राष्ट्रीय ध्वज, सैन्य, एयरोस्पेस और अग्निरोधी वस्त्र किए जा सकेंगे रिसाइकल

राष्ट्रीय ध्वज, सैन्य, एयरोस्पेस और अग्निरोधी वस्त्र किए जा सकेंगे रिसाइकल
ऐसे राष्ट्रीय ध्वज जो सेवा में नहीं हैं, उन्हें सम्मानजनक तरीके से रिसाइकल किया जा सकेगा। इसके लिए आईआईटी दिल्ली ने एक विशेष तकनीकी इजाद की है। इसके अलावा, खास सैन्य रक्षा यूनीफार्म में इस्तेमाल होने वाले टेक्निकल कपड़ों को भी रिसाइकल किया जा सकेगा। फाइबर रक्षा वाले इन मेटेरियल का उपयोग एयरोस्पेस, अग्निरोधी परिधान, बॉडी आर्मर और सुरक्षात्मक वस्त्रों में होता है।

नई दिल्ली, 28 नवंबर (आईएएनएस)। ऐसे राष्ट्रीय ध्वज जो सेवा में नहीं हैं, उन्हें सम्मानजनक तरीके से रिसाइकल किया जा सकेगा। इसके लिए आईआईटी दिल्ली ने एक विशेष तकनीकी इजाद की है। इसके अलावा, खास सैन्य रक्षा यूनीफार्म में इस्तेमाल होने वाले टेक्निकल कपड़ों को भी रिसाइकल किया जा सकेगा। फाइबर रक्षा वाले इन मेटेरियल का उपयोग एयरोस्पेस, अग्निरोधी परिधान, बॉडी आर्मर और सुरक्षात्मक वस्त्रों में होता है।

आईआईटी दिल्ली के अनुसार, यह रीसाइक्लिंग भारत की सामरिक क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण है। आईआईटी दिल्ली के तहत स्थापित अटल सेंटर ने शुक्रवार को उद्योगों को तकनीकी वस्त्रों, रक्षा-ग्रेड फाइबर और राष्ट्रीय ध्वज के पुनर्चक्रण की ये तकनीकें हस्तांतरित की हैं। आईआईटी दिल्ली के मुताबिक, तकनीकी वस्त्रों, एरामिड फाइबर तथा राष्ट्रीय ध्वज के पुनर्चक्रण से जुड़ी कई महत्त्वपूर्ण तकनीकों का सफलतापूर्वक उद्योग जगत को हस्तांतरण किया गया है। ये तकनीक आईआईटी के पानीपत केंद्र द्वारा विकसित की गई हैं।

इस केंद्र का नेतृत्व टेक्सटाइल एवं फाइबर इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर बिपिन कुमार कर रहे हैं। इसे राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन, वस्त्र मंत्रालय, और भारत सरकार के वित्तीय सहयोग से स्थापित किया गया है। पानीपत में पंजाब, हरियाणा और दिल्ली चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अटल सेंटर ने अपनी नवीनतम रीसाइक्लिंग तकनीकों का प्रदर्शन किया।

आईआईटी ने बताया कि ये नवाचार उद्योग एवं समाज के लिए वास्तविक परिवर्तन ला रहे हैं। इस केंद्र ने सिंथेटिक राष्ट्रीय ध्वज के पुनर्चक्रण की देश की पहली वैज्ञानिक तकनीक का अनावरण किया और इसका मॉडल भी प्रस्तुत किया। यह तकनीक सेवाज नीसिम फाउंडेशन को हस्तांतरित की गई है।

यह फाउंडेशन एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ सैन्य अधिकारी की देखरेख में काम करता है। यह फाउंडेशन देशभर में सेवानिवृत्त राष्ट्रीय ध्वजों के गरिमामय एवं पर्यावरण-सम्मत निपटान के राष्ट्रीय कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है। डिफेंस और एयरोस्पेस में उपयोग होने वाले एरामिड फाइबर का रीसाइक्लिंग समाधान भी उद्योगों को दिया गया है। अटल सेंटर ने उच्च-प्रदर्शन वाले एरामिड फाइबर जैसे कि केव्लर, नोमैक्स आदि के कचरे को सुरक्षित और प्रभावी तरीके से पुनर्चक्रण कर उपयोगी उत्पाद बनाने की उन्नत तकनीक भी प्रदर्शित की है। यह फाइबर रक्षा, एयरोस्पेस, अग्निरोधी परिधान, बॉडी आर्मर और सुरक्षात्मक वस्त्रों में उपयोग होता है, इसलिए इसका रीसाइक्लिंग भारत की सामरिक क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन के निदेशक अशोक मल्होत्रा ने कार्यक्रम में कहा कि उनका लक्ष्य भारत को तकनीकी वस्त्रों का वैश्विक लीडर बनाना है। आईआईटी दिल्ली द्वारा विकसित रिसाइकल व सतत तकनीकें उद्योग, स्टार्टअप्स और विनिर्माण क्षेत्र को आत्मनिर्भरता, नवाचार और सर्कुलर इकॉनमी की दिशा में बड़ी मजबूती देती हैं।

आईआईटी दिल्ली के मुताबिक, अटल सेंटर की अनुसंधान गतिविधियों से कई तकनीकी वस्त्र कंपनियां लाभान्वित हो रही हैं। विशेष रूप से एरामिड फाइबर रीसाइक्लिंग प्रोग्राम ने उद्योग को उच्च गुणवत्ता वाले, किफायती और स्वदेशी समाधान प्रदान किए हैं।

अटल सेंटर के संयोजक प्रोफेसर बिपिन कुमार का कहना है कि पानीपत स्थित यह केंद्र तकनीकी कचरे के सतत और वैज्ञानिक रिसाइक्लिंग के क्षेत्र में नवाचार का केंद्र है। हमारा उद्देश्य भारत के वस्त्र उद्योग को सर्कुलर इकोनॉमी की दिशा में बढ़ाना और समाज के लिए प्रभावी तथा पर्यावरण-अनुकूल समाधान उपलब्ध कराना है।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   28 Nov 2025 6:43 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story