हैं या नहीं और खून का फ्लो कैसा है। साल में कम से कम एक बार ये टेस्ट कराना अच्छा माना जाता है। ईएफ की रेंज भी बहुत कुछ बताती है। 55-70 नॉर्मल, 41-54 हल्की कमी, 31-40 मध्यम कमी और 30 से कम गंभीर स्थिति मानी जाती है।

ईएफ कम होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे पुराना हाई बीपी, हार्ट अटैक का इतिहास, ज्यादा तनाव, शराब का अधिक सेवन, अनकंट्रोल शुगर, ब्लॉकेज, थायरॉयड समस्या, स्मोकिंग और कुछ वायरल इंफेक्शन जो दिल की मांसपेशियों को कमजोर कर देते हैं। ईएफ कम होने के लक्षण भी अक्सर धीरे-धीरे सामने आते हैं, जैसे सीढ़ियां चढ़ते समय सांस फूलना, जल्दी थक जाना, धड़कन बढ़ना, पैरों में सूजन या रात में सांस लेने में परेशानी।

आयुर्वेद के अनुसार जब हृदय कमजोर होता है तो शरीर की शक्ति और प्राणवायु पर असर पड़ने लगता है। रसधातु की कमी, दोषों का असंतुलन और मानसिक तनाव इसे और बिगाड़ सकते हैं। अर्जुन, द्राक्ष, अश्वगंधा और पुष्करमूल जैसी औषधियां हृदय को पोषण देने वाली मानी जाती हैं। हल्की वॉक, संतुलित भोजन और मन को शांत रखकर भी काफी सुधार देखा गया है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो ईएफ कम होने का मतलब है कि दिल की मांसपेशियां कमजोर या डैमेज हैं। सही मेडिसिन और लाइफस्टाइल सुधार मिलकर कई मरीजों में ईएफ को 10-15 प्रतिशत तक बढ़ा देते हैं।

कम नमक, हल्का खाना, सुबह टहलना, बीपी–शुगर कंट्रोल, तनाव कम करना और समय पर सोना-जागना दिल को मजबूत बनाने में मदद करते हैं, लेकिन अगर अचानक सांस रुकने लगे, तेज सीने में दर्द हो या धड़कन बहुत तेज महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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Created On :   23 Nov 2025 2:49 PM IST

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